नई दिल्ली: बी आर चोपड़ा (Producer B. R. Chopra) द्वारा बनाई गई सीरियल ‘महाभारत’ (Mahabharat) तो आपको याद ही होगा. तकरीबन 30 साल पहले इस सीरियल को देखने के लिए हर घर, चौराहों, गली और नुक्कड़ पर भीड़ इकट्ठा हो जाती थी. पिछले साल लॉकडाउन (Lockdown) में भी इस शो को खूब देखा गया और आज के दौर के दर्शकों के द्वारा भी खूब पसंद किया गया. शो में जिन कलाकारों ने अपने-अपने किरदारों को निभाया था, उमसे से एक थे ‘गदाधारी भीम’. भीम का किरदार प्रवीण कुमार सोबती (Praveen Kumar Sobti) ने निभाया था. लेकिन अब प्रवीन पाई पाई को मोहताज हो गए हैं. उनकी आर्थिक स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि उन्हें कई बार भूखे सुना पड़ जा रहा है. यहां तक कि उन्होंने सरकार से अब मदद की गुहार लगाई है.
6 फुट से भी ज्यादा लंबे भीमकाय प्रवीण कुमार सोबती (Praveen Kumar Sobati) अपने कद काठी के साथ अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों में खास जगह बनाई. जिंदगी के 74 साल बीताने के बाद आज प्रवीन पाई पाई को तरस रहे हैं. किसी तरह अभी तक वह अपना गुजर-बसर कर रहे थे, लेकिन अब जीवन काटना मुश्किल हो रहा है, इसलिए उन्होंने पंजाब सरकार से जीवन यापन के लिए पेंशन की गुहार लगाई है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक्टर ने अपनी शिकायत में कहा कि पंजाब में बनने वाली सभी सरकारों से मुझे शिकायत है, जितने भी खिलाड़ी एशियन गेम्स खेलते हैं या मेडल जीतते हैं, उन्हें पेंशन दी जाती है. लेकिन इस अधिकार से मुझे वंचित रखा गया। जबकि सबसे ज्यादा गोल्ड मेडल जीते। वो अकेले एथलीट थे, जिन्होंने कॉमनवेल्थ को रिप्रेजेंट किया। फिर भी पेंशन के मामले में उनके साथ सौतेला व्यवहार हुआ। हालांकि, अभी उन्हें बीएसएफ से पेंशन मिल रही है।
मालूम हो कि प्रवीण कुमार ने खेलों के चलते हमारे देश का नाम ऊंचा किया है। दो बार ओलंपिक, फिर एशियन, कॉमनवेल्थ में कई गोल्ड, सिल्वर मेडल हासिल कर चुके प्रवीण 1967 में खेल के सर्वोच्च पुरुस्कार ‘अर्जुन अवॉर्ड’ से भी नवाजे जा चुके है. हालांकि, खेल से फिल्मी ग्लैमर का कामयाब सफर तय कर चुके ‘भीम’ अब आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं. प्रवीण कुमार सोबती पंजाब के अमृतसर के पास एक सरहली नामक गांव के रहने वाले हैं.
एक इंटरव्यू के दौरान टीवी के भीम ने कहा कि कोरोना ने रिश्तों की सच्चाई को बयां किया है. सब रिश्ते खोखले हैं. मुश्किल वक्त में कोई सहारा तो दूर अपने भी भाग जाते हैं. प्रवीण ने बताया कि अब उनकी तबीयत ठीक नहीं रहती है, खाने में भी कई तरह के परहेज हैं. उनकी पत्नी उनकी देखभाल करती है.
आपको जानकारी के लिए बता दें कि प्रवीण कुमार सोबती का जन्म 6 सितंबर 1946 को हुआ था। बचपन से ही मां के हाथ से दूध, दही और देसी घी की हैवी डाइट मिली तो शरीर भी भारी-भरकम बन गया। उनकी मां जिस चक्की में अनाज पीसती थी, प्रवीण उसे उठाकर ही वर्जिश करते थे। जब स्कूल में हेडमास्टर ने उनकी बॉडी देखी तो उन्हें गेम्स में भेजना शुरू कर दिया. और वो हर इवेंट जीतने लगे। लेकिन अब उनकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है। अब आप सोचिए जरा हमारे देश का नाम रोशन करने वाले और अपनी कलाकारी से लोगों का दिल जीतने वाले प्रवीण कुमार सोबती की आज क्या हालत हो गई है.