Rajasthan(Kota):- दुनिया भर में चल रहे हैं हिंदू मुस्लिम विवाद का असर अब विद्यालयों में भी देखने को मिलने लगा है शिक्षा के मंदिर में जहां बच्चों को एकता सिखाई जाती है वही बच्चों को उर्दू सिखाई जा रही है। हां, कोई भी भाषा सीखना गलत बात नहीं है पर उस चीज को गलत तरीके से सिखाना गलत होता है। ऐसी एक खबर राजस्थान के शिक्षा की नगरी कोटा के एक स्कूल से निकल कर सामने आ रही है। जहां कक्षा 2 के बच्चों को माता पिता, मम्मी पापा के बजाए अम्मी अब्बू बोलना सिखाया जा रहा है।
लोगों का आरोप है कि हिंदू परिवारों के बच्चों को जबरन ‘अब्बू -अम्मी’ और बिरयानी खाने का पाठ पढ़ाया जा रहा है और प्राइवेट स्कूलों की किताब में ऐसे चैप्टर देकर गैर मुसलमान बच्चों को अपने हिंदू संस्कृति से दूर किया जा रहा है।
गुलमोहर नाम की अंग्रेजी किताब हैदराबाद पब्लिकेशन की है जो कक्षा दो में पढ़ाई जा रही है। किताब का मूल्य ₹352 है जिसमें 113 पेज हैं। किताब इंग्लिश मीडियम स्कूल की है, जिसमें पहले चेप्टर ‘टू बिग टू स्मॉल’ में ही बच्चे को नए शब्द के रूप में मदर को अम्मी और फादर को अब्बू लिखा है। इसी किताब के दूसरे चेप्टर में ‘ग्रांडपा फारूक्स गार्डन’ (दादाजी फारूक का बगीचा) शीर्षक से है, जिसमें मुस्लिम चरित्र आमिर और उसके दादा फारूक को दशार्या गया है जिसे लेकर बच्चों के परिजनों ने फोन पर बजरंग दल कार्यकर्ताओं को जानकारी दी।
बजरंग दल ने कक्षा दो में पढ़ाई जा रही इस पुस्तक पर आपत्ति जताते हुए संभागीय आयुक्त जिला शिक्षा अधिकारी (District Education Officer) को शिकायत की और आरोप लगाया कि गैर मुस्लिम बच्चों को अम्मी और अब्बू बोलना सिखाया जा रहा है। इस किताब के अंदर ज्यादातर उर्दू शब्दों का ही प्रयोग किया गया है
यहां तक कि एक लेसन में यह सवाल भी पूछा गया कि आप घर की भाषा में पेरेंट्स और ग्रांडफादर को क्या बुलाते है? बजरंग दल के सह प्रान्त संयोजक योगेश रेनवाल ने बताया कि 12 जुलाई को कोटा के विभिन्न अंग्रेजी माध्यम में पढ़ने वाले बच्चों के माता-पिता के फोन आ रहे थे और वो स्कूल में पढ़ाई जाने वाली किताब में एक धर्म से जुड़े शब्दों का ज्यादा प्रचलन होने कि शिकायत कर रहे थे। इसी बात की तफ्तीश के लिए उन्होंने स्टेशनरी की दुकान से तथाकथित किताब खरीदी जिसका नाम गुलमोहर (लैंग्वेज फॉर लाइफ) है। कक्षा दो की यह किताब हैदराबाद के एक पब्लिकेशन की है।
बच्चों को पढ़ाकर नॉनवेज खाने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है। इस किताब के छठे चैप्टर में पेज नंबर 20 पर बताया गया है कि पेरेंट्स किचन में है और वे बिरयानी बना रहे हैं। जिसके बाद परिजनों ने यहां पर शिकायत में बताया कि हमारे बच्चे अब अब्बू मम्मी कहने लगे हैं और वह घर पर बिरयानी बनाने के लिए भी बोल रहे हैं। रेनवाल ने कहा कि कान्वेंट स्कूल में शिक्षा के नाम पर इस्लामीकरण के लिए ऐसी किताबें चलाई जा रही, जिससे हिंदू समाज की भावनाएं आहत हुई हैं। ऐसी किताबों पर प्रतिबंध लगना चाहिए और सरकार को इस पर सख्त कार्यवाही भी करनी चाहिए।