बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को चारा घोटाले के एक और मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया है। लालू प्रसाद को 139.5 करोड़ रुपये के डोरंडा कोषागार गबन मामले में दोषी ठहराया गया है। सीबीआई के एक वकील ने कहा कि सजा 21 फरवरी को सुनाई जाएगी। फैसला आने के बाद लालू प्रसाद यादव को रिम्स ले जाया गया है।
चारा घोटाले का ये सबसे बड़ा मामला साल 1990 से 1995 के बीच सामने आया था। लालू यादव को दोषी करार दिये जाने के बाद उनके बेटे तेजस्वी यादव का रिएक्शन आया है। तेजस्वी यादव ने कहा, ”हर किसी को कोर्ट के फैसले को स्वीकार करना चाहिए। यह अंतिम फैसला नहीं है। 6 बार सजा सुनाई गई है। हम सभी केस में हाई कोर्ट गए। इसलिए यह अंतिम फैसला नहीं है। निश्चित तौर पर लालू जी दोषमुक्त होंगे। हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट है।”
Everyone should accept the Court’s order. This is not the last judgment. Sentence was pronounced 6 times, we approached the High Court for all cases. So, this is not the last judgment. Lalu ji will definitely be acquitted. There is Supreme Court after High Court: Tejashwi Yadav https://t.co/xRmY8oySJQ pic.twitter.com/gD3R6E12k1
— ANI (@ANI) February 15, 2022
सीबीआई की विशेष अदालत ने लालू प्रसाद को 139.5 करोड़ रुपए के डोरंडा कोषागार गबन मामले में दोषी ठहराया तो 24 आरोपियों को सबूत के अभाव में बरी कर दिया है। अदालत ने 29 जनवरी को मामले में दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। लालू प्रसाद को इससे पहले चारा घोटाला के चार अन्य मामलों में 14 साल जेल की सजा सुनाई जा चुकी है।
मामले के मूल 170 आरोपियों में से 55 की मौत हो चुकी है, 7 सरकारी गवाह बन चुके हैं, 2 ने अपने ऊपर लगे आरोप स्वीकार कर लिए हैं और 6 फरार हैं। प्रसाद के अलावा पूर्व सांसद जगदीश शर्मा, तत्कालीन लोक लेखा समिति (पीएसी) के अध्यक्ष ध्रुव भगत, पशुपालन सचिव बेक जूलियस और पशुपालन सहायक निदेशक डॉ. के एम प्रसाद मुख्य आरोपी हैं।
950 करोड़ रुपये का यह घोटाला अविभाजित बिहार के विभिन्न जिलों में धोखाधड़ी कर सरकारी खजाने से सार्वजनिक धन की निकासी से संबंधित है। राजद सुप्रीमो को चारा घोटाला मामले में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई है और कुल 60 लाख रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उन्हें दुमका, देवघर और चाईबासा कोषागार से जुड़े चार मामलों में जमानत मिल गई है। चारा घोटाला मामला जनवरी 1996 में पशुपालन विभाग में छापेमारी के बाद सामने आया.सीबीआई ने जून 1997 में प्रसाद को एक आरोपी के रूप में नामित किया।