Alt news Update:- सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने जुबैर के खिलाफ दर्ज सभी मामलों में अंतरिम जमानत दे दी है। इतना ही नहीं कोर्ट ने गिरफ्तारी के आदेश पर भी सवाल उठाए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद जुबैर के खिलाफ यूपी में दर्ज सभी मामलों को लेकर अंतरिम जमानत देते हुए रिहा करने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एफआईआर ट्रांसफर संबंधी आदेश सभी मौजूदा एफआईआर और भविष्य में दर्ज होने वाली सभी एफआईआर पर लागू होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोहम्मद जुबैर को 20,000 रुपये के जमानत बांड के साथ जमानत पर रिहा किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जुबैर अपने खिलाफ दर्ज सभी या किसी भी प्राथमिकी को रद्द करने के लिए दिल्ली हाईकोर्ट का रुख कर सकते हैं।
दरअसल, मोहम्मद जुबैर ने अपने खिलाफ यूपी पुलिस द्वारा दायर सभी FIR खारिज करने की मांग की है। साथ ही जब तक इस याचिका पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक अंतरिम जमानत की भी मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर को जमानत देते हुए कहा, गिरफ्तारी की शक्ति का प्रयोग संयम से किया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा, जुबैर को अंतहीन समय तक हिरासत में नहीं रखा जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने फैक्ट चेकर मोहम्मद जुबैर को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने जुबैर के खिलाफ दर्ज सभी मामलों में अंतरिम जमानत दे दी है। इतना ही नहीं कोर्ट ने गिरफ्तारी के आदेश पर भी सवाल उठाए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने जुबैर के खिलाफ दर्ज सभी मामलों को एक साथ क्लब किया। इस मामले में अब एक ही जांच एजेंसी जांच करेगी। उत्तर प्रदेश में दर्ज 6 FIR को कोर्ट ने दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को ट्रांसफर किया। इस मामले में जांच के लिए गठित यूपी की SIT को भी भंग कर दिया गया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने मुकदमा रद्द करने से इंकार कर दिया।
सुनवाई के दौरान यूपी सरकार की वकील गरिमा प्रसाद ने एफआईआर रद्द करने की ज़ुबैर की मांग का कड़ा विरोध किया. उन्होंने कहा, “ज़ुबैर पत्रकार नहीं है. खुद को फैक्ट चेकर बताता है. जान-बूझकर नफरत फैलाने वाली सामग्री ट्वीट करता है. उसे ज़हरीले ट्वीट के लिए पैसे मिलते थे. उसने खुद माना है कि 2 करोड़ रुपए तक मिले हैं. उसने गाज़ियाबाद के लोनी में आपसी विवाद में बुजुर्ग की पिटाई को सांप्रदायिक रंग दिया. सीतापुर में बजरंग मुनि पर पुलिस कार्रवाई के बावजूद उनका वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल किया.”
इससे पहले उत्तर प्रदेश सरकार ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा कि जुबैर को भड़काऊ ट्वीट के बदले पैसे मिलते थे। पोस्ट या ट्वीट जितना भड़काऊ होता था, पैसे भी उतने ही ज्यादा मिलते थे। दरअसल, मोहम्मद जुबैर ने अपने खिलाफ यूपी पुलिस द्वारा दायर सभी FIR खारिज करने की मांग की है। साथ ही जब तक इस याचिका पर फैसला नहीं हो जाता, तब तक अंतरिम जमानत की भी मांग की गई है।
इससे पहले सुनवाई के दौरान जुबैर की ओर से वृंदा ग्रोवर ने कहा कि जुबैर पर एक नई प्राथमिकी दर्ज की गई है और एक हाथरस मामले को छोड़कर सभी मामलों में ट्वीट ही एकमात्र विषय है। उन्होंने कहा, एक ट्वीट ही सभी मामलों में जांच का विषय बना हुआ है। जबकि इससे पहले 2018 के ट्वीट को लेकर दिल्ली में एक एफआईआर हुई। इसमें जुबैर को जमानत भी मिल चुकी है। लेकिन दिल्ली पुलिस ने जांच का दायरा बढ़ाकर लैपटॉप जब्त कर लिया। जुबैर की ओर से कहा गया कि उसके ट्वीट की भाषा उकसावे की दहलीज पार नहीं करती। पुलिस ने उसके खिलाफ जो FIR दर्ज की है, उसमें कहा गया है कि मैंने वैश्विक स्तर पर मुसलमानों को उकसाया है! जबकि मैंने पुलिस को एक नागरिक के रूप में कार्रवाई करने के लिए टैग किया था।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि सभी मामलों में FIR का कंटेंट एक तरह का लग रहा है, यह क्या हो रहा है? जुबैर को एक ट्वीट के जरिए धार्मिक भावनाएं आहत करने के आरोप में 27 जून को दिल्ली पुलिस ने अरेस्ट किया था। जुबैर की वकील वृंदा ग्रोवर ने कहा कि पुराने ट्वीट पर केस दर्ज किया जा रहा है। पुलिस व्यापक साजिश का पता लगाने की बात कर रही है जबकि दिल्ली पुलिस इस मामले में पूछताछ कर चुकी है और उसने रिपोर्ट भी दे दी है।