बीती 20 सितंबर को महंत नरेंद्र गिरि को हुए कांड के बाद हिन्दू धर्म के साधु-संतों को लेकर लगातार बुरी खबरें सामने आ रहीं हैं। लगातार महात्माओं-साधुओं को लेकर डराने वाले और परेशान करने वाले हादसे सामने आ रहे हैं। इस बीच एक रिपोर्ट भी सामने आई थी कि कैसे मठ, मंदिर, आश्रम को लेकर प्रापर्टी के कारण संतो के साथ इस तरह की घटनाएँ हो रहीं हैं। अभी संत समाज महंत नरेंद्र गिरि से उबरा भी नहीं था कि अब राम नगरी अयोध्या से एक परेशान करने वाली दु:खद खबर सामने आई है।
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आपको बता दे राम मंदिर आंदोलन के महत्वपूर्ण लोगों में से ही शामिल रहे हैं जाने-माने संत महात्मा कन्हैया दास रामायणी का बीते शुक्रवार को 2:00 बजे निधन हो गया। कन्हैया दास अयोध्या संत समिति के अध्यक्ष और सनकादिक आश्रम के महन्त भी थे। उनका इलाज पटना के महावीर कैंसर अस्पताल में लंबे समय से चल रहा था। वो फिलहाल वेंटीलेटर पर थे। उनकी हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी। आपको बता दें कन्हैया दास को इस साल हरिद्वार से लौटने के बाद करोना हो गया था। तभी से कन्हैया दास फेफड़ों की समस्या से जूझ रहे थे।
उन्होंने फेफड़े के इंफेक्शन का काफी इलाज कराया लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिल सकी। लंबे समय तक उनका इलाज इंदौर में चला, लेकिन फायदा ना होने पर उन्हें पटना के महावीर अस्पताल में भर्ती करवाया गया। उनके पार्थिव शरीर को लेकर उनके शिष्य और हरिद्वार के महंत संतोष महाराज लेकर अयोध्या वापस लौट रहे हैं। 4 दिसंबर को उनका अंतिम संस्कार अयोध्या के सरयू तट पर किया जाएगा। बता दें कन्हैया दास रामायणी रामकोट ऐसे सनकादिक आश्रम के महंत थे। कन्हैया दास की गिनती विश्व हिंदू परिषद के प्रखर वक्ताओं में की जाती थी। विश्व हिंदू परिषद के केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल में भी वो लंबे समय तक शामिल रहे। उन्हें युवाओं में अपने भाषणों के जरिए जोश भरने के लिए जाना गया। कन्हैया दास रामायणी मानस और भागवत सहित हिंदू धर्म शास्त्रों के विशेष जानकार माने जाते थे। इसके अलावा योग, संगीत और गायकी जैसे क्षेत्रों में भी उनका विशेष अधिकार था।
उनके निधन से अयोध्या के संतो, राम मंदिर आंदोलन से जुड़े संगठनों में गहरा शोक है। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी RSS ने भी उनके निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की है। आपको बताते चलें कि करोना काल में दूसरी लहर के दौरान एक खबर आई थी कि कन्हैया दास करोना वायरस से पीड़ित मे थे और ऑक्सीजन के लिए तड़प रहे थे। लेकिन उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी और ना ही उन्हें किसी अस्पताल द्वारा अयोध्या में भर्ती किया जा रहा था। मीडिया में ये खबर प्रमुखता से छपने के बाद हलचल मच गई थी। अयोध्या के दशरथ मेडिकल कॉलेज ने उन्हें भर्ती करने से साफ इंकार कर दिया था।
बता दें ऑक्सीजन के अभाव के कारण इस दौरान कई संत महात्माओं की जान चली गई थी। सांसद और विधायकों का जुगाड़ भी उन्हें इलाज दिलाने में सफल नहीं हो पाया था। हालात इतने खराब थे कि खुद सांसद लल्लू सिंह ने उन्हें बेड दिलाने के लिए सिफारिश की थी। कई संतों ने भी इस मामले में जोर लगाया लेकिन फिर भी उन्हें एक अदद बेड नहीं मिल सका था। ये बताना जरूरी है कि हनुमानगढ़ी से जुड़े प्रसिद्ध संत नागा हरिदास का भी इसी दौरान करोना के चलते निधन हो गया था। उन्हें समय से ऑक्सीजन नहीं मिल पाई और वो तड़प-तड़प कर नहीं रहे।
ऐसे में अब जबकि ये दुःखद खबर आई है, संत समाज मे एक बार फिर से शोक की लहर दौड़ गई है। विश्व धर्म संसद के अध्यक्ष स्वामी राम कृपालु ने भी इसे लेकर गहरा दुःख जताया है।