Hindu Muslim Controversy:- मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में गढ़वा जैसी ‘माई वे ओर हाई वे’ मानसिकता बहुत कॉमन है और ये उत्तर भारत हो या दक्षिण ट्रेंड एक जैसा है। चलिए आपको करौली और जहांगीरपुरी दंगों से एक दशक पीछे लिये चलते हैं, उत्तर भारत से सीधे दक्षिण भारत। बात 2012 की है। वी कालाथुर गांव, पेरम्बलूर जिला तमिलनाडु।
यहां का मुस्लिम समुदाय गांव में से हिन्दूओं के धार्मिक जुलूस निकालने का विरोध करना शुरू करता है क्योंकि उनको ये धर्म नहीं ‘पाप का उत्सव’ लगता है। हिन्दु यथावत डर जाते हैं और पुलिस के शरण में जाते हैं। मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए, शोभायात्रा पुलिस के संरक्षण में निकाली जाने लगी।
वी कलाथुर गांव के मुसलमान इस ‘पाप के उत्सव’ को अब और सहने के मूड में नहीं थे। इसलिए उन्होंने मद्रास हाई कोर्ट का रुख किया। वहां मुस्लिम पक्ष के आशा के विपरीत जस्टिस N किरुबाकर्ण और P वेलमुरुगन ने कहा इस तरह की धार्मिक असहिष्णुता देश के सेक्युलर डेमोक्रेसी को तार-तार कर सकती है। इस तरह की कोशिश अगर दुसरे धार्मिक ग्रुप की तरफ से की जाए तो क्षेत्र में दंगा और अराजकता फैल जाएगी।
कोर्ट में पूछा गया 2011 तक सब ठीक था तो फिर अब क्या हो गया। District Municipalities Act 1920 के Section 180-A के तहत रास्ते पर सभी धर्म के लोगों का अधिकार है और ये सबके इस्तेमाल के लिये हैं। तो अगली बार कोई वामपंथी, धिम्मी या जिहादी अगर कहे कि ‘मुस्लिम इलाकों में शोभायात्रा ले जाने की क्या ज़रूरत है’ तो आप उनके मुंह पर सेक्शन 180-A मार सकते हैं।
कोर्ट ने आगे कहा सिर्फ इसलिए कि किसी इलाके में एक धर्म के मानने वाले लोग ज्यादा है, आप वहां से शोभायात्रा या धार्मिक जुलूस निकालने से मना नहीं कर सकते हैं। ‘अगर मुस्लिम पक्ष की बात मान ली जाए तो अल्पसंख्यक पुरे देश भर में अपने फेस्टिवल मना नहीं पाएंगे। जिस तरह का विरोध एक धार्मिक ग्रुप द्वारा किया जा रहा है, वैसा ही अगर दूसरा ग्रुप करना शुरू करे तो देश भर में अशांति, दंगे शुरू हो जाएंगे जिससे जान माल की अपूरणीय क्षति होगी।’
उत्तर या दक्षिण भारत ही पुरे दुनिया में ऐसा ही दिखता है गढ़वा वाली सोच का गर्भाशय! जिहाद रिपोर्ट के अनुसार, जून के महीने में जिहादी आतंकवादियों ने दुनिया के 23 देशों में 783 लोगों की हत्या की है। इस रिपोर्ट में कन्हैयालाल की हत्या का भी ज़िक्र है। बताने की ज़रूरत नहीं है कि इस मानसिकता को कहां पोषित और पल्लवित किया जाता है और कैसे? इन लोकल जिहादी ट्रेनिंग सेंटरस को सिरे से बंद करने की ज़रूरत है नहीं तो भारत में ’90 साल के अभिशाप’ को फलिभूत होने से कोई नहीं रोक सकता है।