नरेंद्र गिरी कांड मामले में सीबीआई ने भले ही अपनी चार्जशीट फाइल कर दी हो लेकिन ये मामला अभी भी रहस्य बना हुआ है। ऐसा ही एक ट्विस्ट इस मामले में और आ गया है। इस मामले में नायलॉन की रस्सी और सल्फास की गोली का एंगल निकल कर सामने आ रहा है। खास बात ये है कि इस मामले में उनके एक शिष्य सर्वेश का नाम भी सामने आया है। ये कौन है? कितना करीबी था? कब से महंत के साथ रह रहा था।
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अखाड़ा परिषद के दो बार अध्यक्ष रहे नरेंद्र गिरी ने अपने शिष्य सर्वेश से कहा था कि जाओ नायलॉन की रस्सी खरीद कर ले आओ। महंत ने इसके पीछे तर्क दिया था कि उन्हें कपड़े सुखाने के लिए इस रस्सी की जरूरत है। सर्वेश का कहना है कि अगर उसे जरा भी अहसास होता कि महंत इस रस्सी से फांसी लगा लेंगे तो वो डोरी कभी नहीं लाता। आपको बता दे महत नरेंद्र गिरी 20 सितंबर को प्रयागराज के बाघँबरी मठ स्थित एक कमरे में मृत पाए गए थे। आपको याद दिला दें महंत दोपहर का खाना खाने के बाद कमरे में आराम करने के लिए गए थे। लेकिन वो इसके बाद बाहर ही नहीं निकले।
दिलचस्प चीज ये भी है कि महंत उस कमरे में मृत नहीं पाए गए जहां वो आमतौर पर रहा करते थे। ये बाघम्बरी मठ का गेस्ट रूम था। जहां वो कभी-कभार बाहर से आने वाले लोगों से मिलने के लिए आया करते थे। नरेंद्र गिरी आमतौर पर शाम 5:00 बजे मंदिर जाने के लिए निकलते थे। लेकिन 20 सितंबर की शाम को जब वो बाहर नहीं निकले तो उनके शिष्यों को शक हुआ। सर्वेश द्विवेदी और दूसरे शिष्यों ने कमरे का दरवाजा तोड़ा और महंत लटकते पाए गए।
सूत्रों के मुताबिक सर्वेश जब अंदर पहुंचा तो उसने देखा कि जो रस्सी उसने कपड़े सुखाने के लिए मंगवाई थी उसी से वो लटके हुए थे। उन्होंने सीलिंग फैन के कुंडे से उस रस्सी को बांधा और बाद में उससे लटक गए। चेलों को उम्मीद थी कि शायद वो जिंदा हों और उतार लिए जाने से शायद बच जाएं। इसलिए उन्होंने उनायलॉन की रस्सी काट दी और उन्हें उतार दिया लेकिन अफ़सोस कि वो बच नहीं सके। महंत का सामान एक विशेष दुकान से आता था। जब मीडिया के लोग वहां इस बारे में पता करने के लिए पहुंचे तो उन्हें हैरान करने वाली जानकारी मिली।
बाघम्बरी मठ प्रयागराज के अल्लापुर में स्थित है और प्रयागराज के अल्लापुर में ही मुन्ना हार्डवेयर नाम की दुकान मौजूद है। यहीं से महंत का सामान आमतौर पर आया करता था। मुन्ना हार्डवेयर के मालिक मुन्ना ने बताया कि रस्सी तो आमतौर पर लोग खरीदकर ले जाते थे इसलिए उन्होंने कोई खास ध्यान नहीं दिया उन्हें ध्यान नहीं आया कि मठ से किसी ने रस्सी खरीदी या नहीं। बाद में नरेंद्र गिरी का पोस्टमार्टम पांच डॉक्टरों के पैनल ने किया था। इस पोस्टमार्टम में कुल 54 मिनट का समय लगा था।
एक खास बात ये भी सामने आई है कि इस घटना से कुछ दिन पहले ही महंत ने अपने शिष्यों से पूछा था कि सल्फास खाने से शरीर पर क्या प्रभाव होते हैं और इसका असर कितनी देर में होता है। हैरानी की बात ये भी है कि पूरी जांच के दौरान किसी शिष्य ने यह बात क्यों नहीं बताई। और अगर ये चीज सामने आई थी तो इसे मीडिया के सामने जांच एजेंसी ने क्यों नहीं पेश किया।