नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दिए गए बंग विभूषण पुरस्कार को लेने से मना कर दिया है। अमर्त्य सेन ने अपने परिवार के माध्यम से कहा है कि उन्हें कई पुरस्कार मिल चुके हैं। ऐसे में इसबार किसी नए लोग को यह दिया जाना चाहिए। यह सम्मान समारोह सोमवार को कोलकाता में आयोजित होने वाला है।
संयोग से, पार्थ चटर्जी को लेकर तृणमूल थोड़ी ‘असहज’ है। जब अमर्त्य के बंग विभूषण पुरस्कार को अस्वीकार करने की खबर सामने आई तो नतीजतन, विपक्षी खेमे के एक वर्ग ने यह कहना शुरू कर दिया कि पार्थ की घटना के विरोध में अमर्त्य ने यह फैसला लिया। हालांकि एक तबका यह भी कह रहा है कि पार्थ की गिरफ्तारी से पहले ही अमर्त्य ने अपना मन बना लिया था।
मोदी सरकार के आलोचकों को ममता का सम्मान
इसके साथ ही आपको बता दें, बंगाल की ममता सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार के आलोचक रहे तीन अर्थशास्त्रियों को राज्य के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से सम्मानित कर भाजपा को कड़ा संदेश देना चाहती है। इस सूची में अमर्त्य सेन के साथ ही प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कौशिक बोस और नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत विनायक बनर्जी भी शामिल हैं।
नोबेल पुरस्कार विजेता अमर्त्य सेन कई मुद्दों पर मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना करते रहे हैं। खास तौर पर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों की वे कई बार कड़ी आलोचना कर चुके हैं।
इसी तरह प्रसिद्ध अर्थशास्त्री कौशिक बोस भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक सलाहकार रहे हैं। बोस को भी मोदी सरकार के आलोचकों के रूप में जाना जाता है।
नोबेल पुरस्कार विजेता अर्थशास्त्री अभिजीत विनायक बनर्जी कोविड नियंत्रण पर राज्य सरकार की सलाहकार समिति के सदस्य हैं। अभिजीत बनर्जी भी मोदी सरकार के आलोचकों में से एक हैं।
वामपंथियों के हितैषी अब ममता दीदी से कर रहे किनारा
मगर बात इतनी आसान नहीं है। जानकार मानते हैं कि कभी वामपंथियों के हितैषी रहे अमर्त्य सेन सहित कौशिक बोस और अभिजीत विनायक बनर्जी अब ममता दीदी से भी किनारा करने लगे हैं। अमर्त्य के बंग विभूषण पुरस्कार लेने से मना करने के बाद सियासी गलियारों में शोर है कि भाजपा बंगाल में भी अब ‘ऑपरेशन लोटस’ का सहारा ले सकती है। क्योंकि बंगाल के बुद्धिजीवियों का एक तबका भी अब ममता दीदी के साथ खेला करने के लिए आतुर हो चुका है। ऐसे में अब माना जा रहा है कि भाजपा के चाणक्य अमित शाह अब ‘ब्रह्माश्त्र’ चलाकर तृणमूल कांग्रेस को नेस्तनाबूत करने की जुगत में लग सकते हैं।