इस्लाम खुद को अमन पसंद मजहब बताता है। लेकिन इसी धर्म में सर तन से जुदा की भी प्रथा है। जिसकी मांग बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के लिए की जा रही है। क्योंकि उन्होंने इस अमन पसंद मजहब के किताब में लिखी कुछ सच्चाई पढ़ दी थी। हम आपको बताना चाहेंगे कि आज भारत में जो हो रहा है वह इस वजह से नहीं है कि नूपुर शर्मा ने उनके धर्म का अपमान किया या उनके खिलाफ बोला है। ये इसलिए है कि मुसलमानों का एक अधूरा एजेंडा हमेशा से रहा है, जिसे समय- समय पर पूरा करने कि कोशिश की जाती रही है।
भारत में इस्लाम को लाना और क्रूरता के साथ उसकी स्थापना करना, जबरन धर्मांतरण करवाना। यह महज एक संयोग नहीं था। बल्कि ये सब इस्लाम धर्म में योजनाबद्ध तरीके से बनाया गया है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस्लाम विश्व प्रभुत्व के अपने लक्ष्यों को आगे बढ़ाना चाहता है। इसके लिए इस तरह की घटना की वह प्रतीक्षा करता रहता है।
इस्लाम का लक्ष्य है विजय द्वारा दुनिया पर राज करना और अंततः पूरी दुनिया का इस्लाम में धर्मांतरण कराना। ऐसा इसलिए है क्योंकि इस्लाम की नज़र में, पूरी दुनिया एक मुस्लिम संपत्ति थी, जो उन्हें हदीस के अनुसार अल्लाह ने दी थी और गैर-मुसलमानों ने उनकी जमीन हड़प ली।
हाँ, यह सुनके बेतुका सा लगता है, लेकिन उनकी माने तो पूरी दुनिया को कानूनी रूप से मुसलमानों की संपत्ति माना जाता है, जो पैगंबर के जन्म से पहले ही अल्लाह ने उन्हें दिया था। गैर-मुसलमान, मुस्लिम भूमि पर कब्जा जमाएं बैठें हैं। अल्लाह की दी हुई ज़मीन को वापस पाना उनका दैवीय अधिकार है।
उस नजरिए से देखें तो मुसलमान हमारी जमीन पर ‘दावा’ नहीं कर रहे हैं। वे इसे ‘पुनः प्राप्त’ कर रहे हैं जैसा कि उनके शास्त्र में उन्हें बताया गया हैं। वे सिर्फ कानून का पालन कर रहे हैं।
पैगंबर ने कभी भी अरब प्रायद्वीप की सीमाओं को पार नहीं किया। लेकिन मुसलमानों का यरुशलम और डोम ऑन द रॉक पर ‘कानूनी’ दावा है। हदीस उन्हें बताती है कि पैगंबर ने अल-बुराक, एक उड़ने वाले घोड़े पर उड़ान भरी, और अपने पैरों से जमीन को छूकर गुंबद पर दावा किया और वो उनकी हो गई।
वक्फ कहता है कि जो चीज एक बार वक्फ के पास आ गई तो हमेशा के लिए वक्फ की हो जाती है। यदि आप एक बार मुसलमान हो गए तो इसे कभी नहीं छोड़ सकते। ऐसे ही जब कोई भूमि मुसलमानों के स्वामित्व में हो, या ‘वक्फ’ की हो जाती है, तो वह कभी भी गैर-मुसलमानों को वापस नहीं की जा सकती है।
सभी भूमि जिन पर इस्लामी सेनाओं ने कभी नियंत्रण किया, सभी मुसलमानों द्वारा वक्फ की मानी जाती हैं। और उन सभी भूमि को काफिरों से पुनः प्राप्त करना उनका ईश्वरीय कर्तव्य है। उनके मुताबिक यह सिद्धांत पूरी दुनिया के मूल विचार को वक्फ के रूप में जोड़ता है। इसी वक्फ को मुसलमान फिर से जीतने की कोशिश कर रहे हैं।
उनकी दृष्टि से देखें तो भारत, स्पेन, लेबनान, ग्रीस, इज़राइल और पूर्वी यूरोप में पुनः प्राप्त किए जाने वाले कुछ सबसे बड़ी वक्फ संपत्ति हैं क्योंकि इन भूमि पर एक बार इस्लामी सेनाओं का शासन हुआ करता था, लेकिन जो एक बार फिर से विधर्मी बन गए क्योंकि वे पूरी तरह से इस्लाम में परिवर्तित नहीं हुए थे।
इस्लामिक शास्त्रों के अनुसार भारत में आज जो हो रहा है, उसमें इन जिहादियों की गलती नहीं है। मुसलमान बस अपनी कानूनी संपत्ति वापस ले रहे हैं। भारत इस्लाम का अधूरा एजेंडा है। मुसलमान यह बर्दाश्त नहीं कर सकते कि जो कभी मुस्लिम भूमि हुआ करती थी उस पर अब अन्य धर्म का शासन कैसे हो सकता है।
1947 में जो हुआ और आज जो हो रहा है, वह मुसलमानों द्वारा वक्फ संपत्ति का पुनर्ग्रहण है। वे तब तक नहीं रुकेंगे जब तक कि पूरी भूमि का इस्लामीकरण नहीं हो जाता और उसके सभी हिंदुओं को इस्लाम में परिवर्तित नहीं कर दिया जाता है।
वहीं गैर-मुस्लिम देश को मूर्तिपूजक या गैर-मुस्लिम परोपकार के तहत जब धर्मनिरपेक्ष घोषित किया गया। लेकिन इन देशों में बसे मुस्लिम अल्पसंख्यकों ने यह जगह कभी नहीं छोड़ी और इसके बजाय उस देश को भी इस्लामिक वक्फ बनाने के लिए रुके रहें। इसका उदाहरण है लबानोन और सीरिया, ग्रीस और तुर्की, इज़राइल और जॉर्डन, भारत और पाकिस्तान।
यह मुसलमानों और इस्लाम की वैश्विक रणनीति है। इस्लाम में कुछ भी स्थानीय और आकस्मिक नहीं है। सब कुछ वैश्विक और नियोजित है, क्योंकि दुनिया मुसलमानों का वक्फ है और लक्ष्य विश्व प्रभुत्व है। इस्लाम की वैश्विक रणनीति की इस कड़ी में परत दर परत रहस्य हम खोलेंगे बने रहिए एवोके टीवी के साथ।