Alwar:- आज पैरेन्ट्स बच्चों की पढ़ाई की सबसे ज्यादा चिंता करते हैं और इनकम का मैक्सिमम खर्च करने का प्लान बनाते हैं। फिर भी कई बच्चे इस चीज को नहीं समझते वहीं कुछ बच्चे ऐसे भी हैं जो कई मुश्किलों का सामना कर अपने लक्ष्य को हासिल करते हैं वह कहावत तो आपने सुनी होगी अगर कुछ करने की जिज्ञासा हो तो प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती। इस बात को सिद्ध कर दिखाया है राजस्थान के अलवर की रवीना ने। घर में बिजली कनेक्शन ना होते हुए भी राजस्थान के अलवर के बानसूर के छोटे से गांव गढ़ी की रहने वाली रवीना गुर्जर ने 12वीं बोर्ड में आर्ट्स स्ट्रीम में 93% अंक हासिल कर सबको हैरत में डाल दिया और परिवार का सिर गर्व से ऊंचा कर दिया।
सोचिए जो बिना बिजली कनेक्शन के पढ़कर 12वीं में 93 फीसदी अंक ला सकती है, वो सुविधाएं मिलने पर क्या कुछ नहीं कर सकती। बकरी चराने वाली टॉपर रवीना गुर्जर की खबर देखने के बाद उद्योग मंत्री और बानसूर विधायक शकुंतला रावत ने रवीना गुर्जर के 12वीं का रिजल्ट के बाद रविना पर सौगातें बरसने लगी हैं। बिजली विभाग ने तुरंत बिजली का कनेक्शन दे दिया है और साथ हीं, आर्थिक सहयोग करने की घोषणाएं की गई हैं।
नारायणपुर व थानागाजी ब्लॉक में टॉप करने वाली रविना गुर्जर का नाम अब उदाहरण बना गया है। सरकारी स्कूल में पढ़ाई करने के साथ-साथ रविना को घर भी संभालना पड़ा। बकरियां चरानी पड़ी। घर के सभी काम करने पड़े। घर में बिजली नहीं होने के कारण वह लानटेन या मोबाइल टॉर्च की रोशनी में पढ़ती थी। टॉप करने के बाद सरकारी स्कूलों के लिए गांव के लोगों का नजरिया बदलने लगा है। प्राइवेट स्कूलों में हजारों रुपए फीस देने वाले परिजन बच्चों को रविना का उदाहरण दे रहे हैं।
17 साल की रवीना गुर्जर मिट्टी के छप्पर में रहती है। पिता रमेश की 12 साल पहले सांप कांटने से मौत हो गई थी। उसकी मां विद्या देवी बीमार है उनकी किडनी का तीन साल पहले ऑपरेशन हुआ था और आज भी इलाज जारी है। जयपुर के एसएमएस अस्पताल में ऑपरेशन करा चुकी हैं। उसके घर में बिजली तक नहीं थी। ऐसे में घर का काम, चूल्हा चौका, छोटे भाई-बहनों को संभालना, बकरियां चराना, ये सभी काम भी रविना के जिम्मे रहा। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के बाद भी वो पढ़ रही है।
रविना दिन में सारे काम निपटाती, स्कूल जाती और रात में मोबाइल टॉर्च की रोशनी में 3 घंटे पढ़ाई करती। बता दें कि रवीना को पढ़ाई करने के लिए मोबाइल बाल आश्रम स्कूल चलाने वाले नोबल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के सहयोग से मिला। बड़ी बात ये है कि इस बेहद गरीब परिवार का खर्च पालनहार योजना से मिलने वाले 2000 रुपए में ही चलता है।
गुर्जर नेता विजय बैंसला ने ट्वीट कर रविना को बधाई दी। ऑल गुर्जर एजुकेशन फैडरेशन के अध्यक्ष नेपाल सिंह कसाणा ने आर्थिक मदद का एलान किया है। डॉ महिपाल चंदेला ने भी पढाई के लिए आर्थिक मदद की बात कही है। पूर्व मंत्री डॉ रोहिताश्व शर्मा ने रविना को हर महीने 5 हजार रुपए देने की घोषणा की है।
विपरीत परिस्थितियों में पढ़ाई कर दो ब्लॉक में टॉप करने वाली रवीना गुर्जर के गांव में चर्चे हो रहे हैं। हर कोई बच्चों को उससे सीख लेने की कह रहा है। पूर्व पंचायत समिति सदस्य झाबर गुर्जर ने छात्रा के पास होने के बाद अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों से बात की।