Ban On E-Cigerette:- देश में प्रतिबंध लगने के बाद से पूरे देश में कहीं ना कहीं सोशल मीडिया पर ई. सिगरेट का प्रचार हो रहा है और युवा इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम्स (ENDS) और हीटेड टोबैको उत्पादों (HTN) का प्रयोग कर रहे हैं। राजस्थान हाइकोर्ट ने प्रतिबंध के बावजूद ई-सिगरेट की बिक्री होने पर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया की केंद्र सरकार ने वर्ष 2019 में कानून लाकर ई सिगरेट के निर्माण, आयात, बेचान और वितरण आदि पर रोक लगा दी थी। इसके बावजूद प्रदेश में ई सिगरेट आसानी से मिल रही है। सीजे एसएस शिंदे और जस्टिस अनूप ढंड की बेंच ने यह आदेश प्रियांशा गुप्ता की जनहित याचिका पर दिए।
याचिका में गुहार लगाई गई है की कानून को सख्त तरीके से लागू करने के लिए केंद्र और राज्य सरकार को दिशा निर्देश दिए जाएं। इसके अलावा मामले में एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया जाए। जिस पर सुनवाई करते हुए बेंच ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब सम्मन किया है।
चलिए आपको बताते हैं आखिर E-Cigarette है क्या
तो बता दें कि ई-सिगरेट यानी इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट एक तरह की ENDS (इलेक्ट्रॉनिक निकोटिन डिलीवरी सिस्टम) डिवाइस है। ENDS बैटरी से ऑपरेट होने वाले डिवाइस हैं, जिनका इस्तेमाल शरीर में निकोटिन पहुंचाने के लिए होता है।
नॉर्मल सिगरेट और ई-सिगरेट में सबसे बड़ा फर्क है कि इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट में तंबाकू नहीं होता है। ई-सिगरेट को बिल्कुल सिगरेटनुमा बनाया जाता है। इसके अंत में LED बल्ब लगा होता है। कश लगाने पर ये बल्ब जलता है तो सिगरेट के तंबाकू जलने जैसा फील देता है। इसके कई फ्लेवर आते हैं और ये सिगरेट से सस्ती होती है।
ई-सिगरेट के अंदर लिक्विड निकोटिन का कार्टेज मौजूद होता है। खत्म होने के बाद कार्टेज को बदला जा सकता है। हालांकि कुछ ई-सिगरेट में यूज-एंड-थ्रो वाला हिसाब होता है।
ई-सिगरेट में मौजूद लिक्विड निकोटिन जलता नहीं है, इसलिए इससे धुआं नहीं निकलता और सिगरेट जैसी गंध भी नहीं आती। लिक्विड निकोटिन गर्म होकर भाप बन जाता है। इसलिए जो लोग ई-सिगरेट पीते हैं वो धुंए की बजाय भाप खींचते है।
इसमें निकोटिन की मौजूदगी, हार्ट, लीवर और किडनी के लिए खतरनाक है। इसमें कैंसर पैदा करने वाले एजेंट मौजूद होते हैं। WHO के मुताबिक ई-सिगरेट के फ्लेवर युवाओं को चुंबक की तरह खींचते हैं और अपना आदी बनाते हैं और इसी इ-सिगरेट के कारण टीनेजर्स और यूथ में फेफड़ों की बीमारियां बढ़ रही हैं।
भारत में ई-सिगरेट है पूरी तरह से बैन
दरअसल सितंबर 2019 में केंद्र सरकार ने युवाओं पर ई-सिगरेट के स्वास्थ्य संबंधी खतरों का हवाला देते हुए इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम्स (ENDS) पर पूर्ण पाबंदी की घोषणा की थी। भारत में ई-सिगरेट पर पूरी तरह से बैन किया गया है। सरकार ने इसके निर्माण, वितरण, बिक्री पर प्रतिबंध लगाया है। ई-सिगरेट का चलन सबसे ज्यादा युवाओं में था, यहां तक कि स्कूल के बच्चे इसका ज्यादा उपयोग कर रहे थे, जिसके चलते सरकार ने इसे बैन कर दिया था। प्रतिबंध में ई-सिगरेट के उत्पादन, विनिर्माण, आयात, निर्यात, परिवहन, विक्रय (ऑनलाइन बिक्री सहित), वितरण या विज्ञापन (ऑनलाइन विज्ञापन सहित) पर पूरी पाबंदी शामिल हैं। दावा किया गया भारत में तम्बाकू का प्रयोग करने वालों की संख्या विश्व में दूसरे नंबर है।
यह भी दावा किया गया भारत में कैंसर के सभी मामलों में से 27 प्रतिशत मामले तम्बाकू के प्रयोग के कारण होते हैं। हेल्थ मिनिस्ट्री ने अध्यादेश में पहली बार नियम तोड़ने पर 1 साल की जेल और एक लाख रुपये जुर्माना लगाए जाने का प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा एक से ज्यादा बार नियमों का उल्लंघन करने पर 3 साल की जेल और 5 लाख रुपये का जुर्माना प्रस्तावित किया है।