अगले साल 2022 में शीतकालीन ओलंपिक और पैरा ओलंपिक होना है। चार मार्च से 13 मार्च तक चलने वाले इस शीतकालीन ओलंपिक की मेजबानी चीन करने जा रहा है। चीन की मेजबानी का भारत और रूस दोनों ने समर्थन किया। लेकिन अमेरिका चीन के बीजिंग शहर में होने वाले ओलंपिक का राजनयिक बहिष्कार करने वाला है। लद्दाख में भारत-चीन सीमा पर लंबे समय से तनावपूर्ण माहौल के बीच चीन को भारत का समर्थन मिलने विश्व समुदाय में चर्चा का विषय बन गया। वहीं चीन भारत के समर्थन से काफी उत्साहित है।
ग्लोबल टाइम्स ने अपने लेख में भारत के समर्थन की खूब तारीफ की है। उसने लिखा है कि दोनों देशों के बीच बॉर्डर पर तनाव भले है, लेकिन द्विपक्षीय संबंध ठीक हैं। भारत ने चीन का समर्थन कर साबित कर दिया कि अपनी मजबूत कूटनीतिक और रणनीतिक स्वायत्तता बरकरार रखा है। अमेरिका से घनिष्ठ संबंधों के बावजूज भारत उसके दबाव में फैसला नहीं लेता है। हालांकि भारत की ओर से कोई अतिरिक्त टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन विश्व समुदाय में भारत ने कूटनीतिक संदेश जरूर छोड़ा है। चीन को भी भारत को अपने पाले में करने की आश जगी है।
ज्ञात रहे कि रूस के विदेश मंत्री सर्गेइ लवरोफ और चीन के विदेश मंत्री वांग यी के साथ वर्चुअल बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ओलंपिक्स और पैरालंपिक्स खेलों के आयोजन में चीन का समर्थन किया। फिर इन तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने साझा बयान जारी कर इस समर्थन की पुष्टि की। चीन को भारत का समर्थन मिलने की उम्मीद इसलिए नहीं थी, क्योंकि इन दोनों देशों की सीमा पर 19 महीने से तनाव चल रहा है। दोनों देश सैन्य ताकत को मजबूत कर रहे हैं।
अमेरिका की ओर से बहिष्कार लगभग तय : बीजिंग में होने वाले ओलंपिक का अमेरिका की ओर से राजनयिक बहिष्कार लगभग तय है। पहले यूरोपियन संसद में भी बीजिंग ओलंपिक के बहिष्कार का ऐलान किया गया था। वाशिंगटन पोस्ट के अनुसार अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अपने देश के अधिकारियों को इस खेलों में खिलाड़ियों को नहीं भेजने को मंजूरी देने वाले हैं।