France Court:- भारत के कर्नाटक में हिजाब कॉन्ट्रोवर्सी के बाद अब फ्रांस में मुस्लिम महिलाओं के द्वारा स्विमिंग पूल में पहनी जाने वाली बुर्किनी पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है। फ्रांसीसी अदालत ने उस नियम को पलट दिया जिसमें मुस्लिम महिलाओं को बुर्किनी पहनने की अनुमति दी गई थी। जिसके बाद से अब मुस्लिम महिलाएं सार्वजनिक पूल में बुर्किनी नहीं पहन सकेंगी। इससे पहले फ्रांस के ग्रेनोबल के मेयर ने कुछ दिन पहले मुस्लिम महिलाओं को बुर्किनी पहनने की मंजूरी दी थी। मुस्लिम महिलाएं पूल में बुर्किनी पहनती हैं जो एक तरह का स्विमसूट है।
फ्रांस की एक अदालत ने उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को स्विमिंग पूल या समुद्र बीच पर बुर्किनी पहनने की इजाजत दी गई थी। यानी अब मुस्लिम महिलाएँ सार्वजनिक पूल में बुर्किनी नहीं पहन सकेंगी। फ्रांस के गृह मंत्री गेराल्ड डारमैनिन अपने ट्विटर हैंडल पर इसकी जानकारी दी है। डारमैनिन ने कहा, “प्रशासनिक अदालत का मानना है कि ग्रेनोबल के मेयर का पूल में बुर्किनी पहनने की अनुमति देने का फैसला धर्मनिरपेक्षता को गंभीर रूप से कमजोर करने वाला है।”
बता दें कि 16 मई 2022 को ग्रेनोबल शहर के मेयर ने आदेश दिया था कि मुस्लिम महिलाएं पूल में बुर्किनी पहन सकती हैं। उस समय मेयर पियोल ने फ्रांस के रेडियो RMC पर कहा था- हम सिर्फ इतना चाहते हैं कि महिलाएं और पुरुष अपनी मर्जी से कपड़े पहन सकें। ‘बुर्किनी’ मुस्लिम महिलाओं के लिए डिज़ाइन किया गया एक ऐसा स्विमसूट होता है जिसमें केवल चेहरे, हाथ और पैर दिखाई देते हैं बाकी हिस्सा ढका होता है। अब इसी फैसले को फ्रांस के शीर्ष अदालत ने पलट दिया है कहा गया की मेयर का यह फैसला सेक्यूलरिजम को कमजोर करता है।
कोर्ट का फैसला आने के बाद गेराल्ड डारमैनिन ने कहा- ग्रेनोबल शहर के मेयर का बुर्किनी पहनने की छूट देने वाला फैसला सेक्यूलरिजम को कमजोर करने वाला था। कोर्ट ने जो फैसला लिया है वो 2021 में लाए गए अलगाववाद कानून पर आधारित था। 16 मई को भी डारमैनिन ने मेयर के फैसले को फ्रांस के सेक्युलिरज्म के उलट बताया था। साथ ही कहा था कि वो इसे कोर्ट में चैलेंज करेंगे।
गौरतलब है कि यह कोइ पहली बार नहीं है इस्से पहले पिछले साल फ्रांस की संसद ने इस्लामी अलगाववाद का मुकाबला करने के लिए एक कानून पास किया था जिसके तहत फ्रांस की सरकार वैसे फैसलों को चुनौती दे सकती है जो देश में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत को कमजोर करते हैं।
साल 2016 में फ्रांस के कई शहरों के मेयर ने अपने प्रयासों से बुर्किनी को प्रतिबंधित करवा दिया था। लेकिन बाद में इसे भेदभावपूर्ण बताते हुए रद्द भी कर दिया गया था।
लेकिन बुर्किनी और मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहने जाने वाले कपड़ो के लेकर फिर से साल 2019 में विवाद छिड़ गया। ग्रेनोबल शहर में महिलाओं के एक समूह ने बुर्किनी पहनकर सार्वजनिक स्विमिंग पूल में नहाना शुरू किया जिससे एक राजनीतिक विवाद छिड़ गया।
उसी साल स्पोर्ट्स हिजाब को लेकर भी विवाद बढ़ा। स्पोर्ट्स हिजाब मुस्लिम महिलाएं दौड़ते वक्त अपना सिर ढकने के लिए इसका इस्तेमाल करती हैं। स्पोर्ट्स हिजाब बनाने वाले फ्रांसीसी स्पोर्ट्स ब्रांड डिकैथलॉन को इसके लिए काफी आलोचना झेलनी पड़ी जिससे मजबूर होकर उसे स्पोर्ट्स हिजाब बेचना बंद करना पड़ा।
आपको बता दें कि फ्रांस में सेक्यूलरिज्म को लेकर बहुत सख्त कानून हैं। अगर इनके खिलाफ लोकल एडमिनिस्ट्रेशन या राज्य सरकारें कोई नियम बनाती हैं तो केंद्र सरकार इसे कोर्ट में चैलेंज करती है और कोर्ट इन नियमों को रद्द कर देते हैं। ग्रेनोबल में बुर्किनी को लेकर मेयर का फैसला इसी कानून के तहत पलटा गया। इस कानून के तहत सरकार लोकल एडमिनिस्ट्रेशन के फैसलों को चुनौती दे सकती है।
उल्लेखनीय है कि फ्रांस में बुर्किनी का मुद्दा हमेशा से विवादों में रहा है। यूरोपीय देश फ्रांस में मुस्लिमों की आबादी लगभग 50 लाख है। यूरोपीय यूनियन के किसी देश में इतनी मुस्लिम आबादी नहीं है। फ्रांस में वर्ष 2010 में राष्ट्रपति निकोलस सरकोजी ने सार्वजनिक जगहों पर पूरे चेहरे को ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया था। उनका मानना था कि हिजाब या बुर्का महिलाओं के साथ अत्याचार है, यहाँ इसे किसी कीमत पर मंजूरी नहीं दी जा सकती। बता दें कि फ्रांस बुर्के पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला यूरोपीय देश बना था।