ईवोक टीवी नेटवर्क : भारत के आंतरिक मामले में चौधरी बनने की हरकत से संयुक्त राष्ट्र (यूएन) बाज नहीं आ रहा है। इस वजह से भारत से इस बार झाड़ लगाते हुए साफ संदेश दे दिया कि पहले वह खुद अपनी समझ को विकसित करे। जिस तरह से यूएन के मानवाधिकार निकाय मानवाधिकार उच्चायोग कार्यालय (ओएचसीएचआर) ने आतंकी संगठनों को हथियार बंद समूह बताया है, इससे उसकी सोच के स्तर का पता चलता है। भारत ने कहा कि आतंकवाद से मानवाधिकारों पर पड़ने वाले बुरे प्रभाव को लेकर उसे और बेहतर समझने की जरूरत है। भारतीय एजेंसियां कानून के मुताबिक कार्रवाई कर रही है।
दरअसल, यूएन के आए दिन कश्मीर पर टिप्पणी करते रहता है। गत दिनों आतंकी संगठनों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्रवाई पर यूएन की आपत्तिजनक टिप्पणी को भारत ने गंभीरता से लिया और ओएचसीएचआर को कड़ी चेतावनी भी दी। ओएचसीएचआर ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) द्वारा खुर्रम परवेज की गिरफ्तारी पर अनावश्यक टिप्पणी की थी। इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि ओएचसीएचआर की टिप्पणी का कोई आधार नहीं है।
भारत ने अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम (यूएपीए), 1967 बनाया है। यह कानून संसद ने तैयार किया है। खुर्रम परवेज के खिलाफ भी इसी कानून के तहत कार्रवाई की गई है। इसलिए इस पर ओएचसीएचआर के हस्तक्षेप या बयानबाजी करने की जरूरत नहीं है। उसे आतंकवाद से मानवाधिकारों पर पड़ने वाले नकारात्मक असर के बारे में बेहतर समझने की जरूरत है। भारत के आंतरिक मामले में यूएन को हस्तक्षेप करने की जरूरत नहीं है।