आज के इस वक्त में सोसाइटी में जिस तरह का हमारा रहन-सहन का तरीका है उस प्रणाली में एक स्त्री को अपने सेहत का ध्यान रखना काफी महत्वपूर्ण है। इसका एक बहुत ही साधारण सा कारण है कि प्रकृति ने एक स्त्री को काफी विस्तार प्रजनन अंग दिया है। हम सब ने एक स्त्री की कोख से ही जन्म लिया है और इस बात में तो किसी भी तरह की कोई आशंका नहीं है। और उस अहम प्रजनन अंग का ध्यान रखना किसी भी महिला के लिए बेहद आवश्यक है।
पहले की बात करें तो एक स्त्री अपने प्रजनन अंग का इस्तेमाल 15 से 16 साल की उम्र से ही करने लगती थी। अगर 1 स्त्री के 6 से 8 बच्चे होते हैं तो इसका यही मतलब निकलता है कि उस स्त्री ने अपने प्रजनन अंग का इस्तेमाल जिंदगी भर किया है। और इसी वजह से पहली की महिलाओं में किसी भी तरह के प्रजनन अंग को लेकर दिक्कतें नहीं आती थी। वहीं अगर हम आज की महिलाओं के बारे में बात करें तो हमें बहुत बार ऐसी बीमारियों के बारे में सुनने को मिलता है जो शायद पहले नहीं हुआ करती थी। आजकल की ज्यादातर महिलाएं पीसीओडी(PCOD) या पीसीओएस(PCOS) से ग्रसित है। बहुत बार इस तरह की महिलाओं को इनफर्टिलिटी और मोटापे जैसे बीमारियों का सामना करना पड़ता है। और इन सब बातों का एक बहुत ही अहम कारण यह है कि पहले जमाने में पुरुष और महिलाएं दोनों ही काफी ज्यादा मेहनत भरा काम किया करते थे और इस वजह से उस समय की औरतों के प्रजनन अंग के चारों तरफ चर्बी जमा नहीं होती थी।
वहीं अगर किसी युवती के कम उम्र में उसके प्रजनन अंग के चारों तरफ चर्बी जम जाती है तो यह इस बात का संदेश है कि वह कई सारी बीमारियों को न्योता दे रही है। अगर हम आज की महिलाओं के बारे में बात करें तो उनका ज्यादा से ज्यादा समय ऑफिस या डेस्क में बैठकर काम करने का होता है। इस तरह के काम में ज्यादा शारीरिक मेहनत नहीं लगती है। और इसी वजह से आज की महिलाओं के शरीर में बहुत सी बीमारियां और तकलीफ होने लगी है। एक महिला भले ही अपने दिन में से 45 मिनट या 1 घंटा जिम में बिताती है या दौड़ लगाने में पर अगर उसकी दिनभर की जीवन शैली में और किसी भी तरह की फिजिकल एक्टिविटी नहीं हो तो यह बड़ी ही दिक्कत की बात है।
इन बीमारियों का एक और अहम कारण यह भी है कि महिलाएं अपने प्रजनन अंग का इस्तेमाल 21 साल से पहले शिशु के प्रजनन के लिए नहीं करती है और इसलिए यह और भी जरूरी हो जाता है कि महिलाएं अपने इस अंग का खास खयाल रखें।
तो अगर आप ही प्रजनन अंग से जुड़ी किसी भी बीमारी से ग्रसित हैं तो हमारे इस वीडियो के साथ बने रहिए क्योंकि हम आपको कुछ बेहद ही अहम बातों के बारे में बताने जा रहे हैं।
पहली बात तो यह है कि हर महिला को Hatha Yoga जरूर से जरूर अपने जीवन में अपनाना चाहिए। अगर 12 साल की उम्र से ही एक लड़की अपने जीवनशैली में Hatha Yoga अपनाती है तो उसे प्रजनन अंग से जुड़े किसी भी तरह की बीमारी का सामना नहीं करना पड़ेगा। फिर भी अगर उसके जीवन में इस तरह की कोई भी दिक्कत आती है तो वह उससे बड़े ही आसानी से निपट पाएगी।
Hatha Yoga में ऐसे बहुत से आसन या हम कह सकते हैं कि प्रोसेस होते हैं जो कि एक स्त्री के प्रजनन अंग को सेहतमंद रखने में मदद करते हैं। किशोरावस्था से अगर लड़कियां इस तरह के योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाती है तो उन्हें दवाइयों और महंगे अस्पतालों की तरफ नहीं दौड़ना पड़ेगा। लेकिन यह एक बहुत ही दुखद बात है कि प्रजनन अंग से जुड़े बहुत सारी बीमारियों के मामलों में काफी तेजी से इजाफा हो रहा है।
Hatha yoga को प्रजनन शक्ति बढ़ाने के लिए सबसे ज्यादा कारगर माना जाता है। इसका कारण यह है कि इस तरह के योग में जो मूवमेंट्स होते हैं वह काफी धीरे होते हैं और भी स्ट्रेस लेवल को भी नीचे लाने में मददगार है। इस योग में सांस संबंधी भी काफी सारे तरीके हैं जो एक महिला के शरीर में बैलेंस लाने में मददगार है। इस वजह से एक महिला के शरीर में मौजूद खून और हारमोन का सरकुलेशन बड़े ही आराम से होता है। इस तरह के योग से जो भी महिलाएं Polycystic Ovary Syndrome (PCOS) जैसी बीमारियों से ग्रसित है या जिनके शरीर में हार्मोन की कमी है उन्हें इस तरह के योग को कम से कम हफ्ते में तीन से चार बार करना चाहिए।
इन सब बीमारियों का एक और बहुत ही अहम कारण यह भी है कि आजकल की महिलाओं को किसी न किसी बात का हमेशा ही स्ट्रेस रहता है। भले ही वह काम का हो या फिर घर में हो रही किसी बात का। इस तरह के स्ट्रेस से शरीर में हार्मोन्स में गड़बड़ी आती है जिसका सीधा असर उनके प्रजनन अंग पर भी पड़ता है। इस तरह के भी स्ट्रेस से निपटने और अपने शरीर में दोबारा बैलेंस लाने का एक बहुत ही अच्छा तरीका है अगर आप सही तरह के योग को अपनी जीवन शैली में समय देते हैं। आज से 25 साल बाद इस तरह की बीमारियां और बढ़ जाएंगी अगर आज की महिलाओं ने अपनी जीवनशैली में बदलाव नहीं किए तो।
योग के साथ-साथ खानपान भी एक बहुत अहम हिस्सा है जो हमारे शरीर को और हमारे अंदर मौजूद केमिकल बैलेंस को इफेक्ट करता है। इस तरह से यह एक बहुत ही जरूरी कदम हम सबको लेना चाहिए खासकर महिलाओं को कि वह अपने शरीर के इस अहम अंग का बेहद ख्याल रखें ताकि इन बढ़ती बीमारियों की रफ्तार को पूरी तरह से खत्म कर सके।