असम देश का ऐसा राज्य है जहां मुस्लिमों की एक बड़ी तदात रहती है। इसके बावजूद इस राज्य में नूपुर शर्मा द्वारा कथित रूप से की गई अपमानजनक टिप्पणी के खिलाफ एक भी विरोध प्रदर्शन नहीं देखें गए। असम की 3.45 करोड़ की अनुमानित आबादी का 40 प्रतिशत से अधिक भाग मुस्लिम हैं, लेकिन राज्य में कहीं भी एक भी प्रदर्शन या विरोध नहीं हुआ। राज्य के 35 जिलों में से 14 जिले में मुस्लिम बहुसंख्यक हैं और उनमें से कई में मुस्लिम आबादी का भारी बहुमत है।
फिर भी, उसी के पड़ोसी बंगाल में स्थिति विपरीत है। बंगाल में मुसलमानों की आबादी का प्रतिशत असम की तुलना में काफी कम है। लेकिन वहां पर मुसलमानों की भीड़ ने पिछले सप्ताह नूपुर शर्मा के विरोध के नाम पर राजमार्गों को अवरुद्ध किया, पुलिस स्टेशनों और रेलवे स्टेशन पर हमला किया, हिंदुओं की दुकानों को लूटा जलाया, और सरकारी व निजी वाहनों को क्षतिग्रस्त कर तबाही मचाई थी।
लेकिन इसके बावजूद भी असम में शांति कायम रही। ऐसा इसलिए है, क्योंकि ममता बनर्जी द्वारा संचालित बंगाल राज्य प्रशासन के विपरीत, असम सरकार ने कई सक्रिय कदम उठाए। जैसे ही उत्तर प्रदेश और देश के कुछ अन्य हिस्सों में मुसलमानों द्वारा हिंसक विरोध प्रदर्शन करने की खबरें आने लगीं तभी असम सरकार ने एहतियाती कदम उठाए।
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के निर्देश पर, हर जिले में पुलिस और नागरिक प्रशासन के अधिकारी मुस्लिम मौलवियों के पास पहुंचे और उन्हें यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि किसी भी मस्जिद में भड़काऊ भाषण न दिया जाए।
निचले असम के मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र धुबरी जिले के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, “मुसीबत आम तौर पर तब सामने आती है जब मुस्लिम मौलवी नमाज़ के दौरान सभाओं को उकसाते हैं। इसलिए सबसे ज्यादा गड़बड़ी शुक्रवार की नमाज के बाद होती है। हमने इस मुद्दे को जड़ से सुलझाया और मौलानाओं से सावधान रहने को कहा है”
राज्य के गृह विभाग के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मौलवियों को कड़े शब्दों में कहा गया था कि उनके समूह के किसी भी सदस्य द्वारा कानून का उल्लंघन करने पर उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा।
गृह विभाग के अधिकारी ने कहा, “इमाम एसोसिएशन और यहां तक कि मुस्लिम कल्याण निकायों सहित सभी मुस्लिम संगठनों को यह स्पष्ट कर दिया गया था कि कुछ सप्ताह पहले भाजपा प्रवक्ताओं द्वारा की गई कथित टिप्पणियों के खिलाफ राज्य में कहीं भी प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।” .
उन्होंने आगे कहा, “प्रदर्शनों के खिलाफ कड़ा संदेश सभी मुस्लिम राजनेताओं को भी दिया गया है। फिर उनमें से कुछ ने हमसे गुवाहाटी या किसी बड़े शहर में एक छोटे से जुलूस की अनुमति देने का अनुरोध किया, बिना नारे लगाए शांतिपूर्ण जुलूस निकालने की मांग की थी। लेकिन हमने यह स्पष्ट कर दिया है कि किसी भी तरह के विरोध प्रदर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी।”
मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने अपने मंत्रियों और विधायकों से मुस्लिम राजनेताओं तक यह संदेश पहुंचाने के लिए कहा, “विरोध का हल्का प्रदर्शन भी अनियंत्रित हो सकता है।”
वहीं राज्य सरकार ने खुफिया जानकारी जुटाने वाली अपनी मशीनरी भी तेज कर दिया और राज्य के मुस्लिम बाहुल्य इलाकों में चौकसी बढ़ा दी गई। इस प्रकार, जब कछार, हैलाकांडी और करीमगंज जिलों में कुछ रैलियों की योजना के बारे में खुफिया रिपोर्ट प्राप्त हुई, तब जिला प्रशासन निषेधाज्ञा लागू कर और सभी रैलियों पर प्रतिबंध लगा दिया।
बता दें कि कछार में मुसलमानों की आबादी लगभग 40 प्रतिशत है, करीमगंज और हैलाकांडी में बहुसंख्यक हैं।
गृह विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि राज्य भर के इमामों और मौलानाओं से कहा गया है कि मस्जिदों में दिए जाने वाले उपदेशों पर सख्ती से नजर रखी जाएगी और किसी भी तरह के उकसाने वाले या भड़काऊ उपदेश से सख्ती से निपटा जाएगा। उन्हें बताया गया कि उल्लंघन करने वालों पर सख्त कानूनों के तहत मुकदमा चलाया जाएगा जिसमें लंबी जेल की सजा शामिल है।
असम सरकार ने जिस तरह से राज्य में सभी की लगाम कसी है कि बड़े-बड़े नेता लाइन में लग गए हैं। आजसू के अध्यक्ष मौलाना मुस्तक अनफर ने मुसलमानों से शांति बनाए रखने की अपील करते हुए सार्वजनिक रूप से राज्य सरकार से सतर्कता बरतने को कहा है।
असम सरकार ने सावधानी बरतते हुए गैर-मुस्लिमों की भी लगाम कस रखी है। ताकि वे भी राज्य का माहौल ना बिगाड़ सकें। ऐसा इसलिए है क्योंकि राज्य सरकार ने 2019-2020 के हिंसक नागरिकता-विरोधी संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध से सबक सीखा, जिसने असम को हिलाकर रख दिया और कुछ लोगों की जान ले ली।
राज्य प्रशासन ने कुछ छोटे राजनीतिक दलों सहित गैर-मुस्लिम संगठनों से कहा कि यदि वे कानून का उल्लंघन करने वाले मुस्लिम संगठनों से जुड़ते हैं तो उन्हें भी जिम्मेदार ठहराया जाएगा। सीएम सरमा के कड़े निर्णयों के कारण बंगाल में इतना उपद्रव होने के बावजूद असम राज्य में शांति बनी हुई है।