महाराष्ट्र में एक बार फिर से सियासी भूचाल आ गया है। यहां की सरकार का कभी भी तख्ता पलट हो सकता है। क्योंकि शिवसेना के कद्दावर नेता एकनाथ शिंदे ने पूरी प्लानिंग के साथ बगावत की है। पहले मंगलवार को सूरत में ठहरे बागी विधायक बुधवार की सुबह गुवाहाटी पहुंच चुके हैं। 25 बागी विधायकों से शुरू हुआ सिलसिला 42 विधायकों तक पहुंच चुका है। इसकी जिम्मेदार पार्टी है भारतीय जनता पार्टी। BJP का ये एक ऐसी स्ट्रैटजी है जिसके दम पर उन्होंने कई राज्यों में कम सीट होने के बावजूद सत्ता बनायी है। मीडिया रिपोर्ट्स अनुसार इस स्ट्रैटजी को बीजेपी का ‘ऑपरेशन लोटस’ कहा गया।
पिछले 6 साल के दौरान 7 राज्यों में BJP ने ऑपरेशन लोटस चलाया। इसमें से 4 बार BJP को सफलता मिली है, जबकि 3 बार मात खानी पड़ी। चलिए पहले आपको बताते हैं कि भाजपा ने कौन से राज्यों में जीत हासिल की है।
बीजेपी ने ‘ऑपरेशन लोटस’ के तहत मध्य प्रदेश में कमलनाथ की सरकार को गिराकर, खुद सत्ता आयी। कांग्रेस के असंतुष्ट नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक विधायकों को BJP के पाले में करने के लिए बीजेपी नेता नरोत्तम मिश्रा के हाथ में कमान सौंपी गई। बता दें कि 2018 के विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को बहुमत नहीं मिला। कांग्रेस ने BSP और निर्दलियों की बैसाखी पर सरकार बनाई। एक तरफ सरकार के पास मजबूत संख्याबल नहीं था, दूसरी तरफ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया पार्टी में अपनी अनदेखी से परेशान थें।
यह ‘ऑपरेशन लोटस’ के लिए सबसे सही स्थिति थी। BJP के बड़े नेताओं ने सिंधिया से संपर्क साधा और 9 मार्च 2020 को सिंधिया ने अपने समर्थक विधायकों के साथ बगावत कर दी। इन विधायकों को चार्टर प्लेन से बेंगलुरु पहुंचा दिया गया। तमाम कोशिशों के बाद भी सिंधिया नहीं माने और कमलनाथ सरकार अल्पमत में आ गई। 20 मार्च 2020 को महज 15 महीने मुख्यमंत्री रहने के बाद कमलनाथ ने इस्तीफा दे दिया और कांग्रेस सरकार गिर गई। फिर बीजेपी के शिवराज सिंह चौहान प्रदेश के नए मुख्यमंत्री बने।
बीजेपी ने यही तरीका अपनाया कर्नाटक में और बीएस येदियुरप्पा को इस पूरी स्ट्रैटजी की कमान सौंपी। 2017 के कर्नाटक विधानसभा चुनाव में BJP 104 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। BJP नेता बीएस येदियुरप्पा ने CM पद की शपथ भी ले ली, लेकिन फ्लोर टेस्ट पास नहीं कर पाए और सरकार गिर गई। इसके बाद कांग्रेस के 80 और JDS के 37 विधायकों ने मिलकर सरकार बना ली। 2 साल भी पूरे नहीं हुए थे कि पॉलिटिकल क्राइसिस शुरू हो गई। जुलाई 2019 में कांग्रेस के 12 और JDS के 3 विधायक बागी हो गए।
कांग्रेस-JDS सरकार के पास 101 सीटें बचीं। वहीं BJP की 105 सीटें बरकरार रहीं। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और वहां से फ्लोर टेस्ट का आदेश दिया गया। सरकार फ्लोर टेस्ट में फेल हो गई और CM कुमारस्वामी ने इस्तीफा दे दिया। जिसके बाद भाजपा के बसवराज बोम्माई सीएम ने सीएम के तौर पर शपथ ली।
गोवा की भी वही कहानी रही बीजेपी के पास कम सीटें होने के बावजूद सत्ता में आ गई। फरवरी 2017 के गोवा विधानसभा चुनाव में किसी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला, लेकिन कांग्रेस 17 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी। सत्ता की चाबी छोटे दलों और निर्दलियों के हाथ में थी। भाजपा नेता मनोहर ने 21 विधायकों के समर्थन की बात कहते हुए सरकार बनाने का दावा पेश किया। राज्यपाल मृदुला सिन्हा ने उन्हें सरकार गठन का न्यौता दे दिया। जिसके बाद बीजेपी सत्ता में आ गई।
अरुणाचल प्रदेश में बीजेपी ने कांग्रेस के दो तिहाई से ज्यादा विधायकों को तोड़कर नई सरकार बनायी थी। 2014 चुनाव के बाद अरुणाचल प्रदेश में कांग्रेस ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई। हालांकि कांग्रेस के नेताओं के बीच की रंजिश खुलकर सामने आती रही। आखिरकार 16 सितंबर 2016 को कांग्रेस पार्टी के मुख्यमंत्री पेमा खांडू और 42 विधायक पार्टी छोड़कर पीपुल्स पार्टी ऑफ अरुणाचल प्रदेश में शामिल हो गए। PPA ने BJP के साथ मिलकर सरकार बनाई।
लेकिन बीजेपी की ‘ऑपरेशन लोटस’ स्ट्रैटजी उत्तराखंड, राजस्थान और महाराष्ट्र में नहीं चल पाई। फिलहाल, महाराष्ट्र की राजनीति में बीजेपी फिर से ‘ऑपरेशन लोटस’ स्ट्रैटजी के तहत वापस आना चाह रही है। वहीं शिवसेना अपनी सरकार बचाने में लगी हुई है। 40 से ज्यादा विधायकों की बगावत का सीधा मतलब है महाराष्ट्र की उद्धव सरकार गहरे संकट में है। ऐसे में देखना यह होगा की क्या उद्धव सरकार बचा पाएगी?