नरेंद्र गिरि कांड में लगातार जारी सीबीआई जांच के बीच अचानक से साधु-संतों, मठ-मंदिरों और आश्रमों की चर्चा शुरु हो गई थी। इसी बीच नागा साधुओं की चर्चा भी जोर-शोर से उठी। लेकिन हम में से ज्यादातर लोग शायद ही नागाओं के छुपे रहस्यों के बारे में जानते हों। असल में गृहस्थ जीवन जितना कठिन होता है, उससे कहीं 100 गुना ज्यादा कठिन होता है नागाओं का जीवन। तो जानिए नागाओं के बारे में टॉप 10 सीक्रेटस…
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नंबर 1: नागा साधु बनना कोई बच्चों का खेल नहीं है। नागा साधु बनने के लिए 12 साल लग जाते हैं। एक कठिन तपस्या होती है। शुरुआत के 6 सालों तक ये लोग एक लंगोट के अलावा कुछ नहीं पहनते। बाकी सालों में उनकी दूसरी परीक्षाएं ली जाती हैं। कुंभ मेले में स्नान करने के बाद ये लंगोट भी त्याग देते हैं। और शेष जीवन में कुछ भी नहीं पहनते। तो देखा आपने कितना कठिन है नागा बनने की शुरुआत करना।
नंबर 2: आपने अलग अलग नगाओं के अलग अलग नाम सुने होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि उनके नाम कैसे डिसाइड होते हैं। असल में हम आपको बता दें कि देश में 4 जगहों पर कुंभ का आयोजन किया जाता है। प्रयागराज यानि इलाहाबाद, नासिक, हरिद्वार और उज्जैन। इलाहाबाद में उपाधि पाने वाले को नागा कहते हैं, उज्जैन में उपाधि पाने वाले रक्त नागा कहते हैं, हरिद्वार में उपाधि पाने वाले को बर्फानी नागा और नासिक में उपाधि पाने वाले को खिचड़ियाना नागा कहते हैं।
नंबर 3: किसी भी सरकारी विभाग की तरह नगाओं में भी बाकायदा पद होते हैं। यह दो तरीके के होते हैं संगठन पद और अध्यात्मिक पद। आध्यात्मिक पदों की बात करें तो यह 4 तरीके के होते हैं। परमहंस को सबसे सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। वहीं अगर अध्यात्मिक पद की बात करें तो ये अखाड़ों में पाए जाते हैं। इलाहाबाद नागाओं की बात करें तो इनमें औघड़, अवधूत, शमशानी, कपालिक और महन्त आदि पाए जाते हैं। इसके बाद दूसरी बारी आती है दीक्षा की। दीक्षा लेने के बाद नगाओं के पद अलग तरीके से बांटे जाते हैं। जैसे- कोतवाल, बड़ा कोतवाल, पुजारी, भंडारी, कोठारी, बड़ा कोठारी, महंत और सचिव जैसे पद होते हैं। सचिव का पद सबसे इंपॉर्टेंट माना जाता है।
नंबर 4: संत परंपरा में कई तरह के अखाड़े पाए जाते हैं। इनकी कुल संख्या तेरह है। लेकिन इनमें से केवल सात अखाड़े हैं जो नागा साधु तैयार करते हैं। ये हैं, जूना अखाड़ा, महानिर्वाणी अखाड़ा, निरंजनी अखाड़ा, अटल अखाड़ा, अग्नि अखाड़ा, आनंद अखाड़ा और आवाह्न अखाड़ा।
नंबर 5: आप में से कुछ लोगों को जानकर हैरानी होगी लेकिन ये सच है कि नागा साधु सुबह 4:00 बजे ही बिस्तर छोड़ देते हैं और सो कर उठने के बाद पहला काम श्रंगार करने का करते हैं। ये हवन, ध्यान, प्राणायाम, बज्रोली क्रिया, नौली क्रिया और कपाल क्रिया करते हैं। ये पूरे दिन में सिर्फ एक बार भोजन ग्रहण करते हैं और इसके बाद शाम को बिस्तर पर चले जाते हैं।