प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले 18 साल से विषपान करते रहे… यह कहना है गृह मंत्री अमित शाह का। सुप्रीम कोर्ट द्वारा 2002 के गुजरात दंगों पर पीएम नरेंद्र मोदी सहित 64 लोगों को क्लीन मिल गई है। अमित शाह ने ANI को दिये इंटरव्यू में गुजरात दंगों पर सुप्रीम कोर्ट से पीएम मोदी को क्लीन चिट मिलने पर कहा कि, “18-19 साल की लड़ाई, देश का इतना बड़ा नेता एक शब्द बोले बगैर सभी दुखों को भगवान शंकर के विषपान की तरह गले में उतारकर सहन कर लड़ता रहा और आज जब अंत में सत्य सोने की तरह चमकता हुआ आ रहा है, तो अब आनंद आ रहा है।”
उन्होंने आगे कहा कि, “मैंने मोदी जी को नजदीक से इस दर्द को झेलते हुए देखा है क्योंकि न्यायिक प्रक्रिया चल रही थी तो सब कुछ सत्य होने के बावजूद भी हम कुछ नहीं बोलेंगे.. बहुत मजबूत मन का आदमी ही ये स्टैंड ले सकता है।” शाह ने विरोधी पार्टियों पर तंज कसते हुए कहा कि मोदी और भाजपा के खिलाफ करीब दो दशक से दुष्प्रचार चल रहा है। उन्होंने कहा कि ‘सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज किया है। आप कह सकतें हैं कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने ये सिद्ध कर दिया है कि सभी आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित थे।’ शाह ने कहा कि ‘जिन लोगों ने मोदी जी पर आरोप लगाए थे अगर उनकी अंतरात्मा है तो उन्हें मोदी जी और बीजेपी नेता से माफी मांगनी चाहिए।’
अमित शाह ने साल 2002 में गुजरात दंगा को राजनीतिक साजिश बताते हुए कहा कि, “सुप्रीम कोर्ट ने सभी आरोपों को खारिज किया है। BJP विरोधी राजनीतिक पार्टियां, कुछ विचारधारा के लिए राजनीति में आए पत्रकार और NGO ने मिलकर आरोपों का इतना प्रचार किया और इसका इकोसिस्टम इतना मजबूत था कि लोग इनको ही सत्य मानने लगें।”
उन्होंने कहा कि, “गुजरात में हमारी सरकारी थी लेकिन यूपीए की सरकार ने NGO की मदद की है। सब जानते हैं कि ये केवल मोदी जी की छवि खराब करने के लिए किया गया था। आज सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि जाकिया जाफरी किसी और के निर्देश पर काम करती थी। एनजीओ ने कई पीड़ितों के हलफनामे पर हस्ताक्षर किए और उन्हें पता भी नहीं है। सब जानते हैं कि तीस्ता सीतलवाड़ की NGO ये सब कर रही थी और उस समय की आई यूपीए की सरकार ने NGO की बहुत मदद की है। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ट्रेन में आग लगने के बाद की घटनाएं पूर्व नियोजित नहीं बल्कि स्वप्रेरित थी और तहलका द्वारा स्टिंग ऑपरेशन को भी खारिज कर दिया क्योंकि इसके आगे-पीछे का जब फुटेज आया तब पता चला कि ये स्टिंग राजनीतिक उद्देश्य से किया गया था।”
अमित शाह ने गुजरात दंगों में सेना को नहीं बुलाने के सवाल के जवाब में कहा कि हमने कोई लेटलतीफी नहीं की, जिस दिन गुजरात बंद का एलान हुआ था उसी दिन हमने सेना को बुला लिया था। गुजरात सरकार ने एक दिन की भी देरी नहीं की थी और कोर्ट ने भी इसका प्रोत्साहन किया है।
दंगे में मुसलमानों के मारे जाने के सवाल पर अमित शाह ने कहा कि, “दंगों का मूल कारण गोधरा ट्रेन का जला देना था। 16 दिन की बच्ची, 60 लोगों को जलते मैंने देखा है। मैंने अपने हाथों से अंतिम संस्कार किया है। उन्होंने कहा कि, “जिस तरह से 60 लोगों को जिंदा जला दिया था उसका समाज में आक्रोश था। जब तक दंगे नहीं हुए तब तक किसी ने इसका क्रिटिसिज्म भी नहीं किया, बीजेपी को छोड़कर। उस वक्त संसद चल रही थी, किसी ने निंदा नहीं की, कांग्रेस पार्टी का कोई स्टेटमेंट नहीं था।
अमित शाह ने कहा कि सब कुछ स्थिति को नियंत्रित करने के लिए किया गया था, इसे नियंत्रित करने में समय लगता है। पूर्व पंजाब DGP, केपीएस गिल का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि, “गिल साहब ने कहा था कि उन्होंने कभी भी इससे ज्यादा तटस्थ और त्वरित कार्रवाई अपने जीवन में नहीं देखी, फिर भी उन पर आरोप लगाए गए। हमारी सरकार आने के बाद SIT बनी। ये लोग हम पर आरोप लगा रहे हैं? दिल्ली में सिख दंगों का जिक्र करते हुए अमित शाह ने तत्कालीन कांग्रेस सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि दिल्ली में सेना का मुख्यालय है, जब इतने सारे सिख भाइयों को मार दिया गया, 3 दिन तक कुछ नहीं हुआ।”
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कांग्रेस और राहुल गांधी पर तंज कसते हुए कहा कि गुजरात दंगों को लेकर पीएम मोदी SIT के सामने कोई नाटक करते हुए नहीं गए थे कि मेरे समर्थन में आओ और धरना दो। हमारा मानना था कि हमें कानूनी प्रक्रिया में सहयोग करना चाहिए। अगर SIT सीएम से सवाल करना चाहती है तो सीएम खुद सहयोग करने को तैयार है तो फिर आंदोलन किस चीज का? मोदी जी की भी पूछताछ हुई थी लेकिन तब किसी ने धरना-प्रदर्शन नहीं किया था और हमने कानून को सहयोग दिया और मेरी भी गिरफ़्तारी हुई थी लेकिन कोई भी धरना-प्रदर्शन नहीं हुआ था।