यूपी के आगामी महासमर के लिए चुनाव प्रचार जोर-शोर से जारी है। हर पार्टी अपनी पूरी-पूरी ताकत झोंक रही है। सभी स्टार प्रचारकों को मैदान में उतार दिया गया है। बीजेपी की ओर से जहाँ पीएम मोदी और योगी आदित्यनाथ ने मोर्चा संभाल लिया है। वहीं समाजवादी की तरफ से अखिलेश यादव उनके स्टार कैंपेनर बने हुए हैं। लगातार घमासान देखने को मिल रहा है। शब्दबाण छोड़े जा रहे हैं और लगातार एक दूसरे को पछाड़ने की कोशिश भी चल रही है। इसी बीच सरकार को लेकर अपराध आंकड़े भी पेश किए गए हैं। एनसीआरबी यानि नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो की ओर से आंकड़े पेश हुए हैं कि किस तरह के अपराध में कितने मामले दर्ज किए गए हैं। आइए आपको बताते हैं कि योगी और अखिलेश में से किस ने कानून व्यवस्था के मामले में बाजी मारी और कौन रहा फिसड्डी।
शुरुआत करते हैं सीएम योगी से। सीएम योगी अपने भाषणों में जिन बातों का बार-बार जिक्र करते हैं, उनमें से एक लॉ एंड ऑर्डर एक प्रमुख मुद्दा है। वह बार-बार माफियाओं पर हुई कुर्की की कार्यवाही को की दुहाई देते हैं। योगी प्रदेश को अपराध मुक्त बनाने की बात करते हैं। क्योंकि एनसीआरबी ने सितंबर में यह आंकड़े पेश किए थे इसलिए 4 सालों के आंकड़े ही होगी के मामले में मौजूद हैं। योगी सरकार में 340700 के करीब मामले आईपीसी की धाराओं में दर्ज किए गए हैं। म हिंसक वारदातों की संख्या 60 हजार के करीब रही। किडनैपिंग के करीब 18000 मामले दर्ज किए गए। इतना ही नहीं करीब 50000 मामले चोरी के भी दर्ज किए गए। साढ़े 3000 मामले दुष्कर्म के भी दर्ज हुए हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराधों की बात करें तो करीब 56000 से ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं। अन्य मामलों में भी 7000 केस दर्ज किए गए हैं।
अब बात करते हैं अखिलेश यादव की। अखिलेश यादव ने लॉ एंड ऑर्डर को लेकर कई काम किए। वह ऐसा अक्सर दावा करते हैं। उनका दावा है कि उन्होंने 112 शुरू किया, उन्होंने 1090 हेल्पलाइन शुरू की, जिसका हेड क्वार्टर उन्होंने लखनऊ में बनाया था। ऐसे में आंकड़ों की नजर से भी जानना जरूरी है कि उनका रिकॉर्ड कैसा रहा। अखिलेश यादव की सरकार में करीब 238000 मामले दर्ज किए गए। हिंसक वारदातों की बात करें तो हर साल करीब 45000 मामले दर्ज किए जाते रहे। इसी तरह किडनैपिंग के केस में करीब 13000 मामले हर साल दर्ज हुए। वहीं दुष्कर्म के करीब 3000 से अधिक मामले अखिलेश यादव की सरकार में दर्ज हुए। जब अखिलेश यादव सीएम थे, उस दौरान हर साल औसतन 6000 से ज्यादा दंगों के मामले दर्ज किए गए। इनमें मुजफ्फरनगर कांड भी शामिल था, जिसमें 50 से अधिक लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था।
अब बात कर लेते हैं बसपा प्रमुख मायावती की। यूं तो वह राजनीतिक रूप से इन दिनों नेपथ्य में हैं। लेकिन बावजूद इसके, एक शीर्ष दलित नेता होने के नाते उनका ज़िक्र करना बहुत जरूरी हो जाता है। अगर आंकड़ों की बात कर ली जाए तो मायावती के राज में किडनैपिंग के करीब 6000 मामले, चोरी के 16000 मामले और दुष्कर्म की बात करें तो करीब 1000 मामले हर साल दर्ज किए जाते रहे। लोगों के खिलाफ अपराध की बात करें, इसमें भी मायावती का रिकॉर्ड काफी बेहतर नज़र आता है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों में काफी कमी देखी गई और महज 22 हजार के करीब मामले दर्ज किए गए। उपरोक्त आंकड़े बताने के बाद अब हम आप पर छोड़ते हैं कि आप किसको कितने नंबर देते हैं। आपका इस पूरे मामले पर क्या कहना है आप हमें कमेंट करके जरूर बताएं। इस रिपोर्ट में फ़िलहाल इतना ही। आप देखते रहिए इवोक टीवी।