ED का निशाना बने तृणमूल कांग्रेस के पूर्व नेता पार्थ चटर्जी अपने ही बयान में फंस चुके हैं। ED की पूछताछ में खुलासा हुआ…. कि पार्थ ने कबूल किया है कि यह पैसे उनके नहीं बल्कि पार्टी के हैं। जबकि शुरूआती दौर में पार्थ कुछ और ही बता रहे थे।
ED की पूछताछ के दौरान, पार्थ ने बताया कि तृणमूल कांग्रेस में पार्टी के शीर्ष नेतृत्व सहित सभी को उसकी गतिविधियों की जानकारी थी। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि टीएमसी के साथी सदस्यों को पता था कि अयोग्य उम्मीदवारों को सरकारी स्कूल में नौकरी देने के बदले पैसे वसूले जाते थे। लेकिन फिर भी कोई कार्यवाई नहीं की गई।
वहीं ED के एक अधिकारी ने यह भी खुलासा किया कि पार्थ ने कबूला है कि, “पैसा दूसरों द्वारा भी एकत्र किया गया और उसे भेजा गया। उन्हें पैसे सुरक्षित रखने के निर्देश दिए गए थे। बाद में ‘पार्टी’ के इस्तेमाल के लिए सैकड़ों करोड़ ले लिए गए। कुल धनराशि का केवल एक छोटा सा हिस्सा ही जब्त किया गया है।”
अब सवाल उठता है कि पार्थ के इस कबूलनामे के बाद, बंगाल में पार्टी का क्या भविष्य होगा। TMC प्रमुख ममता बनर्जी ने पार्थ को पार्टी से निकाल कर पल्ला झाड़ने की कोशिश की हैं। पार्थ और पैसों पर सवाल पूछे जाने पर ममता ने कहा कि, “हमने उनको हटाया क्योंकि तृणमूल कांग्रेस एक सख्त पार्टी है। इसको बदला नहीं जा सकता। यह बड़ा गेम है, जिसके बारे में अभी ज्यादा बात नहीं की जाएगी।”
जानकार कहते हैं कि भले ही ममता लाख कोशिश करें पार्टी की साख बचाने की। लेकिन, पार्थ के कबूलनामे से पार्टी का भविष्य अधर में दिख रहा है। जिस TMC प्रमुख ममता बनर्जी की साफ-सुथरी छवि को दिखाकर अगले आम चुनाव में पीएम पद का चेहरा बनाने की मांग की जा रही थी। आज उन्ही के एक दमदार नेता के कारण पार्टी दागदार हो चुकी है।