आपने ज्यादातर आपने कुंभ के मेले में नागा सन्यासियों को देखा होगा हालांकि यह बात और है कि कुंभ मेला समाप्त होता ही है हम तौर पर अपने अपने अखाड़ों की ओर लौट जाते हैं और हमें देख नहीं पाते आपको बता देना का सन्यासी वही होता है जो जनता के सामने ना आकर भी धर्म की रक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं इन्हीं के दम पर हम अपने त्यौहार और रीति-रिवाजों को आजादी से मना पाते हैं लेकिन क्या आप जानते हैं अतीत में भी हजारों सालों से लगा सन्यासी धर्म की रक्षा करते चले आ रहे हैं जब जब बाहर के आक्रमणकारियों ने धर्म नष्ट करने की कोशिश की तो इन्होंने अपनी जान पर खेलकर धन की रक्षा की है आइए आपको बताते हैं कुछ ऐसे ही टॉप 10 युद्धों के बारे में।
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1. सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में बहादुरी के लिए मशहूर राणा प्रताप ने जब मुगलों के खिलाफ युद्ध छेड़ा था, तो नागाओं ने उनका आगे बढ़कर साथ दिया था। जिसके बाद मुगलों के छक्के छूट गए थे। राजस्थान में पंचमहुआ इलाके में छापली तालाब व राणाकड़ा घाट के बीच में हुए युद्ध में वहां मारे गए नागा साधुओं की समाधियां आज भी वहां ज्यों की त्यों देखी जा सकती हैं।
2. औरंगजेब ने जब बनारस के विश्वनाथ मंदिर पर हमला किया तो महानिर्वाणी दशनामी अखाड़े के संन्यासी रक्षा के लिए सामने आए। संघर्ष इतना विकट रहा कि औरंगजेब को मंदिर नष्ट करने का सपना छोड़ना पड़ा। मुगल सेना को आधी-अधूरी कामयाबी ही मिल गाई। इन्हीं संन्यासियों ने वाराणसी शहर की रक्षा भी की। इस युद्ध में करीब 40 हजार नागा सन्यासियों ने अपने प्राणों की कुर्बानी दी थी। इसे बैटल ऑफ ज्ञानवापी कहा जाता है। इस लड़ाई में औरंगजेब की सेना को मुंह की खानी पड़ी थी। ब्रिटिश हिस्टोरियन जेम्स जे लाचफेल्ड ने भी अपनी किताब The illustrated encyclopedia of hinduism – volume one में इस बात की तस्दीक की है।
3. आपको बता दें ये संघर्ष सिर्फ उत्तर भारत तक सीमित नहीं था। बंगाल में भी उन्होंने अपने जौहर दिखाए। बंगाल में भी अत्याचारों के खिलाफ सन्यासी युद्ध काफी मशहूर है। बंकिम चंद्र चटर्जी ने इसी के ऊपर किताब आनंदमठ लिखी थी। आपको बता दें हमारा राष्ट्रगीत वंदे मातरम भी आनंदमठ से ही लिया गया है।
4. अयोध्या में भी राम जन्मभूमि को बचाने के लिए नागा साधुओं ने अपना भारी बलिदान दिया था। संत बालानंद ने गुरु भाई मानादास आक्रमणकारियों के खिलाफ जमकर जमकर संघर्ष किया था। इन्होंने राम मंदिर को सफलतापूर्वक बचा लिया।
5.राम मंदिर के लिए सालों-साल तक चले लंबे संघर्ष हुए। इस बीच 76 बड़े युद्ध लड़े हुए। जिसमें बाबा वैष्णवदास, संत बलरामाचार्य, स्वामी महेशानंद, राजगुरु पं. देवीदीन पांडेय जैसे कई संन्यासी योद्धाओं ने विदेशियों से जूझते हुए अपना सर्वस्व कुर्बान कर दिया और धर्म की रक्षा की।
6 साल 1666 में भी हरिद्वार कुंभ के मेले पर औरंगजेब के सिपाहियों ने हमला किया। तब नागा संन्यासियों ने साधु संतों को एकत्र करके युद्ध किया और धर्म के नाम पर आक्रमण करने वाली विदेशी फौज को भगा दिया।
7. ये बात है 1751 की। उन दिनों अहमद अली बंगस ने प्रयाग यानि इलाहाबाद पर हमला कर दिया था। उस समय कुंभ का मेला चल रहा था। तभी संत राजेन्द्र गिरि के नेतृत्व में 50 हजार नागा संन्यासियों ने मोर्चा संभाला और और बंगस की फौज को मार भगाया।
8. 1757 में अफगानिस्तान से आए लुटेरे शासकअहमद शाह अब्दाली ने दिल्ली पर हमला कर दिया था। मुगल शासक उसका लोड नहीं ले पाया। दिल्ली कब्जाने के बाद अब्दाली की सेना भगवान कृष्ण के शहर मथुरा को बर्बाद करने के लिए आगे बढ़ चली थी। तब नागा संन्यासियों ने उनका डटकर सामना किया और अब्दाली की लुटेरी फौज को ऐसी धूल चटाई कि उनके बीच हैजा भी फैल गया था। इस सबसे डर कर अब्दाली की सेना भाग खड़ी हुई