पंजाब में अभी सियासी सरगर्मियां काफी तेज़ हो गई हैं। पंजाब सीएम भगवंत मान ने जो सीट खाली की थी उसके परिणाम आ चुके है। संगरूर लोकसभा उपचुनाव में शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष और पूर्व आईपीएस अधिकारी सिमरनजीत सिंह मान ने जीत हासिल की। ये वहीं सिमरनजीत सिंह हैं जो पंजाब में खुलेआम खालिस्तान की माँग करते आए हैं। सिमरनजीत ने चुनाव जीतने के बाद मीडिया में कहा कि ये खालिस्तानी जरनैल सिंह भिंडरावाले की दी गई सीख की जीत हुई है।
उन्होंने कहा कि, “ये जीत हमारे पार्टी कार्यकर्ताओं की है और जरनैल सिंह भिंडरावाले ने जो सीख दी उसकी है।”
इस वीडियो को देखने के बाद लोग हैरान हैं कि कैसे एक ऐसा व्यक्ति देश में विधायक चुना जा सकता है जो देश को तोड़ने के सपने देखे। मान को लेकर कहा जा रहा है कि सिमरनजीत को तो तुरंत बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए। ये खुलेआम खालिस्तान की बातें कर रहा है।
सिमरनजीत सिंह मान ने आप सहित सभी को भारी अंतर से हराया
खालिस्तान समर्थक सिमरनजीत ने 23 साल में अपनी पहली चुनावी जीत दर्ज करते हुए आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी समेत कई दलों के प्रत्याशियों को हराया। बता दें कि पंजाब में भगवंत मान के मुख्यमंत्री बनने के बाद संगरूर की सीट खाली थी। ऐसे में उपचुनावों में SAD से सिमरनजीत सिंह मान ने चुनाव लड़ा और 7,10,825 वोटो में से 2, 52, 898 पाकर जीत हासिल की। बाकी बची पार्टियों के प्रत्याशियों में से आप के गुरमैल सिंह को 2, 46, 828 वोट मिले जबकि भाजपा के केवल ढिल्लों को 66, 171 वोट मिले, वहीं कॉन्ग्रेस के दलवीर सिंह गोल्डी के हिस्से 78,844 वोट आए।
चुनाव के दौरान सिद्धू मूसेवाला के नाम का किया था इस्तेमाल
मालूम हो कि सिमरनजीत सिंह मान ने पिछले दिनों चुनाव के मद्देनजर दीप सिद्धू और सिद्धू मूसेवाला का बढ़ चढ़कर नाम अपने सोशल मीडिया पर इस्तेमाल किया था। इसके अलावा सिमरनजीत की पहले की प्रोफाइल देखें तो पता चलेगा कि वो हमेशा से खालिस्तानी समर्थकों में आए हैं। ऑपरेशन ब्लू स्टार के कारण उन्होंने पुलिस की नौकरी छोड़ दी थी। इतना ही नहीं उनकी पार्टी के ऊपर ब्लू स्टार की बरसी पर स्वर्ण मंदिर में खालिस्तानी नारे लगाने के इल्जाम भी लगते रहे हैं। उनके कई सोशल मीडिया पोस्ट में खुलेआम खालिस्तान को माँगा गया है।
बता दें कि आपरेशन ब्लू स्टार भारतीय सेना द्वारा 3 से 6 जून 1984 को अमृतसर स्थित हरिमंदिर साहिब परिसर को ख़ालिस्तान समर्थक जनरैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों से मुक्त कराने के लिए चलाया गया अभियान था। पंजाब में भिंडरावाले के नेतृत्व में अलगाववादी ताकतें सशक्त हो रही थीं जिन्हें पाकिस्तान से समर्थन मिल रहा था।
इसके अलावा भिंडरावाले के पोस्टों में खालिस्तानियों के लिए संवेदना साफ दिखती है। एक पोस्ट में तो सिमरनजीत ने ये भी दिखाने का प्रयास किया था कि हिंदू राष्ट्र में सिखों के हाल बुरे हैं। उन्होंने कहा था कि हिंदुओं को लगता है कि वह सिखों को मशीन गन से डरा देंगे और इससे वह खालिस्तान की माँग नहीं करेंगे। रिपोर्ट यह भी बताती हैं कि वह देशद्रोह जैसे आरोप समेत कई आरोपों में 30 से ज्यादा बार पकड़ा गया था लेकिन उसे कभी दोषी नहीं करार दिया गया।
33 साल पहले कृपाण के साथ संसद में प्रवेश करने की अनुमति नहीं मिलने पर दिया था इस्तीफा
इससे पहले भी पंजाब की संगरूर लोकसभा सीट से सिमरनजीत सिंह मान को जीत मिली है। लेकिन वहीँ पुराना सवाल फिर सबके सामने है। 33 साल पहले 1989 में तत्कालीन प्रधानमंत्री वी पी सिंह सरकार के दौरान भी पंजाब की तरनतारन सीट से पहली बार सांसद चुने गए थे और तब जेल में रहते हुए ही उन्होंने वो चुनाव जीता था। लेकिन तब वे इस बात पर अड़ गए थे कि अपनी तीन फुट लंबी कृपाण यानि तलवार के साथ ही वे संसद में प्रवेश करेंगे। लंबी जद्दोजहद के बाद भी उन्हें इसकी अनुमति नहीं मिली। इसका विरोध जताते हुए उन्होंने सदन की किसी बैठक में हिस्सा लिए बगैर ही अपनी सांसदी से इस्तीफा दे दिया था।
1990 में आतंकियों को तलाश नहीं करने की दी थी जगमोहन को सलाह
खालिस्तानी समर्थक सिमरनजीत ने अपनी विद्रोही मानसिकता 1990 में भी दिखाई थी जब कश्मीर में कश्मीरी हिंदुओं का नरसंहार किया गया था। 1990 के राज्यपाल रहे जगमोहन अपनी किताब ‘माइ फ्रोज़न टर्ब्युलन्स इन कश्मीर’ में लिखते हैं कि कैसे सिमरनजीत सिंह मान 26 जनवरी, 1990 के विद्रोह की योजना से दो दिन पहले जम्मू-कश्मीर में दिखाई दिए। जब वह राज्यपाल से मिल रहे थे, तो जिहादियों द्वारा वायु सेना के चार जवानों की गोली मारकर हत्या करने की खबर आई। मान ने तुरंत जगमोहन को सलाह दी कि, “वे आतंकवादियों की तलाशी का आदेश न दें।”
इससे साफ-साफ सिमरनजीत सिंह मान की देश विरोधी मानसिकता को देखा जा सकता है। वह हमेशा से खालिस्तानियों और आतंकवादियों का समर्थन करते रहे हैं। ऐसे में उसका संगरूर लोकसभा उपचुनाव में इतनी बड़ी जीत हासिल करना अपने आप में बेहद गंभीर मुद्दा है। वहां की जनता जिस तरह इसका समर्थन कर रही है यह देश के लिए एक चेतावनी है।