देश भर में जनसंख्या का विषय चर्चा में बना हुआ है। इसको लेकर 3 बातें तेजी से फैल रही हैं। पहली, संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट जिसमें साफ तौर पर कहा गया है कि….. 2023 तक भारत चीन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला देश बन जाएगा। दूसरी बात यह कि, केंद्र सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कानून लाने की तैयारी में है। और तीसरी है, स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च।
जहां देश में बढ़ती जनसंख्या को कंट्रोल करने के लिए कानून लाने की तैयारी की जा रही है और चीन से आगे निकलने की बात पर चिंता व्यक्त की जा रही है। वहीं, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी की रिसर्च यह खुलासा करती है कि, अगले 78 सालों में भारत की जनसंख्या में इतनी गिरावट होगी जिसकी कल्पना करना मुश्किल होगा।
रिसर्च में कहा गया है कि, सदी के अंत यानि 2100 तक भारत की आबादी 41 करोड़ तक घट जाएगी। वर्तमान में एक वर्ग किलोमीटर में औसतन 476 लोगों की आबादी निवास करती है। 2100 तक पहुंचते-पहुंचते देश में यह आंकड़ा 335 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी रह जाएगा।
ये आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ भारत में ही नहीं, दुनिया के बड़े देशों में भी जनसंख्या घनत्व सदी के अंत में घटेगा। इसका सबसे ज्यादा असर देश के 4 प्रमुख देशों पर पड़ेगा। इनमें भारत समेत चीन, जापान और अमेरिका शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र के पॉप्युलेशन डिवीजन के मुताबिक, सदी के अंत में भारत, चीन और दुनिया की प्रजनन दर में कमी आएगी। वर्तमान में भारत में जन्मदर प्रति महिला 1.5 है जो 2100 में घटकर 1.19 रह जाएगी। वहीं, चीन में इसकी वर्तमान स्थिति 1.0 है जो सदी के अंत तक 0.98 तक पहुंच जाएगी। वर्तमान में दुनिया की प्रजनन दर की बात करें तो यह 2.0 है, 78 साल बाद यह घटकर 1.36 रह जाएगी।
यूनाइटेड नेशंस पॉपुलेशन फंड की रिपोर्ट कहती है, पिछले 70 सालों का रिकॉर्ड देखे तो दुनियाभर की आबादी में तीन गुना इजाफा हुआ है। यानि आबादी का आंकड़ा 795 करोड़ पहुंच चुका है। इनमें से 65 फीसदी आबादी ऐसी है जिनकी उम्र 15 से 64 साल के बीच है। वहीं, मात्र 10 फीसदी ऐसे हैं जिनकी उम्र 65 साल के ऊपर हैं। यदि 2023 तक भारत आबादी के मामले में चीन को पीछे छोड़ दिया तो यह भारत के लिए बेहद चिंतापूर्ण विषय होगा।