बीजेपी की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के पैगम्बर मोहम्मद पर दिए बयान को लेकर सुप्रीम कोर्ट द्वारा बड़ा ही ओछा निर्णय सुनाया गया। उदयपुर में कन्हैया लाल का गला मोहम्मद रियाज और गौस मोहम्मद ने काट डाला और एक वीडियो बनाकर दुनिया को बताया भी। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए नूपुर शर्मा को जिम्मेदार बताया है। और कहा कि यह उनकी ही लगाई आग है और इसके लिए उन्हें देश से माफी माँगनी चाहिए।
बीते 28 जून को उदयपुर में हुई बर्बर हत्या के लिए अदालत नूपुर शर्मा के उस बयान का हवाला दे रही थी जो उन्होंने शिवलिंग के अपमान के जबाव में एक टीवी डिबेट में दिया था। इसे कथित तौर पर ईशनिंदा माना गया। उन्हें दुनिया भर से धमकी मिली और तो और बीजेपी ने भी निलंबित कर दिया। वहीं दो सदस्यों की पीठ ने कट्टरपंथी तत्वों और उनके द्वारा अंजाम दी जा रही हिंसा को एक किनारे रखते हुए केस पर अपनी टिप्पणी की और देश के हालातों के लिए नुपूर शर्मा को जिम्मेदार बताया।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के दो न्यायाधीशों में से एक, जिसने नूपुर शर्मा को उपदेश जारी किया, उन्हें अतीत में महाभियोग का सामना करना पड़ा है?
साल 2015 में, गुजरात उच्च न्यायालय के तत्कालीन न्यायाधीश, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला को राज्यसभा सदस्यों के महाभियोग प्रस्ताव की मांग के डर से आरक्षण पर की गई अपनी टिप्पणियों को हटाना पड़ा था। उस समय, राज्यसभा के 58 सदस्यों ने न्यायमूर्ति पारदीवाला के खिलाफ ‘आरक्षण के मुद्दे पर आपत्तिजनक टिप्पणी’ के लिए महाभियोग का नोटिस दिया था।
वहीं उनकी ताजा टिप्पणी पूरी तरह से आपत्तिजनक है। संसद को ऐसे पक्षपाती न्यायधीशों के खिलाफ एक प्रस्ताव लाना चाहिए और इस तरह के गैर-जिम्मेदार, अनिश्चित और पक्षपातपूर्ण व्यवहार के लिए उन पर महाभियोग चलाना चाहिए। यकीन नहीं होता कि इस सरकार में इतना साहसिक कदम उठाने की भूख है, लेकिन अगर वे ऐसा करती हैं तो यह भारतीय न्यायपालिका के इतिहास में छठा ऐसा कदम होगा और न्यायमूर्ति पारदीवाला के लिए दूसरा।
न्यायमूर्ति पारदीवाला के अलावा भी कई ऐसे न्यायाधीश जिन्हें महाभियोग की कार्रवाई झेलनी पड़ी है। तो चलिए आपको बताते हैं उन न्यायाधीशों के बारे में जिनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही हुई।
- वी. रामास्वामी जे पहले न्यायाधीश थे जिनके खिलाफ महाभियोग की कार्यवाही शुरू की गई थी। 1993 में प्रस्ताव लोकसभा में लाया गया था, लेकिन आवश्यक दो-तिहाई बहुमत हासिल करने में विफल रहा।
- कलकत्ता उच्च न्यायालय के सौमित्र सेन जे ने 2011 में राज्यसभा द्वारा उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पारित करने के बाद इस्तीफा दे दिया। वह पहले न्यायाधीश थे जिन पर कदाचार के लिए उच्च सदन द्वारा महाभियोग लगाया गया था।
- 2017 में, राज्यसभा सांसदों ने सी.वी. आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के लिए उच्च न्यायालय के नागार्जुन रेड्डी जे के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाया था।
- मार्च 2018 में, विपक्षी दलों ने दीपक मिश्रा CJI के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए एक मसौदा प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किया था।