भाजपा ने पूर्वांचल से अपने प्रत्याशियों की एक लिस्ट और जारी कर दी है। इसमें कई जाने-माने नाम हैं। लेकिन उसमें से जो सबसे चर्चित नाम है , वह है दयाशंकर सिंह का जी हां, वही दयाशंकर सिंह जो योगी सरकार में चर्चित मंत्री और लखनऊ के सरोजनी नगर सीट से विधायक स्वाति सिंह के पति हैं। दयाशंकर सिंह जिनका अपनी पत्नी स्वाति सिंह से उनके मंत्री बनने के बाद से ही झगड़ा चल रहा है जिसकी खबरें मीडिया में रह-रहकर आती रहती हैं। बीते दिनों जब लखनऊ की सीटों पर बीजेपी प्रत्याशियों की घोषणा कर रही थी तब स्वाति सिंह का भी टिकट काट दिया गया। बीजेपी ने साफ तौर पर तो इस बारे में कुछ नहीं कहा, लेकिन कहा जा रहा था कि सरोजनी नगर सीट पर स्वाति सिंह और उनके पति दयाशंकर सिंह दोनों ही टिकट मांग रहे थे। इस धर्म संकट से बचने के लिए बीजेपी ने इन दोनों का टिकट काटते हुए ईडी से वीआरस लेकर आए अफसर राजेश्वर सिंह को मौका दिया है।
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टिकट काटे जाने के बाद स्वाति सिंह ने कहा था वह 17 साल की उम्र से बीजेपी की कार्यकर्ता रहीं हैं। इसी दौरान उन्होंने एबीवीपी ज्वाइन कर लिया था पार्टी ने उन्हें टिकट दिया, जिताया और मंत्री भी बनाया। इससे ज्यादा उन्हें और क्या चाहिए! किसी भी कार्यकर्ता को पार्टी के फैसले पर सवाल नहीं उठाना चाहिए। इस तरह की बातें स्वाति सिंह ने कहीं थीं। लेकिन बीजेपी ने चौंकाते हुए स्वाति सिंह की बजाय उनके पति दयाशंकर सिंह को टिकट दे दिया है। आखिर बीजेपी को अपने सिटिंग एमएलए और मंत्री से ज्यादा भरोसा उसके पति पर कैसे? हालांकि माना जा रहा है कि दयाशंकर को पुराने कार्यकर्ता और संगठन पर मजबूत पकड़ होने के चलते टिकट दिया गया है। दयाशंकर सिंह फिलहाल प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष हैं लेकिन यह जानना काफी जरूरी है किस तरह से बीजेपी ने ये हैरान करने वाला फैसला लिया है।
हम हैरान करने वाला इसलिए कह रहे हैं क्योंकि दयाशंकर सिंह मात्र 6000 वोट पाकर पहले भी बुरी तरह चुनाव हार चुके हैं। आज हम आपको इस खबर में बताने जा रहे हैं तीन अहम कारण। जिस वजह से बीजेपी के इस फैसले पर सवाल उठ रहे हैं। अधिक जानकारी के लिए देखिए विशाल शुक्ला की ये रिपोर्ट।
सबसे पहला कारण जातिगत समीकरणों को लेकर खड़ा हो रहा है। बीजेपी के फैसले के बाद कहा जा रहा है कि उसके कोर वोटर्स में एक मैसेज जा सकता है कि किस तरह से बीजेपी ने एक जीते हुए ब्राह्मण विधायक का टिकट काटकर एक ठाकुर नेता को टिकट दे दिया है। यहां पर बताना जरूरी है कि बलिया नगर से फिलहाल बीजेपी के युवा नेता आनंद स्वरूप शुक्ला विधायक थे। आनंद स्वरूप शुक्ला योगी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री भी रहे। लेकिन बलिया से टिकट काटकर उनको बैरिया विधानसभा सीट पर लड़ने के लिए भेजा गया है।
दूसरा कारण दूसरी सीटों की अदला बदली से जुड़ा हुआ है। इसके चलते भी बीजेपी के फैसले को कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि बलिया नगर से दयाशंकर सिंह को टिकट देने के लिए यहां से जीते हुए विधायक आनंद स्वरूप शुक्ला को बैरिया भेजा गया और बैरिया से वर्तमान बीजेपी विधायक सुरेंद्र सिंह का टिकट काट दिया गया। हालांकि सुरेंद्र सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। उन्होंने बाकायदा इसके लिए पर्चा भी दाखिल कर दिया है। सुरेंद्र सिंह और उनके समर्थकों का दावा है कि क्षेत्र पर अच्छी पकड़ होने के चलते वह चुनाव जरूर जीतेंगे। याद दिलाते चलें कि सुरेंद्र सिंह लगातार अपने बयानों के चलते मीडिया की सुर्खियों में छाए रहते थे।

तीसरा और आंकड़ों की नजर में अगर माने तो सबसे अहम कारण है दयाशंकर सिंह का पिछला प्रदर्शन। दयाशंकर सिंह पिछली बार जब चुनाव लड़े थे तब 6000 वोट पाकर टॉप 3 में भी जगह नहीं बना पाए थे। आपको बता दें पिछली बार दयाशंकर सिंह 2007 में यहां से चुनाव लड़े थे। तब वह 6000 वोट पाकर पांचवें नंबर पर रहे थे।
तब बहुजन समाज पार्टी की प्रत्याशी मंजू ने जीत दर्ज की थी। खास बात तो यह भी है कि दयाशंकर सिंह ने इसके बाद कभी बलिया सीट से चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं दिखाई। ऐसे में अचानक 15 साल बाद अचानक से यहां की राजनीति से दूर रहे दयाशंकर सिंह को क्या समझ कर टिकट दिया है? इस पर लगातार सवाल बना हुआ है। इसके साथ ही साथ स्वाति सिंह की ओर से भी तमाम तरह की बातें खड़ी हो सकती हैं। कहा जा रहा है महिला वोटरों के नाराज होने का एक अंदेशा बना हुआ है। इस रिपोर्ट में फ़िलहाल इतना ही। आप देखते रहिए इवोक टीवी।