मायावती यूपी की तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकी हैं। एक बार फिर यूपी चुनावों को देखते हुए वो मैदान में हैं। दो बार वो दूसरे दलों के सहयोग से और एक बार पूर्ण बहुमत की सरकार बना चुकी हैं। साल 2007 में मायावती की BSP ने पूर्ण बहुमत की सरकार बनाई थी। 2007 में उन्होंने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले के जरिए अपनी चुनावी नैया का बेड़ा पार लगाया था। मायावती की राजनीति में आने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। 70 के दशक में मायावती सिविल सर्विस की तैयारी कर रहीं थीं। उन दिनों कांशीराम बामसेफ नामक संगठन चलाया करते थे। मायावती ने उन दिनों एक भाषण दिया था। जिसकी चर्चा दूर-दूर तक थी। प्रिंट मीडिया ने भी इसे जमकर छापा। इसे पढ़कर मायावती से मिलने कांशीराम भी पहुंचे।

उन्होंने युवा मायावती से बामसेफ में शामिल होने का प्रस्ताव रखा। लेकिन बिना किसी पॉलिटिकल बैकग्राउंड वाली मायावती ने मना कर दिया। मायावती का परिवार भी इसे लेकर सहमत नहीं था। लेकिन बाद में कांशीराम ने जब इसे लेकर जोर दिया और भविष्य की अपनी प्लानिंग बताई तो मायावती इसके लिए तैयार हो गईं। इस तरह मायावती की पॉलीटिकल जर्नी शुरू हुई। हालांकि 90 के दशक में कांशीराम बीमार पड़ गए थे और बाद में आगे चलकर उन्होंने मायावती को अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। तब तक मायावती बसपा की उपाध्यक्ष हुआ करती थी और कांशीराम इस के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। इन्हीं दिनों BSP यूपी से बाहर दूसरे राज्यों में भी अपने पैर पसारने लगी थी। हालांकि यही वो समय था जब मायावती पर एक बहुत ही सनसनीखेज आरोप लगा। कांशीराम के परिवार ने उन्हें हाउस अरेस्ट करने का आरोप मायावती पर लगाया था। कांशीराम के परिवार का कहना था कि वो उन्हें किसी से मिलने नहीं देती थी। हालांकि मायावती ने इसका जो जवाब दिया वो भी काफी दिलचस्प था। जवाब जानने के लिए वीडियो को अंत तक देखते जाइए।

आगे की कहानी बताने से पहले ये जिक्र करना जरूरी है कि कांशीराम ने भी अपना परिवार युवा उम्र में ही छोड़ दिया था। उन्होंने दलितों-वंचितों के संघर्ष के लिए काम करने की ठानी। वो घर-बार छोड़कर निकल पड़े। उन्होंने पूरे देश में दलित समाज को संगठित करने का अभियान छेड़ दिया। इसके लिए बामसेफ नाम के संगठन की स्थापना की। अब आते हैं असल किस्से पर। वो 1996 का समय था। जब कांशीराम पहली बार लंबे समय के लिए बीमार पड़े। वो बिस्तर पर ही रहने लगे थे। लंबे समय से मायावती उनकी देखभाल करती थीं। काशीराम के परिवार ने उन्हें हाउस अरेस्ट करने का आरोप लगाया। तब मायावती ने इसका कड़ा जवाब दिया था। मायावती ने तब इसका जवाब देते हुए कहा था कि कांशीराम के घरवाले विरोधी पार्टियों से मिल गए हैं। विपक्षी दलों ने उन्हें लालच दिया है। उन्हें पैसे का लालच भी दिया गया है। वो कोर्ट तक भले पहुंच गए हैं लेकिन बहुजन समाज मेरे साथ खड़ा है।
ये भी पढ़ें: मायावती का योगी सरकार पर प्रहार, कहा दर्दनाक मौतों की ख़बरों से भरे पड़े अख़बार
कांशीराम के आखिरी दिनों में मायावती ने कहा था कि मैं उनका जिस तरह ध्यान रख रही हूं कई लोग कहते हैं एक बेटा भी ऐसे अपने पिता का ध्यान नहीं रख सकता। एम्स के डॉक्टरों की टीम आई थी। उसने जांच के बाद उन्हें दी जा रही दवाइयों को ओके किया है। मायावती ने ये भी कहा था कि विरोधी लोग किसी गड़बड़ आदमी को मेरे घर पर भेज सकते हैं। मेरे घर पर बम जैसी कोई चीज रखवाई जा सकती है। कांशीराम जी भी मेरे घर पर ही रहते हैं। हो सकता है मुझे और कांशीराम जी को उड़ा दिया जाए। हालांकि मायावती तक पहुंचने के लिए उन दिनों भी कड़े सिक्योरिटी चेक से गुजरना पड़ता था। क्योंकि उन दिनों भी उन्हें जेड प्लस सिक्योरिटी मिली हुई थी। इसलिए मायावती का ये लॉजिक ज्यादातर लोगों के गले नहीं उतरता। हालांकि कांशीराम ने अपने मरने से पहले वसीयत की थी। उस वसीयत को पढ़कर इतना तो साफ पता चलता है कि उनका अपने घर वालों से मोह खत्म हो चुका था। कांशीराम की वसीयत कुछ इस तरह से केवल 3 प्वाइंट्स में है …
1. मेरी ख्वाहिश है कि मायावती दीर्घायु होकर बहुजन मिशन के लिए काम करती रहे।
2. मेरी अस्थियां नदियों में ना बहाई जाए। इन्हें बहुजन समाज प्रेरणा केंद्र में रख दिया जाए।
3. मायावती की अस्थियां भी मेरे बगल में ही रखीं जाए।