नई दिल्ली: भारत के कर्नाटक राज्य में मुस्लिम छात्राओं के हिजाब पहनकर स्कूल और कॉलेजों में प्रतिबंध (Hijab controversy in karnataka) लगाने का मामला गर्माया हुआ है. हिजाब बनाम भगवा गमछा विवाद (Karnataka Hijab Vs Saffron Shawl Controversy) कर्नाटक हाई कोर्ट (Karnataka High Court) के बाद अब सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में पहुंच चुका है. लेकिन क्या आपको पता है? हिजाब पहनने का मुद्दा सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में पिछले कई वर्षों से विवाद का कारण बना हुआ है. इन्हीं देशों में से एक है ईरान. हिजाब को लेकर ईरान (Iran) में तो इतने हालात खराब हो गए थे कि साल 2017 में इसको लेकर लड़कियों ने क्रांति शुरू कर दी थी. इस क्रांति की शुरुआत ईरानी-अमेरिकी पत्रकार और महिला अधिकार कार्यकर्ता मसीह अलीनेजाद (Iranian-American journalist and anti-crusader Masih Alinejad) ने की थी. जिसके बाद ईरान (Iran Hijab Controversy) में विवाद इतना बढ़ गया था कि इसे दबाने के लिए अयातुल्ला खमनेई सरकार को ताकत का जोर लगाना पड़ा था. मौजूदा समय में भारत में जैसे तरह से हिजाब विवाद बढ़ता जा रहा है. उसके बाद सोशल मीडिया पर मसीह अलीनेजाद के उस भाषण की चर्चा हो रही है जो उन्होंने साल 2016 में यूरोपियन पार्लियामेंट (European Parliament) में दी थी. उन्होंने कहा था कि हिजाब जुल्म का सबसे साफ दिखने वाला प्रतीक है और हमें इस दीवार को गिराना होगा.
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All my sisters who have the experienced the brutally under Sharia laws are now united. Women of Iran, Afghanistan and all Middle Eastern who still get lashes, jailed, killed and Kicked out from their homeland for demanding freedom and dignity now asking the world: #LetUsTalk pic.twitter.com/pOT4BFp0kM— Masih Alinejad 🏳️ (@AlinejadMasih) January 18, 2022
साल 2016 को यूरोपीय संसद के एक पैनल में, ईरानी-अमेरिकी पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने उन महिला राजनेताओं को चुनौती दी थी, जिन्होंने हिजाब पहनकर ईरान के बर्बर कानूनों को वैध ठहराया था।
संसद में बोलते हुए मसीह ने हिजाब पहनने के खिलाफ कहा था कि “मैं यहां किसी भी महिला को हिजाब पहने नहीं देख सकती, लेकिन हम यहां उनकी बात कर रहे हैं और उनका समर्थन कर रहे हैं, जो शानदार है। लेकिन मेरे अपने देश में इस तरह की बातचीत कभी नहीं होती है। इसलिए उन महिलाओं का समर्थन करना जो हिजाब नहीं पहनती हैं, वह महत्वपूर्ण है। मैं कहना चाहती हूं कि मैं पश्चिमी महिला नहीं हूं। मैं एक गांव में एक पारंपरिक परिवार में पली-बढ़ीं हूं, मेरे परिवार की सभी महिलाएं हिजाब पहनती हैं।
अपने भाषण में, ईरानी-अमेरिकी पत्रकार मसीह अलीनेजाद ने उल्लेख किया कि सात साल की उम्र में वह जिन महिलाओं को जानती थी, उन्हें उस उम्र में इस्लामी पोशाक हिजाब पहनने के लिए मजबूर किया गया था। उस समय मेरा सपना था कि मैं फ्रांस, बेल्जियम में अपनी मां के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलूं, बिना किसी बुरे जजमेंट के, जिन्हें इस्लामोफोबिया है और बिना गिरफ्तार हुए मुझे मेरे अपने देश में उनके साथ चलना है।”
उन्होंने पश्चिमी राजनेताओं से सवाल किया कि यूरोपीय राजनेताओं का कहना है कि अनिवार्य हिजाब एक घरेलू और आंतरिक मामला है। पर यह गलत है क्योंकि यह ईरानी महिलाओं के बारे में नहीं है। क्योंकि ईरान की सरकार सभी महिला पर्यटकों, महिला राजनेताओं, ईरान से बाहर रहने वाली सभी ईरानी महिलाओं को मजबूर करती है यदि वे ईरान के बाहर किसी भी दूतावास में है तो हिजाब पहनना अनिवार्य हैं. ऐसे में यह कैसे हो सकता है कि यह घरेलू मामला?”
मसीह ने पश्चिमी-उदारवादी राजनीतिक वर्ग के बारे में बोलते हुए अपने भाषण में कहा कि महिला राजनेताओं का कहना है कि मध्य पूर्व में हिजाब के मुद्दे से बड़ी समस्याएं हैं। मैं बड़ी समस्याओं के बारे में नहीं जानती, लेकिन किसने कहा कि हिजाब एक छोटी सी समस्या है। हम सिर्फ कपड़े के टुकड़े के लिए नहीं लड़ रहे हैं। बल्कि हम मानवीय गरिमा के लिए लड़ रहे हैं। हम अपनी पहचान के लिए लड़ रहे हैं क्योंकि जब आप सार्वजनिक रूप से बाहर जाना चाहते हैं, तब आप कुछ और बनना चाहते है। उन्होंने पूछा कि आप में से प्रत्येक, हर सुबह जब आप बाहर जाते हैं, तब आप क्या दुनिया की बड़ी समस्याओं के बारे में सोचते हैं? नहीं, आप अपने रूप-रंग के बारे में सोचते हैं और पोशाक के बारे में सोचते हैं। आप सोचते हैं कि आप क्या पहन सकते हैं। वो आपकी पहचान रहती है। किसने कहा कि यह ईरान में एक छोटा सा मुद्दा है?
मसीह के मुताबिक, अगर हिजाब एक छोटा मुद्दा है, तो वे इस दीवार को बचाए रखने के लिए लाखों डॉलर क्यों खर्च करते हैं? मेरे लिए, हिजाब एक दीवार है, और यह कोई आंतरिक मामला नहीं है। हमें एक साथ एकजुट होना है और इस दीवार को गिराना है। इसके बाद बाकी सब आसान हो जाएगा और ये समानता की ओर पहला कदम होगा।”
आपको जानकारी के लिए बता दें कि साल 2016 में ही मसीह अलीनेजाद ने सोशल मीडिया पर हिजाब पहनने के खिलाफ एक मुहिम शुरू की थी, जिसमें पुरुषों से अपना सर ढककर तस्वीरें साझा करने का आह्वान किया गया था. अलीनेजाद ईऱान में एक चर्चित फ़ेसबुक पेज \’माई स्टेल्थी फ़्रीडम\’ या \’मेरी गुप्त आज़ादी\’ चलाती हैं. जिसके लाखों followers हैं. अलीनेजाद के आह्वान के बाद कई पुरुषों ने हिजाब पहनकर #MeninHijab के साथ अपनी तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट की थी.
इससे पहले हाल ही में जनवरी 2022 में मसीह अलीनेजाद का एक वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ। जिसमें उन्होंने शरिया कानून की शक्ल में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार के खिलाफ आवाज उठाया था। अपने इस वीडियो को ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा था कि “इस्लामिक रिपब्लिक, तालिबान और आईएसआईएस हमें इसी तरह देखना चाहता है.” लेकिन फिर उन्होंने उस हिजाब को उतारा और कहा, ‘यह मेरा असली रूप है. ईरान में मुझसे कहा गया कि अगर मैं हिजाब उतारती हूं तो मुझे बालों से लटका दिया जाएगा, मुझ पर कोड़े बरसाए जाएंगे, जेल में डाल दिया जाएगा, जुर्माने लगेंगे, हिजाब नहीं पहनने पर पुलिस हर रोज मेरी पिटाइ करेगी, मुझे स्कूल से बाहर निकाल दिया जाएगा, साथ ही अगर मेरा रेप होता है तो वह मेरी गलती होगी.” उन्होंने आगे कहा कि मुझे सिखाया गया था कि अगर मैं अपना हिजाब निकालती हूं तो मैं अपनी मातृभूमि पर एक महिला की तरह नहीं रह सकूंगी.’
मसीह अलीनेजाद आगे कहतीं हैं कि यहां पश्चिम में भी मुझे चुप रहने को कहा गया. लोगों का मानना था कि अगर मैं इनके खिलाफ आवाज उठाती हूं और अपनी कहानियां लोगों तक पहुंचाती हूं तो इस्लामोफोबिया के लिए मैं ही जिम्मेदार होऊंगी. मैं मिडिल इस्ट की एक महिला हूं और मुझे इस्लामिक कानूनों से डर लगता है. फोबिया एक तर्कहीन डर होता है लेकिन मेरा और शरिया कानून के अंतर्गत रहने वाली मिडिल ईस्ट की कई महिलाओं के डर के पीछे तर्क हैं, लेट अस टॉक.’