ईवोट टीवी नेटवर्क : इन दिनों त्रिणमूल ने कांग्रेस बंगाल से बाहर दूसरे दलों के नेताओं को पार्टी में शामिल करने का अभियान चला रखा है। अभी ताजा मामलों में बिहार के दरभंगा लोकसभा सीट से तीन बार सांसद रह चुके कीर्ति झा आजाद, हरियाणा के प्रदेश कांग्रेस कमेटी के पूर्व अध्यक्ष व सिरसा से सांसद रह चुके अशोक तंवर और जनता दल यूनाइटेेड के पवन वर्मा त्रिणमूल कांग्रेस के होने जा रहे हैं। पार्टी की प्रमुख ममता बनर्जी अभी दिल्ली में जमी हुई हैं। इसके सियासी मायने साफ हैं कि ममता त्रिणमूल कांग्रेस पर लगे क्षेत्रीय पार्टी के ठप्पे को हटा कर उसे राष्ट्रीय फलक पर लाना चाहती हैं। साथ ही ममता खुद को प्रधानमंत्री पद का दावेदार के रूप में तैयार कर रही हैं।
त्रिणमूल कांग्रेस के इस अभियान में बड़ा सवाल यह है कि क्या ममता खुद पर और अपनी पार्टी पर लगे क्षेत्रवाद के दाग को धोने में सफल होंगी? क्या कीर्ति आजाद बिहार में और अशोक तंवर हरियाणा में त्रिणमूल को जगह दिला पाएंगे? बंगाल चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह और अन्य भाजपा नेताओं को बहिरागत यानी बाहरी कहना देश की जनता भूल जाएगी? हां, में जवाब मुश्किल है। ममता बनर्जी का खेला बंगाल से बाहर इतना आसान नहीं होगा।
ममता बनर्जी इन दिनों त्रिपुरा में भी बहुत हाथ-पांव मार रहीं हैं। गत दिनों कांग्रेस के कई नेताओं और कार्यकर्ताओं को त्रिणमूल कांग्रेस में शामिल किया गया था। इसे यह मान लेना त्रिणमूल की भूल होगी कि त्रिपुरा में पार्टी जम जाएगी। एक दिन पहले ही त्रिपुरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष बिरजीत सिन्हा ने वहां तृणमूल कांग्रेस को बाहरी बताकर ममता बनर्जी को आईना दिखाया। बहिरागत यानी बाहरी शब्द ममता बनर्जी के दामन पर ऐसा दाग हो गया, जिससे कीर्ति भी आजाद नहीं करा सकते। ममता अपने बयानों से क्षेत्रवाद के ऐसे भ्रंवर में फंस चुकी हैं कि उन्हें तंवर बाहर नहीं निकाल सकते।
यह और बात है कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से पहले कीर्ति आजाद समेत कांग्रेस के पूर्व सांसद अशोक तंवर का टीएमसी में शामिल होना कांग्रेस के लिए झटका है। कीर्ति आजाद कांग्रेस से पहले भारतीय जनता पार्टी में थे। कीर्ति आजाद भाजपा के ही टिकट पर तीन बार बिहार की दरभंगा सीट से निर्वाचित होकर संसद पहुंचे हैं। वर्ष 2014 में उन्होंने भाजपा के ही टिकट पर जीता भी था। दिसंबर 2015 में उन्हें भाजपा से बाहर किया गया था। भाजपा ने यह कार्रवाई उन पर तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली पर दिल्ली और डिस्ट्रिक क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीए) में अनियमितता पर निशाना साधने की वजह से किया था। क्रिकेटर से राजनेता बने कीर्ति आजाद 1983 में वर्ल्ड कप जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा भी थे।
दूसरी ओर कभी राहुल गांधी के करीबी रहे अशोक तंवर इसी वर्ष फरवरी में अपना भारत मोर्चा नाम से पार्टी बनाई थी। वर्ष 2019 में उन्होंने हरियाणा विधानसभा के बाद कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा से दिया था। इसके बाद उन्होंने दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी को अपना समर्थन दिया था।
जदयू के पूर्व महासचिव पवन वर्मा भी त्रिणमूल कांग्रेस में शामिल हो रहे हैं। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पूर्व सलाहकार और राज्यसभा के पूर्व सदस्य पवन को पिछले साल पार्टी से निष्कासित किया गया था।