उत्तर प्रदेश के बाहुबली नेता राजा भैया को कौन नहीं जानता। लगातार सात बार से विधायक हो रहे राजा भैया को आज तक कोई भी दिग्गज़ नहीं हरा पाया। हर पार्टी के बड़े-बड़े नेताओं ने अपना पूरा जोर लगा दिया। लेकिन वो राजा भैया को नहीं हरा सके। राजा भैया मुलायम सिंह यादव, कल्याण सिंह, राजनाथ सिंह, अखिलेश यादव की सरकार में मंत्री रह चुके हैं। राजा भैया के बारे में मशहूर है कि वो हर साल लगभग 101 गरीब लड़कियों की शादी भी करवाते हैं। राजा भैया प्रतापगढ़ के कुंडा विधानसभा सीट से विधायक चुने जा रहे हैं। वो भदरी सियासत के राजकुमार भी हैं। उनके पिता उदय प्रताप सिंह यहां के राजा हैं। राजा भैया अपने पिता के इकलौते पुत्र हैं। उनकी शादी बस्ती राजघराने में हुई है। उनकी पत्नी का नाम भवानी कुमारी है। राजा भैया के चार बच्चे हैं। दो बेटे और दो बेटियां। बेटे शिवराज और ब्रजराज। बेटी बृजेश्वरी और राधवी। राजा भैया की मां मंजुला देवी भी राजघराने से हैं। मंजुला देवी समथर राजघराने से आती हैं। समथर राजघराने के वारिस और कांग्रेस के विधायक रणजीत सिंह जूदेव राजा भैया के सगे मामा हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि राजा भैया की राजस्थान के मशहूर सिंधिया राजघराने से करीबी रिश्तेदारी है। राजा भैया के दबदबे से हर कोई परिचित है। तो वहीं सिंधिया राजघराना भी लंबे समय से राजनीति में रहा है। सिंधिया परिवार के वारिस ज्योतिरादित्य सिंधिया फिलहाल भाजपा सरकार में मंत्री हैं। वो हाल ही में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए थे। जिसके बाद उन्हें मंत्री और राज्यसभा सदस्य बनाया गया। आपको बता दें कि राजस्थान की वसुन्धरा राजे सिंधिया ज्योतिरादित्य सिंधिया की सगी बुआ हैं।
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राजा भैया की सगी ममेरी बहन की शादी वसुंधरा राजे सिंधिया के बेटे दुष्यंत सिंह से हुई है। दुष्यंत फिलहाल राजस्थान से भाजपा के लोकसभा सांसद हैं। राजा भैया की ममेरी बहन निहारिका सिंह जूदेव की शादी आज से 20 साल पहले सन 2000 में वसुंधरा राजे सिंधिया के बेटे दुष्यंत सिंह से हुई थी। हालांकि वो बात अलग है कि शादी के कुछ ही दिनों बाद वसुंधरा राजे सिंधिया और उनके पति हेमंत का तलाक हो गया था।
अगर रियासत और सियासत की बात की जाए तो यूपी और रियासतों का पुराना संबंध है। एक समय था जब प्रतापगढ़ और इलाहाबाद की रियासतों ने देश को मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री और राज्यपाल तक दिए। खुद राजा भैया के बाबा राज्यपाल रहे। हालांकि वो बात अलग है कि यदि आज उनकी राजनीति जिला पंचायतों और ब्लॉक स्तर तक सिमट गई है। वहीं कई रियासतों ने सियासत से पल्ला ही झाड़ लिया है। कभी मांडा राजघराने से आने वाले वीपी सिंह देश के प्रधानमंत्री हुआ करते थे। वो पहले यूपी के मुख्यमंत्री भी रहे। बाद में उनके बेटे अभय प्रताप सिंह ने राजनीति में आने की कोशिश की लेकिन उन्हें कोई खास सफलता हाथ नहीं लगी। वो बिजनेस की तरफ चले गए। आपको बता दें कि देश में मंडल कमंडल की राजनीति शुरू करने के लिए वीपी सिंह को ही जिम्मेदार माना जाता है। उन्होंने ही मंडल कमीशन की रिपोर्ट प्रधानमंत्री रहते हुए लागू की। कहते हैं पहले देश में चुनाव की घोषणा होती तो तो इस राज महल में उत्सव जैसा माहौल हुआ करता था। लेकिन अब यहां सन्नाटा पसरा रहता है। अभय प्रताप सिंह भी बिजनेस के कारण दूर-दूर ही रहते हैं। वो कभी कभार आते हैं। यहां तैनात कुछ कर्मचारी ही राज महल की देखभाल करते हैं।