कुछ ही घण्टों में आप अंधेरे में डूब जाएंगे। जी हां, आपने सही सुना! जल्द ही बिजली को लेकर हाहाकार मचने वाला है। लेकिन आप ही नहीं पूरे देश के साथ ये खेला होने वाला है। देश भर के बिजली इंजीनियरों ने हड़ताल अनाउंस कर दी ही। पूरे देश में कल यानि मंगलवार को बिजली की विकट समस्या खड़ी हो जाएगी। पूरे देश मे ये विरोध मोदी सरकार के नए बिजली संशोधन विधेयक को लेकर हो रहा है। इस हड़ताल में कोई हजार- दो हजार नहीं बल्कि 15 लाख बिजली एम्प्लाई और इंजीनियर शामिल होंगे।

इस बारे में बिजली एम्प्लाइज औऱ इंजीनियरों की नेशनल कोऑर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इम्प्लॉइज एंड इंजीनियर्स (NCCOEE) ने एक ऑनलाइन मीटिंग बुलाई थी, जिसमे ये फैसला किया गया है।
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आइये आपको इसके पीछे की असल वजह बताते हैं-
मोदी सरकार का इस बवाली बिल के पीछे लॉजिक है कि वो इसके जरिये बिजली सेक्टर में सुधार करने जा रही है। आसान शब्दों में कहें कि तो इस बिल के आने के बाद किसी भी प्रायवेट कम्पनी को बिजली डिस्ट्रीब्यूशन के पहले लाइसेंस लेने की शर्त खत्म हो जाएगी। इससे प्रायवेट प्लेयर्स बढ़ेंगे और ये सेक्टर मोबाइल फोन की तरह हो जाएगा यानि अगर किसी की सर्विस अच्छी नहीं लग रही है मसलन पॉवर कट ज्यादा है या बिल ज्यादा आ रहा है तो आप झट से अपना सर्विस प्रोवाइडर बदल सकेंगे।

लेकिन इसके पीछे बिजली एम्प्लॉयीज और इंजीनियरों की असोसिएशन का अपना अलग तर्क है। उनका कहना है कि देश के कई राज्यों में ये सिस्टम पहले से लागू है जो बुरी तरह फेल रहा है। दिल्ली इसका बड़ा उदाहरण है जहां कुछ साल पहले तक बिजली कम्पनियाँ बड़े पैमाने पर मनमाना बिल वसूलती थीं। असोसिएशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे कहते हैं कि इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003 में लाइसेंस सिस्टम करके कर बड़े पैमाने पर बिजली प्रोडक्शन का प्राइवेटाइजेशन किया गया था। आज देखिये हाल ये है कि पब्लिक प्रायवेट प्लेयर्स से बहुत महंगी बिजली खरीद रही है। सरकार अब जो करने जा रही है उससे किसानों और गरीब कस्टमर्स पर तगड़ी मार पड़ेगी।