यूपी के विधानसभा चुनावों को लेकर प्रतापगढ़ में भी माहौल पूरी तरह से गरमा गया है। जब भी प्रतापगढ़ की बात होती है तो कुंडा के राजा जानी राजा भैया का नाम सबसे पहले लिया जाता है। राजा भैया को कौन नहीं जानता। लगातार छह बार से निर्दलीय एक ही सीट से विधायक चुने जा रहे है राजा भैया राजनीति के शिखर पुरुष बन चुके हैं। लेकिन पिछले दिनों तब मामला काफी गरमा गया था जब अखिलेश यादव ने उन्हें पहचानने से इंकार कर दिया था। पत्रकारों ने अखिलेश से पूछा कि क्या वो राजा भैया के साथ गठबंधन करेंगे। तो अखिलेश यादव ने कहा था कौन हैं ये। आप किसकी बात कर रहे हो।
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हालांकि राजा भैया ने इसे लेकर कोई भी टिप्पणी नहीं की थी। और उन्होंने कहा था कि वो हमेशा से ही मुलायम सिंह यादव से मिलने उनके जन्मदिन पर जाते रहे हैं। इस बार कहीं बाहर होने के कारण अगले दिन गए थे। राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल को आरी चुनाव चिन्ह अलॉट कर दिया गया है। अब सवाल है कि क्या राजा भैया योगी आदित्यनाथ से अपनी दोस्ती निभाएंगे? अपडेट है कि उनकी पार्टी जनसत्ता दल आरी चुनाव चिन्ह पर उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में चुनाव लड़ने जा रही है। आपको बता दें कि आरी चुनाव चिन्ह इससे पहले भी राजा भैया के लिए काफी लकी साबित हुआ है।
2012 और 2017 का चुनाव भी जब राजा भैया ने निर्दलीय लड़ा था, तो उन्हें चुनाव निशान आवंटित किया गया था। 2012 के चुनाव में राजा भैया 83000 वोटों से जीते थे वहीं 2017 के चुनाव में वो 130000 वोटों से जीते थे दोनों ही बार आरी ने जबरदस्त काम कर दिया था। लेकिन असली सवाल तो ये है कि अब जबकि राजा भैया और भाजपा के बीच में गठबंधन नहीं हुआ है, क्या तब भी राजा भैया योगी आदित्यनाथ से अपनी दोस्ती निभाएंगे? संकेत तो कुछ ऐसे ही मिल रहे हैं। क्योंकि राजा भैया ने भी योगी आदित्यनाथ के खिलाफ अपना प्रत्याशी नहीं उतारने की घोषणा कर दी है। इसके अलावा योगी आदित्यनाथ भी कह चुके हैं कि राजा भैया के खिलाफ भाजपा का उम्मीदवार नहीं खड़ा किया जाएगा। ऐसे में काफी कुछ चीजें बिना कहे ही साफ हो जा रही हैं।
इतना ही नहीं कुछ समय पहले हुए जिला पंचायत चुनाव में भी भाजपा ने प्रदेश की 75 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज की थी। लेकिन अगर बात करें प्रतापगढ़ की तो यहां पर राजा भैया समर्थित उम्मीदवार माधुरी पटेल ने एक बार फिर जीत दर्ज की थी। आपको बता दें यहां बीते 25 सालों से जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर राजा भैया के लोग ही चुनाव जीतते रहे हैं। इस बार के चुनाव में बीजेपी के नेताओं ने आरोप लगाया था कि प्रतापगढ़ की पुलिस उनके खिलाफ काम कर रही है। बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता और अब यहां से सांसद संगम लाल गुप्ता धरने पर बैठ गए थे, लेकिन नतीजा सिफर ही रहा और राजा भैया अपने उम्मीदवार को चुनाव जिताने में एक बार फिर कामयाब रहे। ऐसे में एक बार फिर वह बात सही साबित होती दिखाई दे रही है कि राजनीति संभावनाओं का खेल है।