कल्याण सिंह (kalyan singh) नहीं है लेकिन उन्हें लगातार याद किया जा रहा है। जी हां! इसकी बानगी कल्याण सिंह की अंत्येष्टि कार्यक्रम (kalyan singh last rites) में भी देखने को मिली थी। कुछ ऐसा ही जमावड़ा उनके तेरहवीं संस्कार में भी देखने को मिल रहा है। खुद सीएम योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) ने इस मौके पर पहुंचकर कल्याण सिंह (kalyan singh) को अपनी अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। हालांकि 60 साल लंबा राजनीतिक जीवन होने के कारण कल्याण सिंह के संबंधों का दायरा बहुत ही विस्तृत है। इस कारण एक-एक करके अलग-अलग पार्टियों और विचारधाराओं के नेता कल्याण सिंह को लेकर अपने संस्मरण साझा कर रहे हैं।
इसी बीच यूपी में प्रतापगढ़ के राजा भैया (raja bhaiya kunda pratapgarh) ने भी अपनी बात रखी है। आपको बता दें कल्याण सिंह के निधन के बाद अचानक से ये बात उठी थी कि कल्याण सिंह नें सिंधिया रहते हुए राजा भैया पर खड़ा एक्शन लिया था। अब जबकि यूपी चुनाव कुछ ही दूर है ऐसे में राजा भैया का कल्याण सिंह पर दिया ये बयान काफी अहम माना जा रहा है। इस बयान ने खलबली मचा कर रख दी है।
विस्तृत जानकारी के लिए देखें हमारी रिपोर्ट।
गुंडा विहिन कुंडा करौं, ध्वज उठाय दोउ हाथ’ यानी कुंडा को गुंडों से मुक्त करने के लिए दोनों हाथों में झंडा उठाएं।
ये शब्द थे हाल ही में दिवगंत एक्स सीएम और खांटी हिंदुत्ववादी या यूं कहें कि हिंदुत्व राजनीति के पहले पोस्टर ब्वॉय कल्याण सिंह के। साल था 1996 और टाइम था यूपी के विधानसभा चुनावों का। आपको याद दिला दें कि इससे पहले 1992 यानी 6 दिसम्बर, 1992 को बाबरी मस्जिद विध्वंस कांड हो चुका था। कल्याण सिंह की सरकार बर्खास्त कर दी गई थी उसके बाद आए 4 साल के गैप के बाद कल्याण सिंह को दोबारा बीजेपी ने अपना सीएम फेस बनाया था।
कल्याण सिंह हिंदुत्ववादी राजनीति के चमकते चेहरे थे और उनकी पॉपुलैरिटी बढ़ती ही जा रही थी। उनकी बढ़ती लोकप्रियता को भुनाने के लिए बीजेपी ने उन्हें एक बार फिर अपना सीएम फेस बना दिया था। 1996 के विधानसभा चुनावों के समय कल्याण सिंह चुनावी दौरों पर थे। इनसे कुछ ही समय पहले प्रतापगढ़ के कुंडा में कुछ ऐसी घटनाएं हुई थी कि वो अचानक मीडिया की नजरों में आ गया था। कुंडा के हालात ऐसे थे कि बीजेपी के सीएम उम्मीदवार को खुद कुंडा जैसी विधानसभा में प्रचार करने के लिए आना पड़ा। कुंडा में उस टाइम तक राजा भैया एक प्रमुख चेहरा बन चुके थे।
कल्याण सिंह जब चुनाव प्रचार के लिए प्रतापगढ़ के कुंडा में पहुंचे तो उन्होंने वही दो लाइनें कहीं, जो हमने आपको सबसे शुरुआत सुनवाई। कि – गुंडा विहीन करो कुंडा, ध्वज उठाए दोऊ हाथ। यानी कुंडा इलाके को गुंडों से आजाद करवाने के लिए दोनों हाथों में ध्वज यानी भगवा झंडा उठाएँ।
हालांकि कल्याण सिंह की अपार लोकप्रियता के बावजूद बीजेपी प्रतापगढ़ में राजा भैया का किला भेदने में असफल रही। अपनी पुश्तैनी सीट से राजा भैया उस दौरान भी जीतने में कामयाब रहे थे। राजा भैया ने बीजेपी के उम्मीदवार को बुरी तरह से शिकस्त दी थी।
बाजी तब और पलट गई जब अगले ही साल कल्याण सिंह ने राजा भैया को अपनी सरकार में मंत्री भी बना दिया। इस बात से हर कोई हैरान था क्योंकि साल भर पहले यही कल्याण सिंह राजा भैया को गुंडा बताते हुए उनके खिलाफ चुनाव प्रचार करने उनके गढ़ में जा पहुंचे थे।
इसी कारण कल्याण सिंह के जाने के बाद जब राजा भैया ने उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी तो कल्याण सिंह का वो पुराना भाषण लोग फिर शेयर करने लगे। जिसमें कल्याण सिंह कुंडा को गुंडा विहीन करने की बात कर रहे हैं। अब क्योंकि यूपी में चुनावों का मौसम है तो ऐसे में हर पार्टी अपना तिकड़म भिड़ाने में लगी हुई है। ऐसे में बीजेपी सपोर्टर्स कहने लगे थे कि बीजेपी कभी राजा भैया को लेकर कितनी सख्त हुआ करती थी ऐसे में राजा भैया का कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि देना सूट नहीं करता।
इस पूरे मामले पर राजा भैया ने अब तक चुप्पी साध रखी थी। लेकिन अब जाकर कल्याण सिंह की तेरहवीं के दिन राजा भैया ने अपनी बात साफ की है। जी हां! राजा भैया ने दो टूक कहा है कि उनके कल्याण सिंह से कभी भी खराब संबंध नहीं रहे। बल्कि कल्याण सिंह ने तो उन्हें अपनी सरकार में मंत्री भी बनाया था। राजा भैया बोले कि उनका हमेशा से कल्याण सिंह ने सहयोग किया और जो भी इस तरह की बातें उड़ाई जा रही है वो अफवाह से ज्यादा कुछ नहीं हैं।
हालांकि थोड़ा फ्लैशबैक में जाने पर तस्वीर दूसरी ही नजर आती है। भले ही राजा भैया राजनाथ सिंह सरकार में भी मंत्री रहे हों पर एक सच और भी है। और वो ये कि राजा भैया के खिलाफ 2002 में बीजेपी विधायक पूरन सिंह बुंदेला ने ही किडनैपिंग और धमकाने के सीरियस चार्जेज को लेकर केस करवाया था। इसके बाद उन दिनों सीएम रही मायावती ने पोटा लगाकर उन्हें जेल भेज दिया था। इतना ही नहीं राजा भैया के भाई अक्षय प्रताप सिंह और उनके पिता उदय प्रताप सिंह को भी मायावती ने जेल करवा दी थी।
हालांकि राजनीति में किस्मत पलटते देर नहीं लगती कुछ ऐसा ही राजा भैया के साथ भी हुआ। 2004 में जब मुलायम सिंह मुख्यमंत्री बने तो उन्होंने न केवल राजा भैया पर लगे सारे केस वापस लिए बल्कि उन्हें अपनी कैबिनेट में जगह भी दी। इतना ही नहीं अखिलेश यादव की सरकार ने भी राजा भैया को मंत्री बनाया गया और मजे की बात तो ये है कि जेल से निकलने के बाद उन्हें पोर्टफोलियो भी कारागार मंत्री का ही दिया गया था।
अब जबकि यूपी विधानसभा चुनाव कुछ ही दूरी पर है और राजा भैया अपनी नई नवेली पार्टी जनसत्ता दल के लिए चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं। ऐसे में ये अटकलें लग रही हैं कि राजा भैया बीजेपी के साथ गठबंधन कर सकते हैं या अपनी पार्टी का विलय कर सकते हैं। हालांकि इसे लेकर राजा भैया ने खुद कुछ नहीं कहा है लेकिन राजनीतिक पंडितों की मानें तो संभावना इसी बात की है।