ईवोक टीवी नेटवर्क : किसान आंदोलन के दौरान मारे गए लोगों काे मुआवजा देने के मुद्दे पर केंद्र सरकार ने अपनी मंशा जाहिर कर दी। हालांकि विपक्ष को सरकार की यह मंशा नागवार गुजरा। दूसरी ओर तीनों विवादित कृषि कानून को वापस लेने के बावजूद किसानों का प्रदर्शन अभी समाप्त नहीं हुआ है। किसानों का संयुक्त मोर्चा न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी के अलावा, आंदोलन में मारे गए लोगों को मुआवजा देने और प्रदर्शनकारियों पर दर्ज मुकदमें वापस लेने सहित कुल छह मांगों पर अड़े हुए हैं। किसान नेता राकैश टिकैत कह रहे हैं कि एक महीने में फाइनल मैच होना बाकी है।
दरअसल, लोकसभा में कृषि मंत्रालय की ओर से लोकसभा में स्पष्ट कह दिया गया कि किसान आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों का कोई रिकार्ड नहीं है। इस जवाब से सरकार का संदेश साफ है कि जब रिकार्ड ही नहीं तो मुआवजा कैसे? कृषि मंत्रालय से मिले इस जवाब को कांग्रेस किसानों का अपमान बता रही है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा है कि कृषि कानूनों के खिलाफ चले लंबे आंदोलन में 700 से भी अधिक किसानों की मौत हुई। सरकार कैसे कह सकती है कि इसका कोई रिकार्ड नहीं है। यह किसानों का अपमान है।
आपको बता दें कि कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने शीतकालीन सत्र के तीसरे दिन लोकसभा में सरकार से सवाल पूछा था कि किसान अांदोलन के दौरान मारे गए लोगों को मुआवजा के बारे में सरकार ने कुछ सोचा है कि नहीं। उन्होंने अपनी मांग दोहराते हुए कहा कि आंदोलन में मारे गए किसानों को मुआवजा राशि दी जानी चाहिए। इसी पर कृषि मंत्रालय की आेर से मारे गए लोगों का कोई रिकार्ड नहीं होने की बात कही गई।
राकेश टिकैत ने कहा- जब तक मांगें नहीं मानेगी सरकार, आंदोलन जारी रहेगा
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने सरकार को साफ संदेश दिया कि जब तक उनकी सभी मांगें नहीं मान ली जाती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा। अभी एक ही मांग पूरी हुई है। वह हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसानों को छोड़ कर नहीं जा सकते। उन पर दर्ज मुकदमे वापस लेने ही होंगे। एमएसपी पर गारंटी कानून भी बनाना होगा। एक महीने में सब हो जाएगा। राकेश टिकैत ने कहा एक महीने में फाइनल मैच होगा। चार तारीख को संयुक्त मोर्चा की बैठक में रणनीति तय की जाएगी।