Jagdeep Dhankhar:- देश के उप राष्ट्रपति पद के लिए एनडीए की तरफ से नाम घोषित होने के बाद पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ के पैतृक गांव झुंझुनूं के ठिकाने में भी खुशी देखी गई थी। देर रात तक उनके निजी आवास पर उनके परिजन, रिश्तेदार और ग्रामीणों के साथ बचपन के दोस्त मौजूद थें। आने-जाने वाले को बधाई देते रहे और मिठाई खिला रहे थें। यही नहीं फोन पर भी एक-दूसरे को बधाई देने का सिलसिला देर रात तक चला था। बता दें कि उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए 6 अगस्त को वोटिंग होगी। इसी दिन नतीजे घोषित होंगे। NDA उम्मीदवार जगदीप धनखड़ का उपराष्ट्रपति बनना लगभग तय माना जा रहा है।
जगदीप धनखड़ को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाए जाने के बाद चिड़ावा से करीब सत्रह किलोमीटर दूर स्थित किठाना गांव में उत्सव सा माहौल है। धनखड़ का जन्म किठाना गांव में 18 मई 1951 को गोकुलराम धनखड़ के घर हुआ।
दैनिक भास्कर ने उपराष्ट्रपति के दावेदार जगदीप धनखड़ के गांव जयपुर से करीब 200 किमी दूर झुंझुनूं जिले में जाकर कुछ रिपोर्ट इकट्ठा किए हैं।
टीम ने बताया कि वहां धनखड़ के बचपन के दोस्त हजारीलाल से बातचीत हुई। हजारीलाल ने बताया कि मेरा बचपन का दोस्त है जगदीप साथ ही पढे हैं हम दोनों। गांव वालों ने बताया कि जगदीप भाई साहब अक्सर यहां आते रहते हैं। उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए उनके नाम की घोषणा से कुछ दिन पहले ही भाभी जी यानी धनखड़ की पत्नी सुदेश धनखड़ गांव आई थी और शाम को राष्ट्रीय संघ सेवक संघ के बड़े पदाधिकारियों के लिए अपने हाथों से खाना बनाया था।
जगदीप धनखड़ के बचपन के दोस्त रिटायर्ड हवलदार हजारीलाल ने बताया कि “फरवरी महीने में ही जगदीप गांव आया था तब मुझे कहा था “सब बंगाल आए तुम कभी नहीं आए” तभी मेरे मुंह से निकल गया बंगाल नहीं दिल्ली आऊंगा और अब यह बात सही होने जा रही है।”
स्याही से रंगे रहते थे हाथ
हजारीलाल ने बताया कि जगदीप चार भाई बहनों में दूसरे नंबर के हैं। बड़े भाई कुलदीप धनखड़ और जगदीप से छोटे रणदीप और बहन इंद्रा हैं। चारों में आज भी अटूट प्यार है। कुलदीप तो आज भी जगदीप को डांट-फटकार देते हैं और जगदीप भी इसे सहज लेते हैं। हजारीलाल ने बताया कि धनकर बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज रहे हैं अपनी स्लेट के दोनों साइड में 2 से 3 मिनट में ही बाराखडी और पहाड़ा लिख दिया करते थे पढ़ाई के साथ साथ मौज मस्ती भी करते थें। यही कारण था कि टीचर हमेशा उन्हें प्यार देते थे।
राजनीति में नहीं आना चाहते थे जगदीप
जगदीप के छोटे भाई और राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) के अध्यक्ष रहे रणदीप ने बताया कि छठवीं क्लास के बाद वो चितौड़गढ़ सैनिक स्कूल चले गए। महाराजा कॉलेज से ग्रेजुएशन की और इसके बाद लॉ। वकालत शुरू की तो थोड़े ही समय बाद उनका नाम बड़े वकीलों में शुमार हो गया।
हम दोनों भाइयों की शादी भी एक ही दिन 1 फरवरी 1979 को हुई थी। वो कभी राजनीति में नहीं आना चाहते थे। कुछ पाॅलिटिशियन से संपर्क था। उन्हीं के कहने पर 1988-89 में जनता दल की ओर से झुंझुनूं से सांसद का चुनाव लड़ें। वे भारी मतों से जीते और पहली बार सांसद बनते ही केंद्रीय कानून मंत्री भी बनाए गए।
14 साल के इकलौते बेटे की मौत से टूट गए थे
हजारी लाल ने बताया कि धनकड़ दिल दिमाग से बहुत मजबूत है उनके दो बच्चे थे बेटा दीपक और बेटी कामना। 14 साल की उम्र में दीपक को ब्रेन हेमरेज हो गया। आनन-फानन में दिल्ली ले जाया गया पर नहीं जा सका। बेटे की मौत ने धनखड़ को तोड़ दिया था। इसके बावजूद वो इस र्दद से बाहर निकले और पूरे परिवार को संभाला।
धन की लड़की स्कूल प्रिंसिपल ने बताया कि जगदीप सर की इस उपलब्धि पर पूरा गांव खुश है। आज जिस ऑफिस में बैठे कर आपसे बात कर रही हूं, यह कभी उनका क्लासरूम था। तब हमारे स्कूल में सिर्फ प्राइमरी सेक्शन ही हुआ करते थे पर आज सेकेंडरी भी बन गए हैं। स्कूल में पढ़ रहे दूसरे बच्चों को भी इससे प्रेरणा मिलेगी। प्रिंसिपल ने बताया जब भी धनखड़ सर गांव आते हैं, स्कूल जरूर आते हैं।
जीत को लेकर आश्वस्त हैं ग्रामीण, मंदिरों में प्रार्थना
गांव में लोगों ने बताया कि जगदीप भाईसाहब की जीत पक्की है। जब से उनका नाम उपराष्ट्रपति के लिए आया है, गांव के मंदिरों में रोजाना उनकी जीत के लिए प्रार्थना होती है। धनखड़ जब बंगाल के गवर्नर बने थे तो पहली बार गांव आने पर नजदीक के गांव जोड़िया में स्थित कुलदेवता बालाजी के मंदिर में पहुंचे थे।
उन्होंने विशेष पूजा अर्चना करवाई थी और प्रसादी का आयोजन भी हुआ था। मंदिर के पुजारी ने बताया कि इस बार मंदिर में धनखड़ के लिए विशेष पूजा के इंतजाम किए हैं। उनकी जीत के बाद यहां भव्य आयोजन करवाया जाएगा। वहीं, कई लोग 6 अगस्त को दिल्ली जाने की तैयारी में लगे हैं।