उत्तर प्रदेश की राजनीति में जारी घमासान के दौरान बहुजन समाज पार्टी को एक और झटका लगा है। इससे पहले भी बीएसपी पर लगातार आरोप लगते रहे हैं कि वह मन से चुनाव नहीं लड़ रही। मायावती पर इस तरह के आरोप भी लगे कि मानो उन्होंने भाजपा के साथ अंदरखाने गठबंधन कर लिया हो। यह बात सही भी होती दिखाई देती है जब मायावती प्रदेश सरकार की कमियों-नाकामियों पर बिल्कुल भी हमलावर नहीं दिखाई देती। कुछ महीनों पहले चुनावी तैयारियों के सिलसिले में मायावती ने प्रबुद्ध सम्मेलन जरूर किया था। लेकिन जिस तरह से मायावती अपने पारंपरिक वोट बैंक दलितों, पिछड़ों, अति पिछड़ों और मुसलमानों को लेकर कोशिश करती दिखाई देती थी इस बार ऐसा कोई भी प्रयास मायावती की ओर से नहीं दिखाई दिया। सिर्फ सतीश चंद्र मिश्रा और उनके परिवार को बीएसपी में आगे बढ़ता देखा जा सकता है।
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जब मायावती अपने चुनाव प्रचार अभियान की शुरुआत कर रही थीं, तो उस दौरान सतीश चंद्र मिश्रा की पत्नी कल्पना मिश्रा और उनके बेटे को भी बीएसपी जॉइन करा दी गई। इसे लेकर समाजवादी पार्टी के कई जमीनी कार्यकर्ताओं में रोष भी रहा। लगातार पार्टी छोड़ने वालों का सिलसिला जारी है। आज ही समाजवादी पार्टी के कद्दावर नेता और बीएसपी सरकार में उर्जा मंत्री रहे रामवीर उपाध्याय ने भी पार्टी छोड़ दी। उपाध्याय ने कहा कि उन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी पार्टी के लिए काम किया सत्ता ना होने पर भी 2012 से 2022 तक पिछले 10 सालों तक लगातार पार्टी के साथ बने रहे लेकिन जिस तरह से पार्टी की उपेक्षा की जा रही है, पार्टी में आगे को लेकर कोई मंत्थन नहीं किया जा रहा है, उसे देखते हुए अब दुखी और निराश होकर छोड़ रहे हैं।
बहुजन समाज पार्टी को खड़ा करने में हैं उनका निभाने वाले पिछड़े दलित समाज के तमाम नेता, स्वामी प्रसाद मौर्य और नसीमुद्दीन सिद्दीकी पार्टी पहले ही छोड़ चुके हैं। ऐसे में एक और जाने-माने मुस्लिम नेता ने बहुजन समाज पार्टी छोड़ दी है। खास बात तो यह है कि इस मुस्लिम नेता का इस्तीफा सोशल मीडिया पर तेजी के साथ वायरल हो रहा है। लोग लगातार इसे शेयर कर रहे हैं शेख उबेद अहमद नाम के यह जाने-माने मुस्लिम नेता लगभग 20 सालों से बहुजन समाज पार्टी के साथ जुड़े हुए थे। लेकिन उन्होंने अब बड़ा आरोप लगाया है।
उन्होंने कहा है कि बहुजन समाज पार्टी पर सतीश चंद्र मिश्रा और उनके परिवार ने कब्जा कर लिया है। उनकी पत्नी भी फिलहाल बहुजन समाज पार्टी में आ गई हैं और बाकी जमीन से जुड़े कार्यकर्ताओं को कोई भाव नहीं दिया जा रहा बसपा का पतन निश्चित है। यह देखकर दुख होता है। लेकिन फिलहाल उनके पास पार्टी छोड़ने के अलावा कोई चारा नहीं है। अहमद ने कहा कि बसपा का कांशीराम के आदर्शों से भटक गई है। उनकी आस्था स्वामी प्रसाद मौर्य के साथ है। और उन्हीं के साथ काम करना चाहते हैं। अहमद ने यह भी कहा कि फिलहाल चुनाव लड़ना नहीं चाहते पर संगठन के लिए काम करना चाहते हैं। अहमद का इस्तीफा वायरल होने के बाद एक बार फिर सियासत मायावती पर आकर रुक गई है। आने वाले चुनाव में बसपा का प्रदर्शन कैसा रहेगा, यह तो वक्त ही बताएगा।