यूपी इलेक्शन नजदीक आते ही यूपी का चुनाव मजेदार होता जा रहा है। अभी ज्यादा दिन नहीं बीते हैं जब डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य मुंह फुलाकर बैठ गए थे। वजह तो आप जानते ही होंगे, बीजेपी का ओबीसी फेस होने के चलते उन्हें लग रहा था कि पार्टी अबकी बार उन्हें सीएम फेस घोषित करेगी। लेकिन ऐसा हो न सका। योगी आदित्यनाथ खुद एक्टिव हो गए। लखनऊ से दिल्ली तक मीटिंगों और दौरों का लंबा दौर चला। कई बड़े नेताओं के साथ योगी खुद डिप्टी सीएम के घर भी गए। कहा तो ये भी गया था कि ये सारी कवायद नाराज मौर्य को मनाने के लिए की गई थी। लेकिन अब इस खेल में एक जबरदस्त धमाका हो गया है। और ये धमाका किया है खुद केशव मौर्य ने। जी हां, बिल्कुल सही सुना आपने। खुद केशव प्रसाद मौर्य ने सबको चौंकाते हुए एक तरह से मैदान लगभग खाली छोड़ दिया है। अब माना जा रहा है कि गेम बिल्कुल वन साइडेड हो गया है।
आइये आपको बताते हैं क्या है आखिर पूरा मामला –
आपको बता दें कि डिप्टी सीएम कई योजनाओं के शिलान्यास के लिए हमीरपुर में आये थे। प्रोग्राम निपटने के बाद प्रेस कान्फ़्रेंस करते हुए उनसे फिलहाल का सबसे बड़ा सवाल भी पूछा गया। कि आखिर सीएम फेस कौन! इस पर पहले तो केशव मौर्य ने गोल मोल जवाब देने की कोशिश की और बोले कि हमारे यहां सीएम पार्टी तय करती है लेकिन ये जोड़ने से नहीं चूके कि जो चेहरा मौजूद है, फिलहाल वही रहेगा।
उपमुख्यमंत्री @kpmaurya1 ने #हमीरपुर #UttarPradesh में 684 करोड़ रूपये की लागत की 94 परियोजनाओं का लोकार्पण व शिलान्यास किया।@CMOfficeUP @DDNewsHindi @dmhamirpurup pic.twitter.com/h8ExTNims0
— DDNewsUP (@DDNewsUP) August 21, 2021
यूपी चुनाव जब बिल्कुल सर पर हैं, ऐसे में मौर्य के इस बयान को यूपी की पॉलिटिक्स में एक बड़े शिफ्ट के तौर पर देखा जा रहा है। ऐसे समय मे जब ये माना जा रहा था कि मौर्य की एक हां या ना बीजेपी के ओबीसी वोटर को दुविधा में डाल सकती है, ऐसे में मौर्य ने फिर एक बार खुद सीएम योगी को आगे करके बीजेपी को राजनीतिक बढ़त दिला दी है।
आपको याद दिला दें कि यूपी में तब बड़ी खलबली मच गई थी, जब केशव प्रसाद मौर्य ने कह दिया था कि बीजेपी में लीड करने के लिए नेताओं की कमी नहीं है।

हालांकि इसके बाद बीजेपी के तारणहार आरएसएस ने मोर्चा संभाल लिया था और योगी और मौर्य के बीच मनमुटाव को सही करवाने का जिम्मा लिया था। इसके लिए बाकायदे संघ के सीनियर लीडर्स ने योगी के घर जाकर मीटिंग भी की थी। हालांकि ये दिलचस्प है कि योगी ने इस बीच अपने विरोधियों के प्रति न तो कोई नरमी दिखाई और न ही जोर शोर से उठी कैबिनेट विस्तार की डिमांड को कोई भाव दिया। इसलिए इसे पूरे मामले में अब केशव प्रसाद के स्टेटमेंट को योगी आदित्यनाथ की जीत के तौर पर भी देखा जा रहा है।