मायावती की बदलती सियासी रणनीति के बीच उनके राजनीतिक इतिहास पर नज़र डालना बहुत जरूरी जान पड़ता है। आज के युवा मायावती के बनने की कहानी जरूर जानना चाहेंगे। असल में वह 80 का दशक का दौर था। जब कांशीराम ने बामसेफ की स्थापना कर दी थी और पूरे देश में दलित समाज को एकजुट करने का काम कर रहे थे। इसी बीच में कांशीराम ने कहीं मायावती के भाषण को सुना, जहां मायावती एज ए स्टूडेंट भाषण देने गईं थीं। कांशीराम उनके भाषण से इतना प्रभावित हुए कि उनसे मिलने उनके घर जा पहुंचे। उन दिनों मायावती का परिवार दिल्ली में रहा करता था।
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आपको बताते चलें कि मायावती मूल रूप से नॉएडा के बादलपुर गांव से आती हैं। लेकिन बाद में उनका परिवार दिल्ली में बस गया था। मायावती के परिवार से काशीराम ने रिक्वेस्ट की कि उन्हें राजनीति में भेजा जाए। लड़की होने के कारण उनके माता-पिता पहले थोड़ा सा हिचकिचाए उन्होंने खुद बाद में मायावती से पूछा वह क्या बनना चाहती हैं मायावती उन दिनों आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रही थी। मायावती ने कहा वह अपने समाज के लिए काम करना चाहती हैं।
कांशीराम ने कहा कि आप आईएएस की तैयारी छोड़ो, मैं आपको उस जगह पर ले जाकर बैठाने की सोच रहा हूं जहां पर दर्जनों आईएएस आपके सामने हाथ बांधकर खड़े रहा करेंगे। आज भी दंतकथा के तौर पर यह कहानी खूब सुनाई जाती है। खासकर बहुजन समाज से जुड़े युवाओं को खूब रास आती है और उन्हें प्रेरित करती है। एक बार फिर जब तमाम सर्वे में लड़ाई भाजपा और सपा के बीच मानी जा रही है, मायावती उसके बावजूद प्रासंगिक बनी हुई हैं। इसका उदाहरण है गूगल पर सर्च किए जाने वाले मायावती और बीएसपी से जुड़े शब्द। इसमें लगातार मायावती और बीएसपी को यूपी तो यूपी दक्षिण भारत में भी ढूंढा जा रहा है। लोग मायावती के परिवार , उनके कांटेक्ट नंबर, उनकी बैकग्राउंड के बारे में जानना चाहते हैं।