पूरे उत्तर प्रदेश में इन दिनों चुनावी ख़ुमार छाया हुआ है। इसमें अगर संगम नगरी प्रयागराज की चर्चा न की जाए तो मामला अधूरा ही रहेगा। नंद गोपाल गुप्ता नंदी भी ख़ालिस इलाहाबादी राजनीति की लंबे समय से धुरी बने हुए हैं। लेकिन नंदी की राजनीति से परे उनकी पर्सनल लाइफ के बारे में बहुत कम लोग जानते हैं। नंद गोपाल गुप्ता नंदी की असल में उनकी पत्नी से लव मैरिज हुई थी खास बात यह है यह लव मैरिज अंडरकास्ट भी थी वह समुदाय से आने वाले नंदी का ब्राह्मण परिवार से आने वाली अभिलाषा मिश्रा पर दिल आ गया था लेकिन क्या है यह पूरी कहानी है चलिए यह बताते हैं आपको इस खास खबर में।
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नंदी उत्तर प्रदेश में बीजेपी के चर्चित नेता हैं। योगी सरकार में कद्दावर कैबिनेट मंत्री हैं। इलाहाबाद दक्षिण सीट से पिछला विधानसभा चुनाव जीते थे। इसी विधानसभा में उनका अपना घर भी है। खास बात यह है कि नंदी को इसी घर के पड़ोस में रहने वाली अभिलाषा से मोहब्बत हो गई थी। आपको बता दें आख़िर कैसे हुआ यह पूरा मामला।
नंदी की पत्नी का नाम अभिलाषा है है। अभिलाषा ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखती हैं। वहीं नंदी वैश्य समुदाय से आते हैं और पारंपरिक रूप से उनका परिवार बिजनेस के धंधे में रहा है। दोनों बचपन में भी एक ही मोहल्ले में रहा करते थे। कहते हैं नंद गोपाल गुप्ता नंदी ने दसवीं के बाद पढ़ाई नहीं की। बचपन में भी उनका परिवार आर्थिक रूप से बहुत ज्यादा मजबूत नहीं था। अगर बात की जाए अभिलाषा की तो वह एक हाईप्रोफाइल परिवार से आती थीँ। नंदी ने एक इंटरव्यू में बताया भी था कि दोनों के बीच प्यार तो हुआ लेकिन अभिलाषा के घर वाले शादी के लिए बिल्कुल राजी नहीं थे। लेकिन तमाम बाधाओं को प्यार करते हुए साल 1995 में नंदी ने अपने प्यार को पा लिया और दोनों ने शादी रचा ली। इंपॉर्टेंट फैक्ट ये भी है कि दोनों ने की कोर्ट मैरिज हुई थी। आज के दौर में अभिलाषा मिश्रा प्रयागराज की मेयर हैं लेकिन कैसे तय किया दोनों ने यहां तक का सफर सुन देखिए आगे के इस आर्टिकल में।
हालांकि इलाहाबाद जैसे शहर में आज से 27 साल पहले इंटरकास्ट लव मैरिज करना बहुत बड़ी बात थी। लेकिन यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर कैसे एक MA पास एक लड़की का हाईस्कूल पास लड़के पर दिल आ गया था. कहते हैं नंदी और अभिलाषा के घर महज 500 मीटर की दूरी पर थे और यह बात उन दिनों की है जब अभिलाषा ग्रेजुएशन कर रहीं थीं। इन्हीं दिनों दोनों में प्यार हुआ दोनों का प्यार परवान चढ़ चुका था। लेकिन घर वाले उनके खिलाफ थे। खासतौर से अभिलाषा के घर वाले। नंदी ने दसवीं पास करने के बाद ही पढ़ाई लिखाई छोड़ दी थी। वह अपना बिजनेस सेट करने की कोशिश कर रहे थे।
हालांकि दोनों ने प्यार-मोहब्बत को शादी में बदलने का फैसला बहुत जल्दबाजी में नहीं लिया। कहते हैं दोनों का अफेयर 2 साल तक चला। ब्राह्मण परिवार से आने वाली अभिलाषा के फैमिली वाले यह बर्दाश्त नहीं कर पा रहे थे कि उनकी बेटी एक गुप्ता लड़के से प्रेम संबंध रखे। घरवालों ने बहुत विरोध किया तो दोनों ने भाग कर शादी करने का फैसला कर लिया। 2 साल के बाद साल 1995 में नंदी अभिलाषा को लेकर भाग गए और ब्याह कर लिया। घरवालों को यह रिश्ता मंजूर नहीं था, इसलिए उन्होंने उनसे संबंध खत्म कर दिए। समय के साथ-साथ घरवालों को भी समझ आई और और दोनों परिवार कहा जाता है अब बहुत ही हंसी खुशी प्रेम से रहता है।
आज के दौर में योगी सरकार में सिविल एविएशन, अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ जैसे विभाग अपने पास रखने वाले कद्दावर मंत्री नंदी की शुरुआती जिंदगी काफी स्ट्रगल भरी रही है। उनके करीबियों के मुताबिक शुरुआती जिंदगी उनकी गरीबी में कटी है, इसीलिए उन्हें दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़नी पड़ी थी। इलाहाबाद शहर की प्राइम लोकेशन बहादुरगंज में वह गली-गली जाकर बच्चों को ब्लैक एंड व्हाइट टीवी पर 50 पैसे में फिल्में दिखाने का धंधा करते थे। आज रिपोर्टस की मानें तो नंदी 88 करोड रुपए के मालिक हैं। प्रेम से लेकर पॉवर तक पाने की नंदी की कहानी किसी परीकथा सी लगती है। 2007 में वह मायावती सरकार में मंत्री बना दिए गए थे। इन्हीं दिनों उनके ऊपर अटैक हुआ था। कहा गया था कि यह अटैक उन पर बाहुबली विधायक विजय मिश्रा ने करवाया था। फिलहाल वह योगी सरकार में भी काफी मजबूत स्थिति में है। इस पॉपुलर कपल के तीन बच्चे हैं। बड़े बेटे का नाम अभिषेक, छोटे का नाम नमन और बेटी का नाम जाह्नवी है।
यूं तो कहते हैं कि हर सफल आदमी के पीछे किसी औरत का हाथ होता है लेकिन नंदी के मामले में दूसरा है। अभिलाषा ने उनके लिए लेडी लक का काम भले किया हो लेकिन खुद नंदी भी अपनी पत्नी के लिए काफी लकी साबित हुए। नंदी की पत्नी 7 जुलाई 2012 को पहली बार इलाहाबाद जैसे शहर की मेयर चुनी गईं। सबसे खास बात तो यह है कि इस पद पर बैठने वाली वह सबसे कम उम्र की मेयर रहीं। उन्होंने तब भाजपा की कमला सिंह को 69,000 वोटों से हराया था। बाद में उनकी शादी हो गई। हालांकि 14 फरवरी 2014 को निकाय चुनाव में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था और उनके पति को बसपा से निकाल भी दिया गया। दोनों पर पार्टी विरोधी गतिविधियों का आरोप लगा था। बाद में पति-पत्नी बीजेपी में शामिल हो गए। 2017 के इलेक्शन में भी उन्होंने आराम से अपना पद बचा लिया और सपा के विनोद दुबे को 63000 से ज्यादा वोटों से हराकर दोबारा मेयर चुन ली गईं।