अभी पिछले महीने ही भारतीय तीरंदाज दीपिका कुमारी (Deepika Kumari) ने पेरिस में तीरंदाजी विश्व कप, स्टेज- 3 में महिला सिंगल्स रिकर्व स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता था। दीपिका (Deepika Kumari) ने तीन रिकर्व स्पर्धाओं में स्वर्ण पदक जीतकर वैश्विक रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया कर लिया था
26 वर्षीय भारतीय तीरंदाज झारखंड में रांची के पास रातूचट्टी की रहने वाली है। दीपिका (Deepika Kumari) के पिता गुजारे के लिए ऑटो-रिक्शा चलाते थे और उनकी माँ ने रांची मेडिकल कॉलेज में नर्स थीं। जहां उनकी मां हमेशा दीपिका के डॉक्टर बनने का सपना देखती थीं, वहीं नन्हीं दीपिका (Deepika Kumari) इस बात को लेकर सोचती थीं कि टाटा तीरंदाजी अकादमी में जिंदगी कैसी होगी। दीपिका के चचेरे भाई ने पहले टाटा अकादमी में दाखिला लिया था और उन्हें घर आने पर वहां के किस्से सुनाता था।
यूँ लगाया था तीरंदाजी का पहला निशाना
दीपिका के तीरंदाजी सफर की शुरुआत का किस्सा भी बेहद रोचक है। आज दीपिका तीरंदाजी की दुनिया का एक जाना माना नाम हैं। लेकिन वो कहते हैं न कि पूत के पांव पालने में ही दिख जाते हैं। दीपिका की माँ गीता ने बताया था कि बचपन मे दीपिका एक बार मां के साथ कहीं जा रहीं रहीं थीं। दीपिका को अचानक एक आम का पेड़ दिखा और वो आम तोड़ने की जिद करने लगीं। दीपिका की मां ने उन्हें डांट दिया, शायद कोई भी मां ऐसा ही करती। लेकिन दीपिका अपनी जिद पर अड़ी रहीं। मां ने बहुत समझाया कि आम बहुत ऊंचाई पर लगा है। लेकिन दीपिका ने कहा कि आज तो मैं इसे तोड़ कर ही रहूंगी। दीपिका ने झट से एक पत्थर उठाया और फट से आम की डाल पर दे मारा…. निशाना सही लगा था। आम खटाक से नीचे आ गिरा…. दीपिका की मां कहती हैं कि उसका वो निशाना देख मुझे बहुत हैरानी हुई। इसी तरह दीपिका ने अपनी बाकी ज़िंदगी को बतौर तीरंदाज जिया है। दीपिका उस गांव में पैदा हुई थी, जहां आज भी बिजली-पानी की सप्लाई नहीं है। वहां तीरंदाज बनने का ख़्वाब कोई आज का अर्जुन ही देख सकता था।

दीपिका कुमारी: झारखंड से जापान तक
उन दिनों कुपोषित और अवसरों से वंचित, दीपिका (Deepika Kumari) टाटा अकादमी (tata archery academy) में एडमिशन पाने के लिए चली गई। वह तीरंदाजी सीखने के लिए इतनी अटल थीं कि उन्होंने अकादमी के लोगों से कहा कि अगर वह तीन महीने में न सीख पाएं तो वह लोग उन्हें बाहर निकाल सकते हैं। दीपिका (Deepika Kumari) को वह टाटा अकादमी में तो एडमिशन नहीं मिल सका पर उन्हें अर्जुन तीरंदाजी एकेडमी (arjuna archery academy) में भेज दिया गया। पर उनके असाधारण प्रदर्शन के कारण एक वर्ष के भीतर ही उन्हें टाटा तीरंदाजी (tata archery academy) अकादमी में बुला लिया गया। यहीं पर उन्हें पहली बार औपचारिक तीरंदाजी उपकरण के साथ अभ्यास करने का मौका मिला। टाटा अकादमी से दीपिका का गहरा जुड़ाव है। इसी कारण हाल में वर्ल्ड चैंपियन बनने पर टाटा अकादमी ने भी उन्हें ट्वीट कर बधाई दी थी।
Congratulations to the Indian recurve women team comprising Tata Archery Academy (TAA) archers Ankita Bhakat, Komalika Bari & Deepika Kumari (ex-cadet, TAA) for winning Gold Medal by defeating Mexico at 2021 Archery World Cup: Stage 3 finals! Wishing them many more laurels ahead.
— Tata Steel (@TataSteelLtd) June 27, 2021
महज 15 साल की उम्र में, दीपिका (Deepika Kumari) ने 2009 में अमेरिका में 11वीं युवा विश्व तीरंदाजी चैंपियनशिप जीती और दो साल बाद ही नई दिल्ली में कॉमनवेल्थ गेम्स में दो स्वर्ण पदक जीते। 2012 के लंदन ओलंपिक में दीपिका (Deepika Kumari) भारत की ओर से स्वर्ण की प्रबल दावेदार थीं। लेकिन वो दुर्भाग्यवश असफल रहीं। इसके बाद दीपिका 2016 के रियो ओलंपिक में भी पदक जीतने में असफल रहीं। इसके बाद उन्हें मीडिया से लेकर खेल एसोसिएशनों तक ने भुला दिया था। लेकिन दीपिका ने चुपचाप मेहनत जारी रखी। शायद यही वजह है कि खेलो इंडिया ने भी दीपिका को उनके ओलंपिक सफ़र के लिए शुभकामनाएं दीं हैं।
Deepika Kumari is determined to make it to the podium at the #TokyoOlympics. #Cheer4India https://t.co/qQxfqcSsfr
— Khelo India (@kheloindia) July 5, 2021
दीपिका की ज़िंदगी पर लेडीज़ फ़र्स्ट (ladies first dictionary on Deepika Kumari) नाम की एक डॉक्यूमेंट्री भी उन पर बनाई जा चुकी है। इस डाक्यूमेंट्री ने 16 से अधिक अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार जीते थे। यह नेटफ्लिक्स पर उपलब्ध है। लेकिन दीपिका की ताजा जीत ने अगले महीने होने वाले टोक्यो ओलंपिक में भारत के टॉप पदक (india in tokyo olympics 2020) दावेदारों में से एक बना दिया है।