महाराष्ट्र से एक सनसनीखेज और शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। हाल में टोक्यो ओलंपिक से भाग लेकर वापस लौटे तीरंदाज प्रवीण जाधव के परिवार को धमकी दी गई हैं। महाराष्ट्र के सतारा जिले के रहने वाला जाधव के परिवार को उनकी ही जमीन पर घर का। काम करवाने को लेकर उनके पड़ोसियों ने धमकाया है। ये मामला इसीलिए भी शर्मसार करने वाला है क्योंकि जाधव प्रोफेशनल तीरंदाज होने के साथ-साथ इंडियन आर्मी के जवान भी हैं। जाधव खुद घर पर नहीं हैं, उन्हें घरवालों ने फोन पर इस पूरे कांड की जानकारी दी।

हाल ही में अपने पहले ओलंपिक से लौटे प्रवीण जाधव, नेशनल कैम्प के लिए सीधे सोनीपत चले गए थे, जहां उन्हें अगले महीने होने वाली वर्ल्ड चैंपियनशिप की तैयारी के लिए जुटना था। टोक्यो ओलंपिक खेलों में तीरंदाजी टीम की निराशाजनक परफॉर्मेंस के बाद भी जाधव ने अपनी परफॉर्मेंस से सबका ध्यान खींचा था। लेकिन इसके बावजूद जाधव के नए नए स्टारडम और फेम से जलने वाले उनकी पड़ोसी लगातार उनकी फैमिली को तंग कर रहे हैं।

जाधव में बताया कि पड़ोस के पांच-छह लोग सुबह आए और मेरे माता-पिता, मेरे चचेरे भाई और चाची को धमकाना शुरू कर दिया क्योंकि हम टिन के अपने घर को पक्का करवाना चाहते थे। जाधव परिवार पहले एक झोंपड़ी में रहते थे लेकिन जाधव की नौकरी सेना में लगने के बाद उन्होंने टिन की छत वाला कंक्रीट का घर बनवाया।
जाधव का कहना है कि पहले भी वो दिक्कतें खड़ी करते रहे हैं। पहले वो अपने लिए एक अलग रास्ता चाहते थे जिस पर हम राजी भी थे। लेकिन अब वो सारी हदें पार कर रहे हैं। वो हमें घर का रेनोवेशन कराने से कैसे रोक सकते हैं? वो केवल हमसे ईर्ष्या कर रहे हैं। वो प्रॉपर्टी हमारी ही है, हम कई पीढ़ियों से वहां रह रहे हैं। हमारे पास सभी डाक्यूमेंट्स हैं।
जाधव का कहना है कि उनका परिवार वास्तव में काफी परेशान है और मैं भी उनके साथ नही हूं। मैंने अपने सेना के अधिकारियों को इस बारे में इन्फॉर्म कर दिया है और वो इस मामले को देख रहे हैं। सतारा जिले के एसपी अजय बंसल ने जाधव परिवार को हर मुमकिन मदद का वादा किया है। बंसल ने कहा, “हमें कोई रिटेन कम्प्लेंट नहीं मिली है। कुछ जमीन का मामला है। सेना के कर्नल की एक कॉल के आधार पर, मैं मामले की इंवेस्टिगेशन के लिए अपने लोकल इंचार्ज को भेज रहा हूं। उन्हें सारी लीगल हेल्प दी जाएगी।

जाधव का सफर बेहद मुश्किलों से भरा रहा है। जाधव परिवार की बेहतरी अपने पिता के साथ दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने लगे थे। रोजमर्रा की दिक्कतों के कारण जाधव के पिता ने उनसे कहा था कि उन्हें क्लास सेवन के बाद पढ़ाई छोड़नी होगी और कन्स्ट्रक्शन साइट पर पिता के साथ काम करना पड़ेगा, जहां उनके पिता खुद मजदूरी करते थे।