भारत की 23 वर्षीय गोल्फर अदिति अशोक (Aditi Ashok ) ओलंपिक में अपनी दूसरी पारी खेलने के लिए पूरी तरह तैयार हैं। भारत में गोल्फ (Golf in India) जैसे कम पॉपुलर खेल में अदिति अशोक (Aditi Ashok) का लगातार सेलेक्शन उन्हें देश में महिला गोल्फरों के लिए प्रेरणा बनाता है। वह अपने पुरुष समकक्ष अनिर्बान लाहिड़ी (Amirban Lahiri)और उदयन माने (Udyan Mane) के बाद टोक्यो ओलंपिक (Tokyo Olympics) में जगह बनाने वाली तीसरी भारतीय गोल्फर हैं। अदिति को टोक्यो ओलंपिक के लिए स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (SAI) ने भी अपनी शुभकामनाएं दीं हैं। देखें ये खास वीडियो संदेश-
#Olympian @aditigolf is ready to give her best at the #TokyoOlympics with the plethora of experience acquired over the years.
— SAI Media (@Media_SAI) June 29, 2021
Let's support her in the journey to #Tokyo2020
#Cheer4India@PMOIndia @KirenRijiju @WeAreTeamIndia @mygovindia @ddsportschannel @AkashvaniAIR pic.twitter.com/ZPTZkJaeeE
19 साल की उम्र में, उन्होंने 2016 के रियो ओलंपिक (Aditi Ashok in Rio Olympics 2016) में सबसे कम उम्र की महिला गोल्फर के रूप में भाग लिया था।
पांच साल की उम्र में फैमिली एनवायरमेंट के कारण अदिति की शुरुआत हुई थी। वही सफर अब उनके ओलंपिक में दो बार देश को रिप्रजेंट करने तक आ पहुंचा है। अदिति (Aditi Ashok) ने अपना पहला मैच छह साल की उम्र में बैंगलोर गोल्फ क्लब में खेला था और जल्द ही वह अन्य जूनियर टूर्नामेंट के लिए खेलने लगीं। अदिति ने एक इंटरव्यू में बताया कि उन्हें लड़कों के खिलाफ खेलने और उन्हें हराने में बहुत मज़ा आता था। इस अर्जुन पुरस्कार विजेता (Arjun Awardee Aditi Ashok) ने अपनी क्षमता तब साबित की जब 12 साल की उम्र में उन्होंने 13 या 15 साल की कैटेगरी के बजाय सीधे अंडर 18 खेला और प्रोफेशनल बनने का फैसला लिया।
खेल और पढ़ाई में बैलेंस बनाना अदिति के लिए एक चुनौती थी। लेकिन वह अपने स्कूल, द फ्रैंक एंथोनी पब्लिक स्कूल और अपने दोस्तों को इसका क्रेडिट देती हैं जिन्होंने उस बैलेंस को बनाए रखने में मदद की।
भविष्य के लिए माना जाता है प्रेरणा
एक ऐसे खेल में, जिसमें भारत में बहुत अधिक प्रतिभाएं नहीं पाई जातीं, अदिति का लगातार ओलंपिक में सेलेक्शन भारतीय गोल्फरों के लिए उम्मीद की किरण है।

स्मृति मेहरा (Smriti Mehra) जैसे गोल्फ के दिग्गजों का मानना है कि अदिति गोल्फ में वह प्रेरणा हो सकती हैं जिसकी देश को सख़्त जरूरत है। एक इंटरव्यू में मेहरा कहती हैं कि गोल्फ अभी भी एक स्पेशल खेल है और इसमें सबके लिए मौके नहीं हैं। खेल महंगा है और सरकारी या कॉरपोरेट इन्वेस्टमेंट अभी कम है। भारत में महिला गोल्फ जैसा कुछ है, ऐसा कहना मुश्किल है। मेहरा ने आगे कहा कि इंडियन गोल्फ यूनियन (IGU) को खेल के प्रचार -प्रसार और खेल को पूरे देश में फैलाने की पहल करनी चाहिए न कि समाज के खास तबके के लिए।