“जो तुझ से लिपटी बेड़ियाँ
समझ न इन को वस्त्र तू ..
ये बेड़ियां पिघाल के
बना ले इनको शस्त्र तू
बना ले इनको शस्त्र तू“
फिलहाल टॉप रैंकिंग वाली भारतीय महिला बॉक्सर, वर्ल्ड नंबर 4 लवलीना बोरगोहेन की टोक्यो 2020 की जर्नी असम के छोटे से गांव बारो मुखिया से शुरू हुई थी। आठ साल पहले, बोर्गोहेन को मुक्केबाजी के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। वह एक चाय बागान मजदूर की बेटी हैं, और उन दिनों बोरगोहेन परिवार के लिए एक- एक पैसे की किल्लत थी। इसके बावजूद लवलीना का कॉन्फिडेंस काबिलेतारीफ है। उसकी बानगी आपको आगे इस वीडियो में महसूस होगी।
एक इंटरव्यू में लवलीना कहती हैं कि “मैं शायद ही कभी ऐसी चीजों पर चर्चा करती हूं क्योंकि मेरा दृढ़ विश्वास है कि यदि आप सफल होना चाहते हैं तो आपके पीछे मुड़कर देखने का कोई मतलब नहीं है। एक वक़्त वो भी था जब मैं अपने गांव से बाहर ट्रैवेल तक नहीं कर सकती थी क्योंकि बस या ट्रेन का किराया बहुत महंगा हुआ करता था”।
लवलीना आगे बताती हैं कि एक बार वो कोलकाता में अपने पिता के साथ ट्रेन के डिब्बे के टॉयलेट के पास सो गईं थीं। ये उन दिनों की बात है जब वो सब जूनियर नेशनल में भाग लेने जा रही थी। लवलीना का मानना है कि जब भी वो पलट कर उस समय को देखती हैं मैं इससे केवल अच्छा करने के लिए इंस्पिरेशन मिलती है।
लवलीना कहती हैं जब वो सब-जूनियर कैटेगेरीज में भाग लेने जाती थीं तब उनके पास बॉक्सिंग वाले कपड़े भी नहीं थे। करीब 2 साल तक ये सिलसिला ऐसे ही चलता रहा। लवलीना ने बताया कि उनके पिता के पास उन दिनों बॉक्सिंग ड्रेस खरीदने के लिए पैसे नहीं हुआ करते थे। वो दूसरी बॉक्सर्स के मुकाबले हो जाने के बाद उनकी ड्रेस मांगकर पहन लिया करती थीं और तब अपने मुकाबले खेलती थीं। लेकिन ऐसे ही एक दन एक लड़की ने लवलीना को गरीब और अनपढ़ बताकर उन पर चिल्ला पड़ी और उन्हें अपनी ड्रेस शेयर करने से मना कर दिया। लवलीना कहती हैं कि उस दिन उन्हें बहुत बुरा लगा और वो घर आकर पिता के गले लगकर बहुत रोयीं।लवलीना कहती हैं कि – जब स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने मुझे मेरी पहली बॉक्सिंग किट दी थी, वह दिन कभी नहीं भूल पाएंगी। ओलंपिक के लिए डेडिकेटेड लवलीना अक्सर अपने इंस्टाग्राम पर अपनी ट्रेनिंग वीडियोज़ शेयर करती रहती हैं –
https://www.instagram.com/reel/CLO_hRYFTrV/?utm_medium=copy_link
लवलीना ने ने 2013 में अपने पहले बॉक्सिंग ग्लव्स खरीदे थे. इससे पहले वो स्पोर्ट्स हॉस्टल के ग्लव्स पहनकर खेलने जाती थीं। मुक्केबाजी की बेसिक ट्रेनिंग न होने के बावजूद उन्हें स्पोर्ट्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया के कोच पदुम बोरो ने उन्हें चुना था। लवलीना की फिटनेस और हाइट के कारण उन्हें चुना गया था।
लवलीना ने बताया कि ट्रैवलिंग एक एक बड़ी दिक्कत थी क्योंकि उनके पास टिकट के लिए पर्याप्त पैसे नहीं होते थे। लेकिन धीरे-धीरे मैंने अपने कोचों से सीखना शुरू किया। सभी शुरुआती संघर्षों से उबरकर अम्मान में हुए ओलंपिक क्वालीफायर में उन्होंने कामयाबी हासिल की। जहां उजेबकिस्तान की बॉक्सर को पटखनी देकर टोक्यो का टिकट कटवाया। इसके तुरंत बाद लवलीना ने अपने पिता को फोन किया और रोने लगी थीं और कुछ नहीं समझ पाईं थीं।