नीरज चोपड़ा टोक्यो ओलंपिक में देश के लिए गोल्ड जीतने वाले पहले खिलाड़ी बन गए हैं। नीरज देश के पहले एथेलेटिक्स खिलाड़ी भी हैं जिन्होंने देश को गोल्ड दिलाया हैं। इस हिसाब से ट्रैक एंड फील्ड के किसी सिंगल इवेंट में भी ये देश का पहला गोल्ड मेडल है।
आज नीरज चोपड़ा भाला फेंक फाइनल में शानदार प्रदर्शन के साथ एथलेटिक्स में ओलंपिक स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय बन गए। नीरज ने सबको पीछे छोड़ते हुए 87.58 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ स्वर्ण पदक जीता और भारत के दूसरे व्यक्तिगत स्वर्ण पदक विजेता बने। एक स्वर्ण, 2 रजत, 4 कांस्य के साथ, टोक्यो ओलंपिक पदक किसी भी ओलंपिक में भारत का सबसे बड़ा पदक है, जो लंदन 2012 में जीते गए छह पदकों की संख्या से भी आगे है।
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2016 में, चोपड़ा अपने नाम विश्व रिकॉर्ड बनाने वाले पहले भारतीय एथलीट बने, जब उन्होंने पोलैंड में अंडर -20 विश्व चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता था। वो राष्ट्रमंडल और एशियाड दोनों में स्वर्ण जीतकर दिग्गजों की लीग में शामिल हो गए थे। 1958 में मिल्खा सिंह के बाद ऐसा करने वाले वो केवल दूसरे भारतीय एथलीट हैं।
लंबे बालों वाले, करिश्माई एथलीट नीरज चोपड़ा पहली नजर में ही सबका ध्यान अपनी ओर खींच लेते हैं। उनकी जर्नी या अचीवमेंट पर कोई ताज्जुब नहीं है।
History has been scripted at Tokyo! What @Neeraj_chopra1 has achieved today will be remembered forever. The young Neeraj has done exceptionally well. He played with remarkable passion and showed unparalleled grit. Congratulations to him for winning the Gold. #Tokyo2020 https://t.co/2NcGgJvfMS
— Narendra Modi (@narendramodi) August 7, 2021
आइये आपको बताये नीरज के परिवार और उनकी जिंदगी के बारे में –
नीरज के पिता सतीश कुमार हरियाणा के पानीपत के खंडरा के एक छोटे से गांव में किसान हैं। उनकी मां सरोज देवी एक हाउसवाइफ हैं और उनकी दो बहनें हैं। पानीपत स्टेडियम में अभ्यास करने वाले जयवीर (जय चौधरी) को देख-देखकर प नीरज ने 11 साल की उम्र में भाला फेंक में अपना इंट्रेस्ट डेवलप किया। जयवीर भी भाला एथलीट हैं जो हरियाणा को रिप्रिजेंट कर चुके हैं।

ताज़ी क्रीम और चूरमा , देसी घी लगी रोटी, और चीनी का खाकर बड़े हो रहे नीरज 11 साल की उम्र में ही गोल मटोल हो गए थे। 11 साल की उम्र में उनका वजन 80 किलो था। वहां से नीरज के ओलम्पिक चैंपियन बनमे की कहानी दिलचस्प है। नीरज बचपन से ही अपनी दादी के क़ाफी करीब थे। दादी उन्हें जमकर खिलाती-पिलाती थीं।
नीरज की भाला फेंक से मुलाकात पानीपत स्टेडियम में हुई जहां वो वजन कम करने की उनकी कोशिश कर रहे थे। जल्द ही नीरज को खेल में मजा आने लगा। एक प्रोफेशनल के तौर पर उन्हें भाला फेंक में भेजने का फैसला उनके चाचा ने लिया था। बाकि बातें अब इतिहास बन चुकी हैं। 2014 में, नीरज ने अपना पहला भाला 7000 रुपये में खरीदा था। बाद में इंटरनेशनल लेवल पर भाग लेने के लिए नीरज ने नेशनल कैम्प के समय 1 लाख रुपये का भाला खरीदा था।