टोक्यो में भारतीय दल ने इस बार दमदार परफार्मेंस दी। इंटरनेशनल लेवल पर लगातार झंडे गाड़ रहे पहलवानों ने भी अपना दम दिखाया। बजरंग पूनिया ने ब्रांज और रवि दहिया ने सिल्वर मेडल जीता। इसके अलावा दीपक पूनिया भी धाकड़ परफॉर्मेंस करते हुए अपने पहले ही ओलम्पिक में ब्रांज मेडल के करीब पहुंच गए थे लेकिन अपने प्ले ऑफ मुकाबले में आखिरी के 10 सेकेंडों में मामला गड़बड़ा गया और एक और मेडल आते आते रह गया।

अब जबकि पहलवान इंटरनेशनल मुकाबलों में लगातार जलवा दिखा रहे हैं ऐसे में WFI यानि रेसलिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया भी अलर्ट मोड में आ गया है।इस परफार्मेंस को मेंटेन रखने के लिए कई कड़े एक्शन भी ले रहा है और अनुशासनहीनता करने वाले इंडियन पहलवानों पर एक्शन भी ले रहा है। एशियन और कॉमनवेल्थ गेम्स की गोल्ड मेडलिस्ट और स्टॉर रेसलर विनेश फोगाट को हाल ही में सस्पेंड करना भी ऐसा ही एक फैसला था।
अब WFI ने एक और कड़ा फैसला लेते हुए खिलाड़ियों के विदेशी दौरों और ट्रेनिंग पर उनकी पत्नियों को ले जने पर कड़ी नाराजगी जताई है। फेडरेशन का कहना है कि वो इसे सही नही मानता और इसे ठीक करने पर काम कर रहा है। हम आपको बता दें कि पहलवानों या फिर दूसरे खिलाड़ी जो पदक के तगड़े दावेदार होते हैं, उन्हें ट्रेनिंग के लिए भारत सरकार विदेश भेजती है और उन पर करोड़ों रुपये खर्च करती है। उनके रहने-खाने, उनकी स्पेशल डाइट, कोच और दूसरी सुविधाओं पर लगातार पैसे खर्च किए जाते हैं। ऐसे में ट्रेनिंग के दौरान इस बार जब पहलवान अपनी पत्नियों को साथ ले गए तो फेडरेशन ने इसे अनुशासनहीनता माना है।

भारतीय रेसलिंग फेडरेशन के अध्यक्ष और सीनियर बीजेपी लीडर और लोकसभा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह ने इसे मिलाकर कई मुद्दों पर अपनी बेबाक राय रखी है। इसके अलावा सिंह ने ओलंपिक पहलवानों की तैयारी में JSW जैसे एनजीओ की दखलन्दाजी का भी कड़ा विरोध किया है।

सिंह ने कहा कि ये एनजीओ बहुत चालाक हैं ये केवल सफल हो चुके और नाम बना चुके पहलवानों को ही पकड़ते हैं। सरकार और फेडरेशन पहलवानों पर करोड़ों रुपये खर्च करती है लेकिन ये एनजीओ थोड़ा बहुत पैसा खर्च करके जैसे उनके ट्रैवेल आदि का खर्चा देकर अपनी ब्रांडिंग इस तरह करते हैं कि मानों सारा कमाल उन्हीं का हो। असली जरूरत जब जूनियर लेवल पर होती है तब ये कहीं नजर नहीं आते। हम उनसे कहना चाहते हैं कि वो हमारे पहलवानों के साथ अपना इंटरफेयर बंद कर दें और कंट्रीब्यूशन करना ही है तो सामने से आएं किसी चोर दरवाजे से नहीं। सिंह ने टाटा का उदाहरण देते हुए कहा कि वो बेस्ट एग्जाम्पल हैं कि कैसे ट्रांसपेरेंट तरीके से कन्ट्रीब्यूट किया जाता है।