Khargone Violence: रामनवमी के दिन मध्यप्रदेश, झारखण्ड और बंगाल सहित देश के कई हिस्सों में हिंसा की घटना दखने को मिली थी। जहां हिन्दुओं के द्वारा निअक्ले गए शोभायात्रा में पथराव और बाद में आगजनी की गयी। दंगा की घटना पर संज्ञान लेते हुए मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार एक्शन मोड में आ गई है। सोमवार को खरगोन में दंगाईयों के मकानों को तोड़ने की कार्रवाई हुई। शहर के संवेदनशील छोटी मोहन टाकीज क्षेत्र में भारी पुलिस फोर्स की मौजूदगी में मकानों को तोड़ा गया है। वहीं बताया जा रह है कि दंगा में कुछ सरकारी कर्मचारी भी शामिल थे, जिन्हें निष्कासित कर दिया गया है। मिली जानकारी के अनुसार दंगे में शामिल 4 शासकीय कर्मचारियों में से 3 की सेवा को समाप्त कर दिया गया है। वहीं एक शासकीय कर्मचारी को सस्पेंड करने की कार्रवाई की गई है।
उल्लेखनीय है कि रविवार को रामनवमीं पर शोभायात्रा निकालने के दौरान सम्प्रदायिक विवाद हो गया था। जिसमे दंगाईयो ने पथराव, आगजनी की घटना की थी। रात 3 बजे तक अलग-अलग हिस्सों में आगजनी हुई थी। साथ ही गोली लगने से खरगोन एसपी सिद्धार्थ चौधरी और 10 पुलिस कर्मी घायल हुए थे। आपको बता दें मध्यप्रदेश में शिवराज सरकार जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर काम कर रही है, इसी के तहत ये कारवाई हुई है।
CM शिवराज का आया बयान
वहीं, घटना को लेकर राज्य के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि इस हिंसा में शामिल आरोपियों की पहचान कर ली गई है और उन्हें बख्सा नहीं जाएगी। सीएम ने कहा कि रामनवमी के अवसर पर खरगोन में हुई घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। मध्यप्रदेश की धरती पर दंगाइयों के लिए कोई स्थान नहीं है। ये दंगाई चिन्हित कर लिए गए हैं, इनको छोड़ा नहीं जाएगा। उनके खिलाफ कठोरतम कार्यवाही की जाएगी। सार्वजनिक और निजी दोनों संपत्तियों को हुए नुकसान की भरपाई भी इन्हीं दंगाइयों से की जाएगी।
आंबेडकर ने बताया था हिन्दू-मुस्लिम हिंसा का कारण
आपको बता दें, आज से करीब 100 वर्ष पहले बाबा भीमराव आंबेडकर ने मुसलमानो और हिन्दुओं के बीच होने वाले झगड़े के दो कारण बताये थे। पहला तो मूर्ति विसर्जन के समय मस्जिद के सामने बजने वाले धार्मिक गीत और दूसरा गौ हत्या। हिन्दू-मुस्लिम के बीच दंगे होने के यही दो कारण होते है कि हिन्दू मंदिरों में गाय का मांस फेक दिया जाता है या फिर मस्जिद के सामने अगर हिन्दुओं की शोभायात्रा या फिर कोई रैली निकलती है तो उस पर पथराव की घटना होती है।
हमने पिछले दिनों ही करौली दंगा देखा, जहां दंगाइयों पर कोई कठोर करवाई नहीं हुई। लेकिन मध्यप्रदेश की शिवराज मामा की सरकार इन दिनों जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर काम कर रही है और इसी के तहत प्रदेश में दंगाइयों के मकानों को गिराया जा रहा है। ताकि असामाजिक तत्व इस तरह की कारवाई से सबक सिख सकें। अब बात यहां यह उठती है कि क्या यही मॉडल दूसरे राज्यों को भी अपनाना चाहिए।
पीठ के साथ पेट पर भी पड़नी चाहिए लात
अगर आप देखेंगे तो एंटी CAA के समय भो उत्तर प्रदेश सहित देश के कई हिस्सों में उत्पात हुआ था। फिर प्रदेश की योगी सरकार ने दंगाइयों से जुर्माना वसूलना शुरू कर दिया, जिसके बाद एंटी CAA Riot में और कहीं भी हिंसा नहीं हुई थी। इन दंगाइयों के पीठ पर लाठी तो टूटनी ही चाहिए मगर साथ ही इनके पेट में भी लात पड़नी चाहिए। ताकि इनके अंदर धार्मिक कट्टरता का जो भूत सवार है, वो निकल जाए।