नई दिल्ली: आमिर खान (Superstar Aamir Khan) द्वारा अभिनीत फिल्म ‘3 इडियट्स (3 Idiots)’ तो आपको याद ही होगी। इस फिल्म में प्रोफेसर वीरू सहस्त्रबुद्धे (Dr. Viru Sahastrabuddhe) यानी की ‘वायरस (Virus)’ का यूनिक कैरेक्टर (3 Idiots Unique Character) भी आपको पूरी तरह से याद होगा। हां, हां, वही वायरस जो अपने दोनों हाथों से समय बचाने के लिए लिखते थे। तो क्या आपको पता है की मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) के सिंगरौली (Singrauli district) में एक ऐसा स्कूल (ambidextrous school) है जहां पर ‘वायरस’ की तरह एक नहीं बल्कि करीब 300 बच्चे हैं। जिसमें स्कूल के हर बच्चे के पास दोनों हाथों से लिखने (students who write using both hands together at the same time) का हुनर है। ‘रीडर्स डाइजेस्ट’ (Reader’s Digest) में छपी रिपोर्ट्स के अनुसार इस तरह के लोग कुल जनसंख्या में केवल 1 फीसदी ही देखने को मिलते है। इस बात से आप यह अंदाज़ा लगा सकते है कि छोटे से गांव में बसा यह स्कूल कितना बड़ा काम कर रहा है। लेकिन कोरोना काल (Coronavirus Pandemic) ने इस स्कूल के परिचालन (School Operation) पर गहरा असर डाला है और अब स्कूल मदद की गुहार (India’s Ambidextrous School Asking for Help) लगा रही है। आप भी जानें क्या है इस स्कूल की पूरी कहानी ?
आम तौर पर जिस लेख को लिखने में किसी बच्चे को घंटों लग जाते हैं, उन्हें यह होनहार बच्चे लगभग आधे समय में पूरा कर लेते हैं। इन बच्चों को स्कूल में देवनागरी, उर्दू, स्पेनिश, रोमन, अंग्रेजी समेत छह लिपियों और भाषाओं का ज्ञान दिया जाता है। औसतन स्कूल का एक बच्चा 11 घंटों में 24,000 शब्द लिखने की क्षमता रखता है। इस स्कूल की स्थापना साल 1999 में पूर्व सैनिक विरंगत प्रसाद शर्मा ने की थी।
Ewoke TV की टीम से बात करते हुए वीपी शर्मा ने कई बातें बताई। उन्होंने बताया, ‘वीणा वादिनी में क्लास-1 से हम छात्रों को दोनों हाथों से लिखने की ट्रेनिंग देना शुरू कर देते हैं। जब तक वह क्लास-3 में पहुंचते हैं, दोनों हाथों से लिखने में सहज महसूस करने लगते हैं। क्लास-7 और 8 तक आते आते स्टूडेंट्स की स्पीड और एक्युरेसी भी बढ़ जाती है। हर बच्चे को एक साथ दोनों हाथों से दो लीपियों में लिखने की ट्रेनिंग दी जाती है।’
वीपी शर्मा बताते हैं कि एक दिन जबलपुर रेलवे स्टेशन पर एक पुस्तक में उन्होंने पढ़ा कि देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद दोनों हाथ से लिखते थे। डॉ. राजेंद्र प्रसाद के इस हुनर से वो काफी प्रभावित हुए और उन्हीं से प्रेरित होकर उन्होंने स्कूल को संचालन शुरू किया और बच्चो को दोनो हाथों से लिखने का अभ्यास करवाया था। इतना ही नहीं जो माता-पिता अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में नहीं भेज सकते उन सभी के लिए भी वीपी शर्मा ने इस स्कूल को शुरू किया ताकि कोई भी बच्चा पढ़ाई से वंचित न रहे। हालांकि, कोरोना वायरस की वजह से वीपी शर्मा को टीचर्स की सैलरी देने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। जिसका सीधा प्रभाव स्कूल के साथ-साथ बच्चों पर भी पड़ रहा है।
शर्मा बताते हैं कि यह एक साधना की तरह है। ध्यान, योग, दृढ़ संकल्प होकर लक्ष्य पाया जा सकता है। इसलिए स्कूल में ध्यान और योग भी करीब डेढ़ घंटे तक रोज सिखाया जाता है। दोनों हाथों से एक साथ लिखने से याद रखने की क्षमता बढ़ती है। दिमाग तेज होता है और सबसे बड़ी बात समय की बचत होती है। इसी का परिणाम है कि बच्चे एक से 100 तक की गिनती उर्दू में 45 सेकंड में, एक मिनट में रोमन में, एक मिनट में देवनागरी लिपि में लिख लेते हैं। एक मिनट में दो भाषाओं के 250 शब्दों का अनुवाद कर देते हैं। एक मिनट में 17 तक का पहाड़ा लिख लेते हैं।
वीणा वादिनी पब्लिक स्कूल में पढ़ रहे छात्रों को भी यहां पढ़ना बहुत पसंद है। वहीं छात्रों के माता-पिता को भी उनपर गर्व है कि उनके बच्चे इतने होनहार है और दोनों हाथों से लिख लेते है।
वीणा वादिनी पब्लिक स्कूल में करीब 300 बच्चे पढ़ते हैं और इनकी संख्या और भी बढ़ते जा रही हैं। लकिन आर्थिक स्थिति सही न होने के कारण स्कूल को अब अपने शिक्षकों को सैलरी देने में दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हम उम्मीद करते है कि Ewoked Souls की इस स्टोरी को देखने के बाद आप वीणा वादिनी पब्लिक स्कूल की मदद करेंगे ताकि इस तरह का अनोखा स्कूल कभी बंद न पड़े।