उत्तर प्रदेश राजनीति की एक ऐसी प्रयोगशाला है जहां कुछ भी नामुमकिन नहीं कहा जा सकता। उत्तर प्रदेश में चुनावों का दौर है, हर कोई एक दूसरे को धोबी पछाड़ देने में लगा हुआ है। कब किसका नाम कामयाब हो जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। कुछ ऐसा ही बीजेपी की ओर से मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर भी हो रहा है। मुख्य लड़ाई इस बार भाजपा और सपा की बताई जा रही है। इसी बीच बीजेपी की ओर से सीएम पद का चेहरा कौन होगा, इसे लेकर भी लगातार कशमकश जारी है। इसका कोई अधिकारिक नाम तो नहीं लिया गया लेकिन पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में कई बार कहा है कि यह चुनाव उत्तर प्रदेश में योगी जी के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा। पीएम मोदी की वह तस्वीर भी काफी वायरल हुई थी जिसमें सीएम योगी मोदी जी के बंगले पर आए थे और उसमें पीएम मोदी ने योगी के कंधे पर हाथ रखा हुआ था।
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इस तस्वीर को मीडिया में मैसेज देने की कोशिश की गई की थी कि योगी जी को लेकर किसी भी तरह का विरोध अंदरखाने पार्टी में नहीं है, लेकिन अब एक अलग ही मामला सामने आ गया है। कहा जा रहा है कि एके शर्मा यानि पीएम मोदी के बेहद करीबी रिटायर्ड आईएएस ऑफिसर जो गुजरात में लंबे समय तक उनके साथ रहे, यूपी के अगले सीएम हो सकते हैं इस बाबत बाकायदे ऐलान भी कर दिया गया है। जी हां, यह ऐलान एक सभा में हुआ है। एक चुनावी सभा में यह ऐलान बीजेपी के पूर्व सांसद ने किया है। ये जानना जरूरी है कि आखिर वह कौन सा शख्स है जिसने पीएम मोदी के योगी को समर्थन के बावजूद एके शर्मा को लेकर यह ऐसा बड़ा बयान दे दिया है।
आपको बता दें बीजेपी के नेता हरिनारायण राजभर मऊ से सांसद रह चुके हैं। राजभर वरिष्ठ नेता हैं, उन्होंने एक बड़ी चुनावी सभा में कहा कि एके शर्मा को हम अगला सीएम बनाने को लेकर अपने बचे हुए जीवन में अब लगातार काम करेंगेम इसी दौरान मंच पर एके शर्मा भी उनके बराबर में खड़े थे। उनके इतना कहते हैं एके शर्मा भीड़ का हाथ जोड़ते हुए नजर आए। यहां पर यह बात याद दिलानी बहुत जरूरी है कि जब एके शर्मा को उत्तर प्रदेश में लाया गया था तो पहले उन्हें एमएलसी बनाया गया। बाद में यह बात बहुत मजबूती के साथ उठी थी कि वह अगले डिप्टी सीएम बनाए जाएंगे। लेकिन बाद में यह बात राजनीतिक गलियारों में खूब चली कि उन्हें सीएम योगी के विरोध के चलते डिप्टी सीएम नहीं बनने दिया गया और उन्हें प्रदेश उपाध्यक्ष के पद पर बैठा दिया गया था। इस पद को राजनीतिक रूप से बहुत महत्वपूर्ण पद नहीं माना जाता। ऐसे में जब चुनावी आचार संहिता लगने में कुछ ही समय बचा है। ऐसे में बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता का इस तरह का ऐलान करना, कई तरह की चर्चाओं को जन्म दे रहा है। जिनमें एक बार फिर बीजेपी के अंदर खाने योगी विरोध की राजनीति शुरू हो गई है।