तालिबान के कब्जे के बाद वहां के खौफ़नाक नजारे पूरी दुनिया देख रही है। कल ही वहां एक स्टेडियम में अफगान सेना के 5 पूर्व कमांडरों को सबके सामने गोली से उड़ा दिया गया। लेकिन इसके बावजूद भारत मे जानी मानी मुस्लिम शख्सियतों के इस मामले पर अलग ही सुर नजर आ रहे हैं। ये लोग लगातार तालिबानियों को आतंकवादी मानने से इनकार कर दे रहे हैं। ताजा मामला है मशहूर शायर मुनव्वर राणा का। मुनव्वर राणा ने मीडिया को दिए कई इंटरव्यूज़ में तालिबानियों को आतंकवादी मानने से ही इनकार कर दिया है। इतना ही नहीं ऐसे टाइम में जब कई भारतवासी अभी भी अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं और यहां तक कि यूपी के भी 5 लोग अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में फँसे हुये हैं। इसके बावजूद मुनव्वर राणा ने अफगानिस्तान को नरक बना रहे तालिबानी आतंकवादियों को आतंकी की बजाय स्टूडेंट बताया है। यही नहीं राणा यहीं पर नहीं रुके, उन्होंने कहा कि उन्हें तालिबानी कहना भी ठीक नहीं है, उन्हें अफ़गानिस्तानी कहा जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने कहा कि इंडिया को इस मामले पर जल्दबाज़ी नहीं दिखानी चाहिए।
आपको याद दिला दें कि ये कोई पहला मौका नहीं है जब मुनव्वर राणा ने इस तरह का विवादित बयान दिया हो। वो इससे पहले भी किसान आंदोलन के दौरान भी ऐसे कांड कर चुके हैं।

26 जनवरी को लाल किले पर हुई हिंसा के बाद उन्होंने कहा था कि सरकार खुद हिंसा करवाना चाहती थी।
इससे पहले फ्रांस में विवादित कार्टून मामले पर भी उन्होंने कार्टूनिस्ट की गला रेतकर हत्या करने वाले आतंकवादी का बचाव किया था। राणा ने कहा था कि धर्म मां के जैसा है कोई इसके बारे में बुरा कहेगा तो जवाब तो मिलेगा न!
इतना ही नहीं कंट्रोवर्सी से चोली दामन का साथ रखने वाले मुनव्वर राणा ने राम मंदिर मामले पर फैसला आने पर उसे मुसलमानों के साथ पक्षपात बताया था।
CAA-NRC प्रोटेस्ट के दौरान भी राणा और उनकी बेटी फौजिया राणा खुलकर इस कानून के समर्थन में आये थे।

आपको याद दिला दें कि जाने माने मुस्लिम चेहरे लगातार तालिबान के समर्थन में दिखाई दे रहे हैं। इससे पहले सपा सांसद शफीकुर्रहमान बर्क भी तालिबान को सपोर्ट करते दिखे थे। बर्क ने कहा था कि तालिबानी कोई गलत लोग नहीं हैं। वो अपने देश की आजदी के लड़ रहे हैं, ठीक उसी तरह जैसे हमने अंग्रेजों के खिलाफ अपनी अजांदी की लड़ाई लड़ी थी। इतना ही नही बर्क के बिगड़ते बोल भी यहीं पर नहीं रुके। बर्क ने तालिबानियों की तुलना भारत के फ्रीडम फाइटर्स से कर दी थी। हालांकि आनन फानन में ही बर्क ने तब अपने बयान का खंडन कर दिया जब उनके खिलाफ मुकदमा हो गया था। बर्क ने बाद में ट्वीटर पर कहा था कि मेरा तालिबान से क्या मतलब!

इतना ही नही जाने माने आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी भी तालिबान को उसकी जीत पर बधाई देते हुए कहते हैं कि आपको एक हिंदुस्तानी मुसलमान की बधाई। एक निहत्थी कौम ने दुनिया की सबसे ताकतवर ताकतों को हराया है। नोमानी आगे बोले कि सभी सुन्नी मुस्लिम बिरादरों और शिया भाइयों को भी मुबारकबाद। जबकि वो भूल गए कि इस समय भारत के लोग तालिबान के कब्जे और खौफ के कारण अफगानिस्तान में फंस गए हैं। अफगानिस्तान में फंसे भारतीयों की सलामती के बजाय नोमानी कट्टर आतंकी संगठन तालिबान की जीत पर अल्लाह को शुक्रिया करते नजर आए।