एक बड़ी पुरानी कहावत है कि 2 पैसे की हांडी टूटी और कुत्ते की जात पहचानी गई। जी हाँ, मतलब साफ है छोटी से छोटी हरकत भी धूर्त इंसान की पोल खोल देती है। ऐसा ही तालिबान के मामले में भी हुआ है। तालिबान ने अपने ही किए गए वादों को झुठलाते हुए भारत पर अफगानिस्तान में अटैक कर दिया है। जी हां , आपके पैरों तले ज़मीन खिसक गई न! पर ये सच है। ये घटना आज ही हुईं।
आइये आपको बताते हैं कि कैसे हुआ ये वाक्या और कहाँ हुए ये अटैक –
तालिबान ने अफगानिस्तान में भारत के कम से कम दो वाणिज्य दूतावासों में प्रवेश किया, वहां डॉक्युमेंट्स की तलाशी ली और वहां खड़ी इंडियन कारों पर कब्जा कर लिया। सरकारी सूत्रों ने इस पर चिंता जताई और कहा कि वइसका मतलब ये है कि तालिबान उन वादों के खिलाफ काम कर रहा है जो उसके नेता दुनिया से कर रहे हैं।

तालिबान आतंकवादियों ने कंधार और हेरात में भारतीय दूतावासों में हमले कर दिए, जोकि फिलहाल बंद हैं। उन्होंने कंधार में डॉक्युमेंट्स के लिए कोठरियों की तलाशी ली और दोनों दूतावासों में खड़े वाहनों को अपने साथ लिए गए।

इस अटैक से कुछ ही घँटे पहले तालिबान ने ये कहते हुए दिल्ली फोन किया था कि वो नहीं चाहते कि भारत अपने काबुल दूतावास से अफसरों को निकाले। ये फोन कतर के दोहा में मौजूद तालिबान के पॉलिटिकल ऑफिस से क़िया गया था। जिसमे भारतीय कर्मचारियों और सुरक्षा कर्मियों की सेफ्टी का वादा करने वाले मैसेज मिले थे।

ये मैसेज़ तालिबान की पॉलिटिकल यूनिट के हेड अब्बास स्टानिकजई के दोहा ऑफिस से भेजे गए थे। इस हफ़्ते के शुरू में ही भारत ने काबुल से इंडियन एयरफोर्स के दो C-17 ग्लोबमॉस्टर हवाई जहाजों से अपने दूतावास के कर्मचारियों को बड़ी मुश्किल से निकाला था। इसी दौरान अफगानिस्तान में भारत के राजदूत को भी वापस लाया गया था क्योंकि क्योंकि तालिबान के कब्जे के बाद अफसरों और सामान्य भारतीयों में आपस में ही झगड़े होने शुरू हो गए थे। ये झगड़े देश वापस आने को लेकर हो रहे थे। लेकिन अभी भी 1,000 से ज्यादा भारतीय नागरिक अफगानिस्तान में फंसे हुए हैं।

अफगान राजधानी पर ख़तरनाक ढंग से कब्जे के बाद, तालिबान काबुल में डोर-टू-डोर तलाशी ले रहा है, ताकि उन अफगानों की पहचान की जा सके, जिन्होंने अफगानिस्तान की सरकारी खुफिया एजेंसी के लिए काम किया था।
यूएन के एक सीक्रेट डॉक्यूमेंट के अनुसार अमेरिका और नाटो फोर्सेज के साथ काम करने वाले लोगों के लिए भी घर-घर जाकर तालिबान का तलाशी अभियान चलाया जा रहा है।
आपको बता दें कि भारत के अफगानिस्तान में काबुल में दूतावास के अलावा भी चार वाणिज्य दूतावास और हैं। कंधार और हेरात के अलावा, मजार-ए-शरीफ में भी भारत का एक वाणिज्य दूतावास था, जिसे तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने से पहले ही बंद कर दिया गया था। हालांकि काबुल में दूतावास ऑफिशियली बंद नहीं है, ये लोकल लोगों की मदद से काम कर रहा है।
वहीं यहां नई दिल्ली में भी तालिबान को विभिन्न आतंकी संगठनों से मिल रहे सपोर्ट को लेकर भी चिंता बनी हुई है।
अरब ने भी अल कायदा ने तालिबान की जीत पर एक स्टेटमेंट जारी किया है, जिसमे कहा गया है कि – अफगानिस्तान में अपनी आजादी बधाई। सीरिया में हयात तहरीर अल-शाम ने भी तालिबान के सपोर्ट में एक ऑफिशियल स्टेटमेंट जारी किया। इतना ही नहीं पश्चिमी चीन में तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी (टीआईपी) ने भी तालिबान को बधाई देते हुए एक स्टेटमेंट जारी किया है।